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Begusarai News : नीलामी नहीं होने से छौड़ाही थाने में कबाड़ बनीं जब्त गाड़ियां

पुलिस द्वारा जब्त किये गये वाहन कानूनी जटिलता की वजह से छौड़ाही थानों में सड़ रहे हैं.

छौड़ाही. पुलिस द्वारा जब्त किये गये वाहन कानूनी जटिलता की वजह से छौड़ाही थानों में सड़ रहे हैं. वाहनों की भरमार की वजह से थाना परिसर पूरी तरह से कबाड़खाने में तब्दील होते नजर आ रहा है. थाने में सड़ने वाले वाहनों में दोपहिया वाहनों की संख्या अधिक है. ट्रक और हल्के वाहन भी थाना परिसर में जगह घेरे हुए है. कई वर्षों से तेज धूप,बरसात एवं पाला की मार झेल रहे अधिकांश वाहन सड़ चुके हैं जिन्हें कौड़ी के मोल भी नहीं बेचा जा सकता है. एक तो छौड़ाही थाना प्रखंड कैंपस के पुराने भवन में अस्थायी रूप से चल रहा है. छौड़ाही थने के पुलिस पदाधिकारी और अन्य पुलिसकर्मियों के रहने का ठिकाना भी प्रखंड अंचल का आवासीय मकान है. एक तो थाना कैंपस में जगह बहुत कम है और ऊपर से जब्त किये गये वाहनों के रख-रखाव की बात जुदा है. जब्त वाहनों में कुछ चोरी की है, तो कुछ दुर्घटना के अंजाम में जब्त किये हैं. कुछ ऐसे वाहन हैं जिसका अवैध सामानों की तस्करी में प्रयोग किया गया है,तो ज्यादातर वाहन शराबबंदी के बाद शराब तस्करी के मामले में पुलिस ने उसे जब्त किया है. लोगों की मानें तो पुलिस द्वारा जब्त किये गये वाहनों को छुड़ाने के लिये होने वाली लंबी चौड़ी प्रक्रिया से बचने के लिये लोग वाहनों को नहीं छुड़ाते हैं,क्योंकि ऐसे अधिकांश वाहन होते हैं जिनका न तो टैक्स जमा रहता है और नहीं फिटनेस. इन सारी औपचारिकताओं को पूरा कर वाहन छुड़ाने में नौ की लकड़ी नब्बे खर्च वाली कहावत चरितार्थ होती है. प्रत्येक वर्ष पुलिस द्वारा अभियान चलाकर वाहनों को पकड़ा जाता है. जिससे लगातार संख्या में इजाफा होते जा रहा है .वाहनों की बढ़ती संख्या के कारण छौड़ाही थाना का अधिकांश कैंपस पूर्ण रूप से कबाड़ खाना की शक्ल अख्तियार कर चुका है. इस संबंध में वरीय पदाधिकारी भी सटीक उत्तर देने में ना नुकुर करते रहते हैं. वे कहते हैं कि नीलामी की प्रक्रिया करने के बाद ही वाहनों को थाना से हटाया जायेगा. थाने में जब्त वाहन अलग अलग घटनाओं से जुड़ा हुआ है. बताया जाता है कि शराब तस्करी में जब्त बड़े वाहनों के फर्जी रजिस्ट्रेशन दास्तावेज आड़े आ रहा है तो जिसके सही मालिक का नाम पता है तो वैसे गाड़ियों का जिला पदाधिकारी के स्तर से नीलामी प्रक्रिया अपनाने के बाद ही वाहनों के मामले में कार्रवाई की जा सकती है. वहीं, अन्य मामलों में जब्त वाहन न्यायालीय प्रक्रिया अथवा नियमानुसार लावारिस अवस्था में बरामद तथा जब्त वाहन के छह माह बाद निस्तारण की प्रक्रिया शुरू की जानी होती है. वाहन बरामद होने पर पुलिस पहले उसे धारा 102 के तहत पुलिस रिकॉर्ड में लेती है. बाद में न्यायालय में इसकी जानकारी दी जाती है. न्यायालय के निर्देश पर सार्वजनिक स्थानों पर पंपलेट आदि चिपकाकर अथवा समाचार पत्रों के माध्यम से उस वाहन से संबंधित जानकारी सार्वजनिक किये जाने का प्रावधान है,ताकि वाहन मालिक अपना वाहन वापस ले सके. लावारिश अथवा अन्य किसी मामले में जब्त वाहन के निस्तारण की प्रक्रिया काफी लंबी होती है. पहले तो पुलिस थाना स्तर पर इंतजार करती है कि वाहन मालिक आकर अपना वाहन ले जाये. काफी इंतजार के बाद भी जब मालिक नहीं आता है, तब न्यायिक प्रक्रिया शुरू की जाती है. इससे काफी समय लगता है.

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