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भागलपुर में इलाज के अभाव में एक और BJP नेता के भाई की मौत, डॉक्टर बताकर फार्मासिस्ट ने किया ट्रीटमेंट

भागलपुर में इलाज के अभाव में एक और BJP नेता के भाई की मौत हो गयी है. बताया जा रहा है कि भाजपा नेता व जेडआरयूसीसी के पूर्व मेंबर अभय वर्मन के बड़े भाई अशोक वर्मन की ट्रेन में तबीयत बिगड़ने से मौत हो गयी. वे भीखनपुर के नेक नाम शाह लेन के रहने वाले थे.

भागलपुर में इलाज के अभाव में एक और BJP नेता के भाई की मौत हो गयी है. बताया जा रहा है कि भाजपा नेता व जेडआरयूसीसी के पूर्व मेंबर अभय वर्मन के बड़े भाई अशोक वर्मन की ट्रेन में तबीयत बिगड़ने से मौत हो गयी. वे भीखनपुर के नेक नाम शाह लेन के रहने वाले थे. परिजनों का आरोप है कि शुक्रवार देर रात करीब तीन बजे ट्रेन के भागलपुर पहुंचने पर डॉक्टर की जगह फार्मासिस्ट और ओटी टेक्निशियन ने प्राथमिक इलाज के लिए रेलवे अस्पताल लाया. चिकित्सक की गैरमौजूदगी और लापरवाही के कारण उचित इलाज नहीं हो सका. इलाज के अभाव में जान गयी है. रेलवे के सुरक्षा बल के जवान ने इलाज कराने में सहयोग किया. मृतक के पुत्र अभिजित वर्मन ने भागलपुर रेल पुलिस को शव ले जाने के संबंध में लिखित दिया है, जिसमें उक्त आरोप का उल्लेख किया गया है.

जमालपुर में डॉक्टरों ने किया एटेंड

अशोक वर्मन राजेंद्रनगर टर्मिनल-गोड्डा इंटरसिटी से भागलपुर आ रहे थे. अभयपुर रेलवे स्टेशन के समीप उनकी तबीयत खराब हो गयी, जिसकी जानकारी महिला सहयोगी ने मोबाइल पर दी. उन्होंने मोबाइल पर यह भी बतायी कि एस्कॉर्ट पार्टी द्वारा रेलवे कंट्रोल रूम को भी जानकारी दी गयी है. जमालपुर में डॉक्टर आयेंगे. जमालपुर पहुंचने पर कोई डॉक्टर अटेंड करने नहीं पहुंचे. भागलपुर स्टेशन पर ट्रेन आने से पहले स्टेशन मास्टर से बात की गयी, तो उन्होंने बताया कि कंट्रोल रूम से सूचना आयी है. डॉक्टर आ रहे हैं. रेलवे कंट्रोल रूम द्वारा मेडिकल इमरजेंसी के लिए रेल डॉक्टर को कॉल किया गया. रेलवे डॉक्टर की जगह फार्मासिस्ट ने स्वयं को चिकित्सक बताते हुए प्राथमिक इलाज शुरू की.

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फार्मासिस्ट ने नहीं लगाया ऑक्सीजन

इलाज के दौरान फार्मासिस्ट ने पहले इथोलिन एसआर दवा दी. उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन अस्पताल में देना है. जबकि, फोन पर महिला यात्री द्वारा सांस लेने में तकलीफ की बात बतायी गयी थी. इस कारण ऑक्सीजन कंसंट्रेटर लेकर स्टेशन पहुंचे थे. फार्मासिस्ट द्वारा स्वयं को डॉक्टर बता कर प्राथमिक इलाज करने के दौरान ऑक्सीजन कंसंट्रेटर तक नहीं लगाया गया. सीनियर डिविजनल मेडिकल ऑफिस डॉक्टर सत्येंद्र कुमार ने आरोप को बेबुनियाद बताया. उन्होनें बताया कि उनकी तबीयत खराब रहने के कारण मालदा से लौटने के बाद वह अस्पताल नहीं जा सके. उनकी जगह डा विनोद कुमार सिंह ड्यूटी पर थे. वह मिरजानहाट में रहते हैं.

केवल सांस फूलने की दवा दी गयी

रेलवे कंट्रेल से सूचना मिलने पर डा विनोद ने फार्मासिस्ट और ओटी टेक्निशियन को तुरंत स्टेशन पहुंचने को कहा और खुद घर से निकल गये. स्टेशन पहुंचने में 5 मिनट की देरी हुई मगर मरीज को अटेंड कर लिया गया. कोई सूई नहीं दी गयी, सिर्फ सांस फूलने व दमा का टेबलेट दी गयी थी. सारी सुविधाएं अस्पताल में बताकर इलाज के लिए मरीज को स्ट्रेचर से ले जाया जाने लगा और रास्ते में मौत हो गयी. इस पर परिजनों की ओर से डॉक्टरों के साथ अभद्र व्यवहार किया गया और इसकी जानकारी एसआरपी, आरपीएफ, स्टेशन मैनेजर समेत अन्य को दी गयी. गलत दवाई से मौत अगर हो गयी है, तो उन्हें पोस्टमार्टम कराने की बात कही गयी मगर, उन्होंने स्वीकार नहीं किया और शव को लेकर चले गये.

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