गोपालपुर रंगरा चौक प्रखंड के छह गांव ज्ञानीदास टोला, झल्लूदास टोला, उसरहिया, नवटोलिया, सिमरिया व कुतरू दास टोला की 50 हजार आबादी कटाव के मुहाने पर खड़ी है. गंगा नदी के कटाव से पिछले दो-तीन वर्षों में ज्ञानी दास टोला का लगभग 500 घर गंगा नदी में समा चुका है. काफी संख्या में लोग पलायन कर गये हैं और कुछ ग्रामीण प्लास्टिक शीट के सहारे विनोबा उमावि के प्रांगण में नारकीय जीवन बिता रहे हैं. हालांकि नवगछिया बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल ने इस वर्ष बाढ़ व कटाव से बचाव के लिए 250 लाख रुपये की लागत से कटाव निरोधी कार्य करवा रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि इस वर्ष गंगा नदी गांव के पूर्वी भाग में कटाव कर रही है. पूर्वी भाग में कटाव निरोधी कार्य करवाना अति आवश्यक है, लेकिन विभाग की ओर से पिछले वर्ष क्षतिग्रस्त भागों का ही जीर्णोद्धार करवाया जा रहा है. पूर्वी भाग में कार्य नहीं करवाने से तिनटंगा उत्तरी पंचायत में कटाव होने से पंचायत के लोग डरे व सहमे हैं. नवगछिया बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल कार्यालय के अनुसार कार्य अंतिम चरण में है. आवश्यकतानुसार बाढ़ संघर्षात्मक (फ्लड फाइटिंग) का कार्य करवाया जायेगा.
भीषण गर्मी में एबीवीपी ने पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था की
भीषण गर्मी के मद्देनजर पक्षियों के संरक्षण को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) नवगछिया इकाई के एसएफडी (स्टूडेंट फॉर डेवलपमेंट) संगठन ने ग्रामीण इलाकों में पक्षियों के लिए दाना और पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करने के उद्देश्य से ‘सकोरा अभियान’ चलाया. एसएफडी दक्षिण बिहार की प्रांत सह संयोजक सह महिला कॉलेज अध्यक्ष कुसुम कुमारी ने बताया कि इस तपती गर्मी में पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था करना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है. बिहार में एसएफडी के कार्यकर्ताओं ने एक साथ मिलकर विभिन्न इलाकों में सकोरा अभियान से जगह-जगह पर सकोरे (मिट्टी के बर्तन) में पानी और दाना भरकर पक्षियों के लिए प्रबंध किया है. यह अभियान लगातार जारी रहेगा, ताकि भीषण गर्मी के दौरान पक्षियों को खाने-पीने की कोई कमी न हो और वह सुरक्षित रह सकें. उन्होंने लोगों से अपील की है कि हर कोई अपने घर या मुहल्ले में पक्षियों के लिए पानी और दाना की व्यवस्था करें. इस दौरान एसएफडी के कई सदस्य उपस्थित थे और सभी ने अपने-अपने क्षेत्रों में सकोरा अभियान को सफल बनाने का संकल्प लिया. अभाविप नवगछिया की यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती है, बल्कि पशु-पक्षियों के प्रति हमारी जिम्मेदारी को भी दर्शाती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है