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Bhagalpur news कई कंपनियों ने पीरपैंती विद्युत ताप घर की भूमि का निरीक्षण किया

विद्युत ताप घर निर्माण की कवायद तेज हो गयी है. केंद्र सरकार ने 2024 के बजट में 21 हजार 400 करोड़ रुपये इसके लिए उपलब्ध कराया है. टेंडर लेने वाली कंपनी स्थल भ्रमण कर रही है.

अहद मदनी, पीरपैंती

विद्युत ताप घर निर्माण की कवायद तेज हो गयी है. केंद्र सरकार ने 2024 के बजट में 21 हजार 400 करोड़ रुपये इसके लिए उपलब्ध कराया है. टेंडर लेने वाली कंपनी स्थल भ्रमण कर रही है. आये दिन किसी न किसी कंपनी के लोग स्थल भ्रमण कर रहे हैं. पीरपैंती के हरिनकोल, टुंडवा मुंडवा, श्रीमतपुर मौजा की जमीन को चिह्नित करके वर्षोँ पहले जमीन अधिग्रहित कर ली गयी थी. बुधवार को टाटा ग्रुप के बीडी तरुण कांत, अडानी ग्रुप की टीम, एमपीएल ग्रुप के ई एमडी संजय कुमार व टोरेंट की टीम ने स्थल भ्रमण किया. स्थल भ्रमण के दौरान कंपनियों के अधिकारियों ने विद्युत ताप घर की क्षेत्र टुंडवा मुंडवा, हरीनकोल, कमालपुर, कुजबन्ना और ब्लॉक परिसर के पास की जमीन, खेत खलिहान, सिंघिया नदी और बाग-बगीचे का अवलोकन किया. इस दौरान लोगों ने ऊर्जा विभाग के अनुमंडलीय पदाधिकारी सुधाकांत कुमार और बिजली विभाग के कर्मी विमल सिंह विभिन्न बातों से अवगत हुए. अधिकारियों ने विद्युत ताप घर की भूमि के बारे में विस्तृत जानकारी ले टेंडर में रुचि दिखायी. अधिकारी ने यहां के मौसम की विशेष जानकारी प्राप्त ली. लोगों ने कहा कि यहां बाढ़ और वर्षा के पानी को एकत्रित कर के विद्युत ताप घर के काम में लायेगे. एनटीपीसी के पास अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल तकनीक आधारित 800 मेगावाट की यूनिट चलाने की दक्षता है, इसी तकनीक पर भागलपुर के पीरपैंती में 800-800 मेगावाट की तीन यूनिट लगानी है. पीरपैंती विद्युत ताप घर से परियोजना बिहार में बिजली की उपलब्धता को बढ़ायेगी और स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान करेगी.

गंगा के गर्भ से निकली जमीन पर दखल की आस

सुलतानगंज तिलकपुर मौजा के दियारा की जमीन कटाव के कई साल बाद गंगा से निकली. किसानों का जमीन पर दखल की आस है. तिलकपुर पंचायत के उपमुखिया सत्यम सिंह ने बताया कि सैकड़ो एकड़ जमीन जब गंगा की भेंट चढ़ गयी तो जमीन मालिक भूमिहीन हो गये. रोजी-रोटी पर आफत आ गयी. कुछ दिन बाद जब जमीन गंगा से निकली, तो जीने का एक उम्मीद जगी. जमीन अस्तित्व में आने पर दबंगों का कब्जा हो गया. इसका मुख्य कारण जमीन का मापी और दखल कब्जा कराने का प्रशासन ने काम नहीं किया. जिला प्रशासन से लेकर राज्य सरकार तक के सभी अधिकारी को मापी कराने और दखल कब्जा कराने के लिए सामूहिक रूप से आवेदन दिया गया, लेकिन अबतक कोई कार्रवाई नहीं की गया. दंबगों से जमीन से हटाने के लिए किसान संघर्ष कर रहे है. कई बार जमीन पर कब्जा को लेकर खूनखराबा हो चुका है. उपमुखिया ने बताया कि मुख्यमंत्री के संज्ञान में इस मामले को कई बार रखा गया है. जमीन का मालिकाना हक को लेकर अब यहां के किसान हाईकोर्ट जायेंगे.

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