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धनतेरस को लेकर बाजार सज-धज कर तैयार, आज होगी धन की बारिश

जिले में शनिवार को धनतेरस मनायी जा रही है. धनतेरस को लेकर बाजार सज-धज कर तैयार है.

बेगूसराय. जिले में शनिवार को धनतेरस मनायी जा रही है. धनतेरस को लेकर बाजार सज-धज कर तैयार है. शहर के कचहरी रोड, मेन रोड और कुछ प्रमुख चौराहों पर धनतेरस को लेकर अस्थाई बाजार भी लगाने की तैयारी हो गयी है. इस वर्ष भी धनतेरस को लेकर बाजारों में आकर्षक साज-सज्जा की गयी है. व्यवसायी वर्ग को धनतेरस का बेसब्री से इंतजार होता है. व्यवसायी वर्ग अपने अपने दुकानों को इस तरह से साज सज्जा किया है कि ग्राहक आकर्षित हो सके. हर वर्ष जिले में धनतेरस के दिन 100 करोड़ से लेकर 150 करोड़ से उपर का व्यापार होता है.बाजारों में जिस तरह की रौनक और चहल-पहल दिख रही है.उससे व्यवसायी काफी उत्साहित हैं. इस वर्ष 150 करोड़ से भी उपर का व्यापार होने की संभावना जताई जा रही है.

धनतेरस के अवसर पर आभूषणों के शोरूम में जुटने लगी है भीड़

धनतेरस के दिन स्वर्ण आभूषण की खरीदारी करना काफी शुभ माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन सोने-चांदी व अन्य धातुओं के खरीद कर घर लाने लक्ष्मी माता काफी प्रसन्न होती हैं.यही कारण है कि इस दिन के स्वर्ण व्यापारी ग्राहकों को लुभाने के आपस में काफी प्रतिस्पर्धा भी रखते हैं.स्वर्ण आभूषण बाजारों में दुकानों में एक हजार से लेकर दस लाख रुपये तक की कीमत के आभूषण ग्राहकों के लिए उपलब्ध कराई गयी है.हर आर्थिक रेंज वालों ग्राहकों के लिए स्वर्ण आभूषण बाजार में आभूषण उपलब्ध है.दुकानदारों का कहना है कि हमारे यहां पहुंच कर हर वर्ग के ग्राहक कुछ न कुछ खरीदारी कर सकते हैं.

बाजार में सजीं बर्तन की दुकानें

धनतेरस के दिन आबादी का बड़ा हिस्सा बर्तनों की जमकर खरीदारी करते हैं बर्तन बाजारों में भी इसकी तैयारियां महीनों पूर्व से शुरु हो जाती है. दुकानदार हर क्वालिटी, हर रेंज व कम से कम मूल्यों वाली बर्तनों से लेकर अधिक से अधिक कीमतों वाले वर्तनों की स्टाॅक पूरा करना शुरु कर देते हैं. बर्तन बाजारों में 10 रुपये से लेकर आठ हजार की कीमतों वाली रसोई सामग्री तथा इससे जुड़े अन्य सामग्री उपलब्ध है.बर्तन दुकानदारों का कहना है कि धातुओं की बर्तनों की कीमत में इस वर्ष 10 से 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.अल्यूमुनियम की जो बर्तनें पिछले वर्ष 350 रुपये किलो थी.इस वर्ष 450-550 रुपये किलो तक ग्राहकों को मिल पायेगी.वहीं स्टील के बर्तन 250-350 रुपये किलो,पीतल 850-900 रुपये किलो,कांस्य बर्तन 800-1200 रुपये किलो तक तथा तांबा की बर्तनें प्रति पीस के हिसाब से तथा 2000 रुपये प्रति किलो तक मिल सकती है.

फर्नीचर व इलेक्ट्रॉनिक बाजारों में धनतेरस को लेकर मची है धूम

धनतेरस की दिन लोग सिर्फ द्रव्यों तथा धातुओं की ही खरीदारी नहीं करते बल्कि इस दिन लोग घरों में उपयोग आने वाले विभिन्न सामग्रियों की भी जमकर खरीदारी करतें हैं.उनमें से फर्नीचर और इलेक्ट्रॉनिक समानों की भी जमकर खरीदारी होती है.फर्नीचर व्यवसायी इस वर्ष ग्राहकों को लुभाने के लिए हर तरह के फर्नीचर में छूट देने का धनतेरस ऑफर दे रखा है.वहीं इलेक्ट्रॉनिक कंपनी भी अधिक से अधिक व्यापार करने हेतु विभिन्न तरह का ऑफर किया है.फर्नीचर दुकानों में चीजों का पसंद करने उन्हें धनतेरस के दिन डिलीवरी लेने को लेकर एक सप्ताह पूर्व से ऑर्डर बुक रहें रहें हैं.

चारपहिया और दोपहिया वाहनों की एजेंसी भी दे रही आकर्षक ऑफर

वाहन हमेशा से युवक युवतियों को आकर्षित किया है.जो ग्राहक चार पहिया या दो पहिया वाहन खरीदने वाले होते हैं,वे कुछ दिन व कुछ माह रुककर धनतेरस आने का इंतजार करते हैं.धनतेरस के दिन की खरीदारी भी शुभ मानी जाती है और विभिन्न किस्म के छूट ऑफर का भी लाभ ग्राहकों को मिल जाती है.धनतेरस के दिन विभिन्न रेंज की कार व बाइक की बुकिंग शुरु हो चुकी है.सौ से अधिक कार एवं एक हजार से बाइक- स्कूटी की बुकिंग हो चुकी है.साइकिल बाजारों में भी भीड़ देखी जा रही है.

धनतेरस की क्या हैं मान्यताएं

धनतेरस का त्योहार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को मनाया जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन भगवान धन्वन्तरि समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. धनतेरस पर भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है. इस दिन सोना, चांदी या पीतल की चीजें खरीदना बहुत शुभ माना जाता है. दीपावली के लिए गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां और अन्य पूजन सामग्री भी इसी दिन खरीद लेनी चाहिए.दीप दान करने का भी इस दिन काफी महत्व बताया गया है. धनतेरस की शाम को मुख्य द्वार पर 13 और घर के अंदर 13 दीप लोग जलाते हैं. मुख्य दीपक रात को सोते समय जलाया जाता है. इस दीपक को जलाने के लिए पुराने दीपक का उपयोग किया जाता है. यह दीपक घर के बाहर दक्षिण की तरफ मुख करके रखी जाती है. दरअसल, दक्षिण दिशा यम की दिशा मानी जाती है. ऐसा कहा जाता है कि घर में दीया घुमाने से इस दिन सारी नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है.

इस प्रकार लोग करते हैं धनतेरस की पूजा

संध्याकाल में उत्तर की ओर भगवान कुबेर और धन्वंतरि की लोग स्थापना करते हैं. दोनों के सामने एक-एक मुख का घी का दीपक प्रज्वलित किया जाता है. कहां जाता है कि कुबेर को सफेद मिठाई और धन्वन्तरि को पीली मिठाई चढ़ायी जाती है. पूजा के बाद दीपावली पर कुबेर को धन स्थान पर और धन्वन्तरि को पूजा के स्थान पर स्थापित किया जाता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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