बीहट. कृष्ण कथा ही अमृत तत्व रसामृत है. उक्त बातें बीहट नगर परिषद के मालती गांव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन राष्ट्रीय संत ब्रह्मर्षि डॉ दुर्गेशाचार्य जी कही. उन्होंने कहा कि ये गोपी रूपी इंद्रिया जब अपने भीतर कृष्ण स्वरूप को बैठा लेती है तभी कृष्ण अमृत रस पीने से इंद्रिया कृष्णकार वृति को पाकर जीवन का शाश्वत परमानंद पा लेती है. प्रभु के परमानंद रस को पीना ही प्रभु की रास लीला है. श्रीकृष्ण ने पंचमहाभूतों को शुद्ध किया. सर्वप्रथम कृष्ण ने पूतना रूपी अविद्या को अंत किया. अविद्या मरने से ही हम प्रकृति देवी भारत माता की रक्षा का बीड़ा उठा सकते हैं. अतः तृणावृत रूपी आंधी जो वायु को अपवित्र कर रहा था. भगवान से उसके उद्धार से वायु को विशुद्ध किया फिर मिट्टी खाकर भूतत्व को शुद्ध किया. श्रीकृष्ण का संदेश है कि पृथ्वी रत्नगर्भा है इसके भीतर रस पदार्थ अमृत औषधि है किंतु फर्टिलाइजर,यूरिया, पोटाश ,विषाक्त दवाइयां खाद से धरती की उर्वरा खत्म हो रही है. अमृत रस नष्ट हो रहा है. अतः भूमि मिट्टी को हम खाने लायक भोज्य पदार्थों हेतु विशुद्ध बनाए फिर प्रभु ने कालिया नाग नाथ कर जल में फैले विष का अंत किया. आज गंगा गोमुख से गंगासागर तक वामरस पड़ने के कगार पर है. सभी नदियों का प्रभु ने गंगा यमुना, नदियों को प्रदूषण मुक्त करने का संदेश दिया. मौके पर मुकेश कुमार गुड्डू, देवनंदन रॉय, राजेश कुमार,राकेश कुमार, विनोद राय, प्रदूम्न राय, अर्चना सिंह, ओमप्रकाश झा,विपिन कुमार चौधरी,सुजीत राय,सुरेंद्र झा,विमल राय,निर्मला कुमारी,रागिनी कुमारी,वीणा सिंह समेत सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे.
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