भागलपुर : नाथनगर दियारा स्थित मोहनपुर गांव की सैकड़ों बीघा जमीन कटकर गंगा नदी में विलीन हो गयी है. गांव में अधिकांश घर कटाव की चपेट में आ गये हैं. जिस गांव में सौ से अधिक परिवार बसता था, वहां गंगा नदी की मुख्यधारा बहने लगी है. मोहनपुर के ग्रामीणों के अनुसार 35 साल पहले […]
भागलपुर : नाथनगर दियारा स्थित मोहनपुर गांव की सैकड़ों बीघा जमीन कटकर गंगा नदी में विलीन हो गयी है. गांव में अधिकांश घर कटाव की चपेट में आ गये हैं. जिस गांव में सौ से अधिक परिवार बसता था, वहां गंगा नदी की मुख्यधारा बहने लगी है. मोहनपुर के ग्रामीणों के अनुसार 35 साल पहले बसे इस गांव में 100 से अधिक घर थे.
गंगा नदी की तेज धार में गांव की जमीन व सभी घर कटकर बह चुके हैं. बुधवार तक गांव में महज दर्जन भर घर बचे थे. कटाव की यही रफ्तार रही तो दो से तीन दिन में गांव का अस्तित्व पूरी तरह खत्म हो जायेगा. गांव के 1200 से अधिक लोग व 500 से अधिक मवेशी नरगा स्थिति सीटीएस मैदान में शरण लिये हुए हैं.
सीटीएस मैदान में रह रहे बाढ़ पीड़ित अरविंद मंडल, पंचलाल कुमार मंडल व वासुदेव मंडल ने बताया कि बाढ़ खत्म होने के बाद हम अपने परिवार केसदस्य व मवेशियों को लेकर कहां जाएंगे, इस बात की चिंता खाये जा रही है. बाढ़ और कटाव से हम पूरी तरह बेघर हो गये हैं. ग्रामीणों ने बताया कि सरकार हमें बसाने की व्यवस्था करे.
अगस्त माह में मध्य विद्यालय कटकर गंगा में बहा था : अगस्त माह में मोहनपुर स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय कटकर गंगा नदी में विलीन हो गया था. रत्तीपुर बैरिया के पंस प्रतिनिधि मनोज कुमार मंडल के अनुसार, एक वर्ष से हो रहे कटाव के कारण गंगा नदी बाढ़ से पहले मोहनपुर गांव के मुहाने पर आ गयी थी. लोगों को गांव कटने की आशंका हो गयी थी. पहले स्कूल परिसर पूरी तरह गंगा में कटकर विलीन हो गया.
एक दर्जन बिजली के पोल का अता-पता नहीं : ग्रामीणों ने बताया कि सरकार ने मोहनपुर गांव को रोशन करने के लिए कुछ साल पहले बिजली के पोल लगवाये. एक सप्ताह के कटाव में दर्जन भर से अधिक पोल का अता-पता नहीं हैं. इससे पहले 20 अगस्त को गांव में लगा ट्रांसफार्मर भी गंगा की चपेट में आने को तैयार था. ट्रांसफार्मर को चोरों ने चुराने का प्रयास किया. लेकिन ग्रामीणों की मुस्तैदी से यह बच गया.
50 से अधिक पेड़ उखड़कर बहे : मोहनपुर गांव में वन विभाग ने कदंब, आम, बेल समेत कई पेड़ लगवाये थे. सभी पेड़ बढ़कर 20 से 25 फीट ऊंचे हो गये थे. लेकिन कटाव की चपेट में आकर सभी पेड़ उखड़कर बह गये.