बेतिया. पश्चिम चंपारण आदिवासी संघर्ष मोर्चा ने केंद्र के गृहमंत्रालय के अधीन ऑपरेशन खागर अर्थात वर्ष 2026 तक नक्सलवाद को खत्म करने का अंतिम मिशन नाम से छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों में चलाया जा रहा है. उसी के खिलाफ आदिवासी संघर्ष मोर्चा और भाकपा माले शहीद पार्क मैदान से जनता सिनेमा चौक होते कलेक्ट्रेरेट के समक्ष मार्च निकालकर प्रतिवाद करते हुए राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम के तहत सभा किया. मोर्चा के जिला अध्यक्ष नंदकिशोर महतो ने कहा कि ऑपरेशन के तहत छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों में आदिवासियों की लगातार हो रही हत्याओं के खिलाफ आज राष्ट्रीय विरोध दिवस मनाया जा रहा है. सरकार ने नक्सलवाद को खत्म करने के लिए मार्च 2026 की समय सीमा तय की है, जिसके परिणामस्वरूप आदिवासी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर सैन्य शिविर, सैन्यीकरण, राज्य द्वारा अराजकता, मनमानी गिरफ्तारी और अंधाधुंध हत्याएं हो रही हैं. आदिवासियों के जन संगठनों के शांतिपूर्ण और संवैधानिक विरोधों-चाहे वे सैन्य शिविरों के खिलाफ हों या आदिवासियों की बुनियादी स्वतंत्रता के लिए सबपर दमन किया जा रहा है. भाकपा-माले नेता सुनील कुमार राव ने कहा भाकपा-माले आदिवासी संघर्ष मोर्चा के साथ खड़ा होकर केंद्र सरकार की नवउदारवादी और कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों के खिलाफ़ असहमति और प्रतिरोध के सभी स्वरों को दबाने की निंदा करता है और आदिवासियों के खिलाफ़ बढ़ती हिंसा और इस खनिज समृद्ध क्षेत्र की कॉर्पोरेट लूट को रोकने का आह्वान करता है. ऐसे में देश के किसानों,अल्पसंख्यकों और आदिवासियों को एकजूट हो संघर्ष करना होगा. आदिवासी संघर्ष मोर्चा के सचिव बलराम उरांव व नेता शंकर उरांव ने कहा चंपारण में पत्थर खनन बंद होने से आदिवासियों और गरीबों के सामने भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई है. महिला पुरूष पलायन के लिए बाध्य है. कार्यक्रम में भाकपा माले नेता सुरेंद्र चौधरी,फरहान राजा,मनोज बैठा,जवाहर प्रसाद,रंजींत उरांव, धनु उरांव, तपू उरांव, महेंन्द्रर महतो, मदन चौधरी, बिगा महतो, पलट महतो, भुखल महतो, शुभनारायण महतो, राजकुमार महतो आदि मौजूद रहे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

