Bhagalpur News: ऋषिकांत मिश्र, कहलगांव. कहलगांव अनुमंडल अस्पताल भवन की स्थिति ऐसी हो चुकी है कि यहां इलाज कराना आमलोगों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. चाहे मर्ज कोई भी हो मरीज यहां आकर एक बार अंदर की छत और कमरे को जरूर निहारते हैं. ऐसा शौक से नहीं, मजबूरी में करते हैं. उन्हें लगता है कि कहीं छत का कोई हिस्सा उन पर न गिर जाये. यह स्थिति सिर्फ मरीजों की ही नहीं होती, डॉक्टर भी इसी भय से भयभीत होकर मरीजों का इलाज भी करते रहते हैं. अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक यहां इलाज के लिए आने वाले मरीजों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है. वर्तमान में औसतन हर दिन 500 मरीजों का इलाज यहां होता है.
डेढ़ दशक पूर्व हुआ था इस अस्पताल भवन का निर्माण
जानकारी के मुताबिक करीब 15 साल पहले लगभग 11 करोड़ रुपये की लागत से इस अस्पताल भवन का निर्माण कराया गया था. 100 बेड के इस अस्पताल का उद्घाटन सूबे के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने किया था. मगर समय के साथ देखरेख और मेंटेनेंस नहीं किया गया. जिसका परिणाम अभी सामने आ रहा है. हैरत तो यह है कि इस ओर न तो अस्पताल प्रशासन और न ही अनुमंडल प्रशासन का ध्यान जा रहा है. कहीं कोई अनहोनी हो जाए, तो पूरा का पूरा प्रशासनिक अमला मामले की जांच में जुट जायेगा.
अस्पताल के पोर्टिको में भी भींगना है संभव
अस्पताल भवन की मरम्मत नहीं होने से स्थिति बदतर होती जा रही है. भवन में प्रवेश करते ही आफत सिर पर नजर आती है. पोर्टिको में खड़े रह कर भी बारिश से सुरक्षित रहना निश्चित नहीं है. यहां भी छत का प्लास्टर टूट कर गिर रहा है. अस्पताल भवन की दीवारें दरकने लगी है. छत का प्लास्टर झड़ने लगा है. ओपीडी से लेकर इमरजेंसी वार्ड तक की स्थित एक जैसी है.
कई बार विभाग को लिखा गया है पत्र
अनुमंडल अस्पताल, कहलगांव के प्रबंधक गोविंद कुमार उपाध्याय ने कहा,” अस्पताल प्रबंधन और कर्मचारियों ने भवन की स्थिति को लेकर कई बार विभाग से पत्राचार किया है. परंतु स्थिति ढाक के तीन पात वाली है. मरीज और स्टाफ असुरक्षित भवन में काम करने को विवश हैं. लगातार पत्राचार कर विभाग को वस्तुस्थिति से अवगत कराया जा रहा है. विभाग द्वारा शीघ्र मरम्मत की योजना बनायी जा रही है, जल्द ही कार्य शुरू किया जायेगा.”
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