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न कोई रोकने वाला, न टोकने वाला, बॉर्डर पार होते ही सजी रहती है देसी-विदेशी दारू की महफिल

हंसडीहा पैसेंजर से रिपोटर ब्रजेश के साथ फोटो जर्नलिस्ट मनोज @ मस्ती का सफर – न कोई रोकने वाला, न टोकने वाला, टिकट का भी टेंशन नहीं, बॉर्डर पार होते ही उतर जाते हैं पीने वाले-बॉर्डर पार कमराडोल हॉल्ट पर सजी रहती है देसी-विदेशी दारू की महफिल-आधे घंटे तक चलता है पीने-पिलाने का दौर फिर […]

हंसडीहा पैसेंजर से रिपोटर ब्रजेश के साथ फोटो जर्नलिस्ट मनोज @ मस्ती का सफर

– न कोई रोकने वाला, न टोकने वाला, टिकट का भी टेंशन नहीं, बॉर्डर पार होते ही उतर जाते हैं पीने वाले
-बॉर्डर पार कमराडोल हॉल्ट पर सजी रहती है देसी-विदेशी दारू की महफिल
-आधे घंटे तक चलता है पीने-पिलाने का दौर फिर उसी ट्रेन से वापसी, वो भी WT
-बोगी में घूमती रहती है टोली, हंगामा तो रूटीन है, कभी-कभी हो जाती है मारपीट भी
-युवा और बुजुर्गों की समूह में शामिल रहती महिलाएं भी, वापसी में ट्रेन में करते हंगामा

हंसडीहा पैसेंजर ट्रेन सोमवार को भागलपुर जंक्शन से 12.25 में खुली. ट्रेन खुलने के दौरान भीड़ नहीं के बराबर थी. कुछ लोग थे, जो अपने-अपने सीट पर बैठे थे. हॉल्ट-स्टेशन आते गये और भीड़ बढ़ती गयी. कुछ दूर जाने के बाद एकाएक भीड़ बढ़ी और इशारे-इशारे में कुछ लोगों की बातें होने लगी. तब भी कुछ स्पष्ट नहीं हुआ. ट्रेन अपनी रफ्तार से बढ़ती जा रही थी. गर्मी के कारण बुरा हाल था. लोग बोर हो रहे थे, लेकिन एकाएक सरगरमी बढ़ गयी और ट्रेन में कोलाहल बढ़ गया. झारखंड बॉर्डर का पहला स्टेशन कमराडोल व बिहार का आखिरी हॉल्ट डाढ़े के बीच की दूरी महज सात किमी है और चार मिनट में सफर पूरी हो जाती है.

हां, बिहार के आखिरी हॉल्ट डाढ़े आते ही जब सब सिपाही की तरह अलर्ट की मुद्रा में आ गये और ठीक चार मिनट के बाद झारखंड का पहला हॉल्ट कमराडोल आते ही चहक उठे, तो सब कुछ स्पष्ट होने लगा. यहां आकर ट्रेन खाली जैसा दिखने लगा. यह वही कमराडोल हॉल्ट है, जहां दारू मिलता है. सोचा, लोग ठीक ही कहते हैं- बिहार में शराबबंदी है, तो क्या हुआ, अपना मंदारहिल ट्रेन है ना… ट्रेन मंदारहिल रेलखंड पर स्थित कमराडोल हॉल्ट दोपहर 3 बजे पहुंच चुका था. यहां उतरने वाले ज्यादातर लोग बिहार के थे. सभी समूह में. टोली में महिलाएं भी थीं. पता चला कि ये लोग शराब पियेंगे और ठीक 40 मिनट के बाद लौटती ट्रेन पर चढ़ जायेंगे. लोग उतरे और कमराडोल स्टेशन पर शाम की सस्ती दवा भरी दुपहरिया में ही शुरू हो गयी. यह स्टेशन शराबियों के लिए मयखाना बन गया.

40 मिनट तक जमी रही महफिल
यह ट्रेन जब दोपहर तकरीबन ढाई बजे मंदाहिल स्टेशन पहुंची, तो यहां कुछ लोग चढ़े. इसके चार मिनट की दूरी पर पांडेयटोला स्टेशन पर गाड़ी जब रुकी, तो पीने वालों की भीड़ बढ़ गयी. डाढ़े हॉल्ट पर तो ऐसे लोगों की भीड़ और ज्यादा बढ़ गयी. चार मिनट के बाद कमराडोल में ट्रेन रुकी, तो नजारा देखने लायक था. किसी को स्टेशन पर दारु उपलब्ध हो गया और वहीं पीने लगे. कुछ लोग स्टेशन के एक ओर समूह में जमी महफिल में शामिल हो गये. ठीक 40 मिनट के बाद वहीं ट्रेन लौटी और चढ़ कर बॉर्डर पार बिहार में अपने-अपने स्टेशन पर उतर कर घर लौट गये. नियमित शराब पीने के जो कोई आदी हैं, उनका हंसडीहा पैसेंजर से बॉर्डर पार आना-जाना रोजाना होता है. ऐसे लोगों की तादाद बढ़ी है.

जंगल और पहाड़ी होने के चलते पुलिस भी साबित होती है लचर
यह इलाका जंगल और पहाड़ी है. इसके चलते पुलिस भी लचर साबित होती है. इन स्थानों पर आसानी से शराब की उपलब्धता है. दरअसल, बिहार की सीमा से सटे झारखंड की सीमा के हंसडीहा आदि जगहों से 3.25 किमी अंदर शराब की दुकान नहीं है. मंदारहिल रेलखंड के बिहार बॉर्डर पर पुलिस की तैनाती भी नहीं है.

कारोबारी से लेकर पीने वालों में ज्यादातर बिहार के
बिहार बॉर्डर के पास ही झारखंड के कमराडोल स्टेशन से कुछ दूरी पर कई नये कारोबारी बढ़े हैं. जो देसी से लेकर विदेशी तक शराब लेकर बैठते हैं. कारोबारियों में कई मंदारहिल के रहनेवाले हैं. पीने वाले भी ज्यादातर बिहार के होते हैं. झारखंड ने कुछ दुकान स्टेशन से कुछ दूरी पर खोल दी है, जो कमराडोल से आधा किमी दूर है.

ट्रेन में नहीं चलती पुलिस, बेटिकट जाते बॉर्डर पार
मंदारहिल पैसेंजर ट्रेन में दिन में रेल पुलिस नहीं चलती है. केवल शाम की ट्रेन में भागलपुर से रेल पुलिस जाती है. यही वजह है, जो पीने वाले बेटिकट बॉर्डर पार जाते हैं और पीकर उसी ट्रेन से बेरोकटोक लौटते हैं. बॉर्डर इलाके में पड़ने वालों स्टेशन जब तक गुजर नहीं जाता है, तब तक ट्रेन चालक और गार्ड डरे-सहमे रहते हैं. आम आदमी भी डरे-सहमे यात्रा पूरी करते हैं.

वापसी में मंदारहिल ट्रेन में जम कर होता है हंगामा
झारखंड बोर्डर पर स्थित कमराडोल स्टेशन पर युवा, बूढ़े और महिलाओं ने देसी से लेकर विदेशी तक जब पी थी. वे सभी नशे की गिरफ्त में आ गये. ट्रेन आयी और इसमें सवार हुए. ट्रेन के लगभग सभी बोगियों में शराब की बदबू फैल गयी. नशे की हालत में लोगों ने जम कर हंगामा किया. कोई दूसरे यात्रियों पर गिर जा रहे थे और उनसे उलझ रहा था, तो कोई बिना मतलब गालियां बरसा रहे थे. हालांकि, कुछ महिलाएं जिसने शराब पी रखी थी, उनमें पकड़ाने का खौफ देखा गया. ये महिलाएं नशे में धुत लोगों को डांट-डपट व गालियां देकर संभलने को कह रही थीं. झारखंड से बॉर्डर पार बिहार के डाढ़े, पांडेयटोला व मंदाहिल स्टेशन तक हंगामा होता रहा. सभी जब उक्त स्टेशनों पर उतर गये, तो ही बाकी के पैसेंजर ने राहत की सांस ली.

स्टेशन के ठेकेदार से बातचीत
दारु मिलेगा?
ठेकेदार : वहां सामने (अंगुली दिखा कर इशारा करते हुए)
वहां तो देसी मिलता है, अंग्रेजी वाला चाहिए
ठेकेदार : कहां से आये हैं?
यहीं लोकल ही हैं.
ठेकेदार : कौन-सा चाहिए?
अंग्रेजी में कोई भी चलेगा
ठेकेदार : 50 रुपया ज्यादा लगेगा.
नहीं, 10 रुपये ज्यादा लीजिए
ठेकेदार : लेना है तो बोलिए, नहीं जाइए देसी पी लीजिए.
बॉर्डर इलाके पर यात्रियों से ट्रेन में बातचीत
ट्रेन में रोज हंगामा होता है?
यात्री : क्या बतायें, जब से बिहार में शराबबंदी हुई है, तभी से इस ट्रेन में सफर में दुर्गति होने लगी है.
यात्रियों से भी मारपीट करता है?
यात्री : परहेज कर लिये तो ठीक, नहीं तो पियक्कड़ों का समूह मारपीट करता है और स्टेशन आने पर उतर कर चला जाता है. परिवार के साथ सफर करने लायक यह ट्रेन नहीं है.

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