गौनाहा. वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना के मांगुराहा रेंज के जंगली रिहाइसी से इलाकों से 10 किलोमीटर दूरी तक के गांवों में बाघ को लेकर दहशत का माहौल बना हुआ है. ऐसे तो अभी बाघ का लोकेशन सिसई हाई स्कूल के पीछे मिल रहा है. जहां से इसके पूर्व में बाघ सिसई गांव निवासी ढोड़ा यादव के 11 गाय, बकरी, भैंसों को बाघ ने मार दिया था .
ग्रामीणों का कहना है कि यह बाघ आदमखोर बन चुका है और पागलों की भांति हमेशा दौड़ता फिर रहा है. यह बाघ कब, कहां चला जाएगा और किसका शिकार कर देगा, बाघ से किसकी दुर्घटना और कब हो जाएगी, यह कहना मुश्किल लग रहा है. पिछले एक सप्ताह से बाघ की गतिविधि को लेकर वन कर्मी रूपौलिया,मंगुरहा, कैरी, दोमाठ, नया टोला, गौनाहा, परसा, रतनी, मनी टोला इत्यादि गांवों के ग्रामीणों को सचेत करते रहे हैं कि सभी ग्रामीणों को सूचित किया जा रहा है कि हमेशा सतर्क रहने की जरूरत है. चाहे आप भैस गाय को चराने जा रहे हो या मवेशियों के लिए चारा लने जा रहे हो या खेत खलिहान जा रहे हो या अभी धान की कटनी चल रही है, उसमें जा रहे हो तो सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है और हमेशा संख्या में रहने की जरूरत है. क्योंकि यह बाघ आदमखोर बन चुका है और यह कभी भी किसी पर भी हमला कर सकता है. इस एनाउंसमेंट को लेकर जंगल से दूर 10-12 किलोमीटर तक के गांवों के ग्रामीणों में काफी भय का माहौल व्याप्त है. लोग जागते सोते दिन हो या रात अपने घर से निकलते समय हमेशा काफी डरे और सहमे रहते हैं, क्योंकि हाल में ही कैरी के राम किशुनदेव महतो और बनहवा मटियरिया के भगन मांझी की भैंस चराने के दौरान बाघ द्वारा हुई दुर्घटना को लेकर लोग काफी भयभीत हैं. वहीं बाघ को छिपने के लिए आशियाने के रूप में चारों तरफ सैकड़ों बिगहे गन्ने जो लगाए गए हैं, बाघ को छिपने के लिए आशियाने का काम करता है और आए दिन कभी नीलगाय, कभी घोड़कज, कभी गाय भैंस, बकरी शिकार के रूप में उसे मिल ही जाते हैं और यही कारण है कि वन कर्मी चाहकर भी उस बाघ पर काबू नहीं पा रहे हैं. हालांकि वन कर्मी कोई भी जंगली जानवरों को लेकर अलर्ड मोड में दिख रहे हैं. फिर भी दुर्घटना हो जा रही है. वही इसको लेकर रेंजर सुनील कुमार पाठक ने बताया कि बाघ को पकड़ने की प्रयास जारी है. इसके लिए पिजड़े लगाए गए हैं. बाघ के शिकार के रूप में बकरी का इस्तेमाल किया गया है और चारों तरफ से जाल बिछाए गए हैं. मौके पर रेंजर व फॉरेस्टर सहित सभी वनकर्मी मौजूद हैं.
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