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जिले में प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है प्रदूषण, बेगूसराय का एक्यूआइ पहुंचा 182 पर

जिले में प्रदूषण दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. बुधवार को बेगूसराय एक्विआई 182 दर्ज किया गया.

बेगूसराय. जिले में प्रदूषण दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. बुधवार को बेगूसराय एक्विआई 182 दर्ज किया गया. पूरे बिहार में जिले की पहचान औद्योगिक नगरी के रुप में है.वहीं दूसरी और कैंसर रोग के मामले में बेगूसराय जिला प्रथम स्थान पर पहुंच गया है. जिले में जल प्रदूषण से लेकर वायु प्रदूषण तक दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. प्रदूषण के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. वायु प्रदूषण का मामला भी जिले में बढ़ रहें हैं. वायु प्रदूषण लोगों को सांस संबंधी दिक्कतें तथा हार्ट व फेफड़े से जुड़ी परेशानी का प्रमुख कारण माना जाता है. बेगूसराय जिले में एक से बढ़कर एक फैक्ट्रियां लगी हुई है.उन फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं भी वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक है.वहीं शहर में चल रहे विभिन्न तरह के निर्माण संबंधी विकास कार्यों से उड़ रहे धूलकण भी वायु को प्रदूषित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहें हैं. तो दूसरी और वायु प्रदूषण की रोकथाम को लेकर सरकार व संबंधित विभागों की उदासीनता भी प्रमुख कारणों में से एक है. जिला प्रशासन व नगर निगम प्रशासन द्वारा गर्मी के मौसम में उड़ते धूलकणों को रोकने के लिए पानी टैंक से सड़कों पर पानी का छिड़काव कर अपने दायित्वों का निर्वहन तो कर देते हैं.किंतु सवाल यह उठता है कि क्या वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए इतना ही प्रयास कर देना काफी तो नहीं है.जिले के फैक्ट्रियों की धूंए पर निगरानी करने वाले संबंधित विभागों का भी दायित्व है.जिले में जितनी भी फैक्ट्रियां है.उन फैक्ट्रियों द्वारा प्रतिवर्ष वायु प्रदूषण की रोकथाम को लेकर कितना पौधारोपण हो रहा है. इसपर भी कड़ी निगरानी रखने की जरूरत है. पर्यावरण जागरूकता अभियान को बढ़ावा देने के लिए भी जो कार्य हो रहें हैं वो सिर्फ कागजों तक ही सिमटें हुए हैं. पर्यावरण की सुरक्षा व प्रदूषण मुक्त वायु के लिए बड़े पैमाने पर सामाजिक जागरूकता चलाना जरूरी है. लोग प्रतिदिन जहरीली हवा को स्वांस के माध्यम से लेकर अपने शरीर को रोगग्रस्त करते जा रहें हैं.

सामाजिक जागरूकता के अभाव में दीपावली में जलाये गये जहरीले पटाखे

जागरुकता की कमी के कारण ही दीपावली जैसे त्योहारों पर लोग जहरीले पटाखे जलाते हैं और वायु प्रदूषण को और अधिक बढ़ा देते हैं. धूमधड़ाके पटाखे प्रदूषण के मामले में खतरनाक होते है. यह सही है कि वायु प्रदूषण की एकलौती वजह पटाखे नही होते हैं.परंतु प्रदूषण में दिवाली पर जलने वाले पटाखे की भी हिस्सेदारी होती है. पटाखे से प्रदूषण के 2.5 कण निकलते है.यह कण हवा में मिलकर वायु प्रदूषण में अपनी हिस्सेदारी बढाती है.जो पर्यावरण व स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक होते हैं.जिले में भी पटाखे से प्रदूषण बढा है. पटाखे के इस्तमाल पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद जन जागरुकता के अभाव में तथा उत्सवी उत्साह के कारण लोगों ने जमकर प्रदूषण फैलाने वाले पटाखे को जलाया.इनमें ज्यादातर फूटने वाले धूमधड़ाके वाले पटाखे की थी.ग्रीन पटाखों का अनुपात नहीं के बराबर था. जिससे एक बार फिर इस बात को बल मिल गया कि जब तक प्रशासनिक स्तर पर पटाखे की बिक्री व इस्तमाल को लेकर ठोस पहल नहीं होती है. प्रदूषण के मामले में पटाखे से लिकलने वाले धुयें भी अपनी भागीदारी निभाते रहेंगे.18 अक्टूबर को जिला का प्रदूषण स्तर 94 एक्यूआइ पर था जो तीन दिनों की दीपावली त्यौहार के बाद 199 एक्यूआइ पर पहुंच गया है.

वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए अधिक पौधारोपण है जरूरी

वायु प्रदूषण की रोकथाम में पेड़ पौधे अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं. क्योंकि वे प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से वायु से कार्बन डाइऑक्साइड को सोखते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं. इसके अतिरिक्त, वे अपनी पत्तियों और छाल के माध्यम से वायु से सूक्ष्म कणों और हानिकारक गैसों जैसे नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड को फंसाते हैं और अवशोषित करते हैं. पेड़ वातावरण को ठंडा करके भी प्रदूषकों के सांद्रण को कम करते हैं और शहरी क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता में सुधार करते हैं. वायु प्रदूषण कम करने के लिए वृक्षारोपण के काफी लाभ होते है. सही जगहों पर पेड़ लगाने से स्थानीय वायु गुणवत्ता में सुधार होता है और लोगों के लिए सांस लेना आसान हो जाता है. स्वास्थ्य लाभ: जिन इलाकों में अधिक पेड़ होते हैं, वहां बच्चों में अस्थमा जैसी श्वसन संबंधी बीमारियों की दर कम होती है. हरे भरे पेड़ की कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने की उनकी क्षमता ग्रीनहाउस गैसों को कम करने और जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में मदद करती है.

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