प्रभात खबर लीगल काउंसलिंग में पाठकों के सवालों का वरीय अधिवक्ता रत्नाकर रत्न ने दिया जवाबप्रभात खबर कार्यालय में भागलपुर व्यवहार न्यायालय के वरीय अधिवक्ता और श्रम अधिनियम के विशेष लोक अभियोजक रत्नाकर कुमार रत्न ने कहा कि न्यूनतम मजदूरी को लेकर विवाद लगभग समाप्त हो चुका है. पहले मजदूरों को उनके श्रम का उचित मेहनताना नहीं मिल पाता था, लेकिन अब हालात बदल गए हैं. सरकार द्वारा तय की गयी मजदूरी से अधिक भुगतान नियोजकों द्वारा किया जा रहा है. इसका परिणाम यह है कि मजदूरों का जीवन स्तर पहले की तुलना में बेहतर हुआ है. उनके सामने बंधुआ मजदूरी जैसी स्थिति नहीं रही. श्री रत्न ने कहा कि सरकार मजदूरों के हित में लगातार कदम उठा रही है. मजदूरों को विभिन्न प्रकार की योजनाओं से लाभ मिल रहा है. इनमें प्रशिक्षण की व्यवस्था है, जिससे वे अपने कौशल को निखार सके और बेहतर रोजगार पा सके. औजार उपलब्ध कराने की सुविधा भी है. बेटियों के विवाह के लिए आर्थिक सहायता दी जा रही है. काम करते समय किसी मजदूर के अपंग हो जाने पर पेंशन की व्यवस्था भी की गई है. यह न केवल मजदूर के लिए बल्कि उसके पूरे परिवार के लिए संबल का काम करता है. कुल मिलाकर मजदूरों की स्थिति में बड़ा सुधार आया है और अब उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर मिल रहा है. अधिवक्ता ने इस दौरान पाठकों के सवालों का सहज शब्दों में जवाब दिया. प्रस्तुत है प्रमुख पश्न और उसके जवाब…
प्रश्न 1.
मुझे एक पार्सल रोज भागलपुर पहुंचाने दिया जाता था, बदले में 200 रुपए दिए जाते थे. छह माह तक काम किया. एक दिन मैंने उत्सुकतावश पार्सल को फाड़ कर देखा तो उसमें ब्राउन शुगर था. मैंने काम बंद कर दिया. दो माह का मेहनताना मांगने के लिए अब रोजाना टालमटोल किया जा रहा है. क्या मैं मेहनताना प्राप्त कर सकता हूं.अरविंद मंडल, नवगछिया.
उत्तर – बिल्कुल आप मेहनताना प्राप्त कर सकते हैं. श्रम उपायुक्त के यहां आवेदन करें. अगर यहां आपकी बात नहीं सुनी गयी तो आप श्रम न्यायालय में पेमेंट ऑफ वेजेज एक्ट के तहत वाद भी दायर कर सकते हैं. पार्सल में क्या था, इससे केस की प्रकृति पर कोई असर नहीं पड़ता है. इसकी जानकारी आपको थी भी नहीं. इसलिए इसका जिक्र भी जरूरी नहीं है.प्रश्न 2.
मैं एक स्कूल में पढ़ाता हूं. मुझे आठ हजार रुपए प्रतिमाह पर रखा गया. इन दिनों स्कूल संचालक से मेरी बन नहीं रही है. क्या संचालक मुझे अपनी मर्जी से हटा सकता है.जीवनदीप, भागलपुर.
उत्तर – संचालक से मतांतर होने के बाद भी बिना किसी अनियमितता या निष्क्रियता के वह नौकरी से नहीं निकाल सकता है. आपको निकालने से पहले एक माह का अग्रिम मेहनताना भुगतान करना होगा और आपको नोटिस भी दी जायेगी. अगर संचालक ऐसा नहीं करता है तो उसके विरुद्ध श्रम कानूनों के तहत कार्रवाई हो सकती है. यह नियम सिर्फ स्कूल ही नहीं, वरन किसी भी प्राइवेट संस्थान पर लागू होता है.प्रश्न 3.
मेरी मां 20 वर्ष से एक घर में दाई का काम करती है. अब वह बूढ़ी हो गई है. काम करने की स्थिति में नहीं है, कहती है, अब काम छोड़ना पड़ेगा, क्या वह अपने मालिक से जीविकोपार्जन के लिए एकमुश्त राशि की हकदार है.ललिता कुमारी, बूढ़ानाथ, भागलपुर.
उत्तर – अगर इस बात का प्रमाण है कि आपकी मां 20 वर्षों से कार्य कर रही है तो निश्चित रूप से वह जीविकोपार्जन के लिए एकमुश्त राशि प्राप्त करने की हकदार है.प्रश्न 4.
मैं एक मिठाई दुकान में दो माह से काम करता हूं. 10 हजार रुपया प्रतिमाह देने की बात हुई थी. दो माह बाद मालिक ने 18 हजार रुपया दिया, जब पूछा तो उन्होंने बताया कि आपलोग खाना यहीं खाते थे और खाने में दो मिठाई भी लेते थे. यह पैसा उसी का कटा है. जबकि मालिक खुद दो मिठाई जिद करके हमलोगों को देते थे. इतने कंजूस मालिक के यहां अब काम करने का इरादा नहीं है, लेकिन क्या मालिक को सबक सिखाया जा सकता है.अमलेश, भागलपुर.
उत्तर – मालिक को सबक सिखाने के लिए वेजेज एक्ट के अधीन 2000 रुपया बकाया का वाद श्रम न्यायालय में लाया जा सकता है.प्रश्न 5.
मैंने दस वर्ष पहले दाऊदबाट के समीप तीन कट्ठा जमीन की खरीद की थी. उस वक्त म्यूटेशन भी करवा लिया. मैं बाहर रहता हूं, इसलिए रेगुलर रूप से जमीन की देख रेख नहीं कर सका. अब मेरी जमीन पर एक व्यक्ति घर बना कर रहने लगा है. जब उसको कहने गया तो उसने कहा कि मैंने जमीन की खरीददारी की है, रसीद भी है. अब मैंने जिस ब्रोकर के माध्यम से कबाला करवाया था, वह भी संतोषजनक उत्तर नहीं दे पा रहा है. मुझे क्या करना चाहिए.संजय चौधरी, खगड़िया.
उत्तर – जिसने जमीन की खरीददारी पहले की है, वास्तविक मालिक उसे ही माना जाना चाहिए. आप अतिक्रमण वाद दाखिल करें.प्रश्न 6.
एक व्यक्ति को 22 हजार रुपया दिया था, अब वह नहीं दे रहा है, क्या करना चाहिए ?आनंद कुमार, गोविंदपुर, नारायणपुर.उत्तर – पहले आप रकम गबन करने वाले को लीगल नोटिस दें. फिर एक माह बाद थाने में प्राथमिकी दर्ज कराएं और रकम प्राप्त करने के लिए सिविल वाद दायर करें.
प्रश्न 7.
वर्ष 2023 से लेबर कार्ड के लिए आवेदन कर रहा हूं लेकिन अभी तक नहीं बन सका है. मुझे क्या करना चाहिए ?अफजल हुसैन, नारायणपुर. उत्तर – आप भागलपुर आकर लेबर सुपरिटेंडेंट कार्यालय में अपनी समस्या रखें, निश्चित रूप से यहां आपकी समस्या का निदान होगा.प्रश्न 8.
जमीन का सर्वे मेरे जन्म से पहले ही हुआ था. इन दिनों जमीन पर दखल तो मेरा है लेकिन जमीन बिहार सरकार की हो गयी है. मुझे क्या करना चाहिए.वरुण झा, नवगछिया.
उत्तर – आप इस मामले में टायटल सूट दायर करें. उम्मीद है आपकी समस्या का निदान कर दिया जाएगा.लेबर कोर्ट में ज्यादातर आ रहे हैं कंपनसेशन के मामले
अधिवक्ता रत्नाकर कुमार रत्न ने कहा कि इन दिनों लेबर कोर्ट में अधिकांश मामले कंपनसेशन से जुड़े आ रहे हैं. इसमें वे स्थितियां शामिल हैं जब किसी मजदूर की काम के दौरान मृत्यु हो जाती है या गंभीर रूप से घायल हो जाता है. ऐसे मामलों में नियम के अनुसार नियोक्ता को आर्थिक सहायता और मुआवजा देना अनिवार्य है. लेकिन कई बार नियोक्ता इस जिम्मेदारी से बचने की कोशिश करते हैं और मजदूरों या उनके परिजनों को उचित राशि नहीं देते. इसी वजह से पीड़ित परिवार न्याय के लिए लेबर कोर्ट का सहारा लेते हैं. लेबर कोर्ट भी इन मामलों में सख्ती से सुनवाई कर मजदूरों के हक की रक्षा कर रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

