खोदावंदपुर. प्रखंड क्षेत्र में सरकारी समर्थन मूल्य पर धान की खरीदारी समय पर शुरू न होने से किसानों में भारी नाराजगी है. सहकारिता विभाग ने धान खरीद की तिथि 15 नवंबर निर्धारित की थी, लेकिन तय समय के बावजूद प्रखंड के अधिकांश पैक्स में खरीदारी शुरू नहीं हो सकी है. स्थिति यह है कि बाजार में धान 1500 से 1600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जा रहा है, जबकि वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए सरकार ने धान का एमएसपी 2369 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है. इस अंतर के कारण किसानों को प्रति क्विंटल 600 से 700 रुपये तक का नुकसान उठाना पड़ रहा है. जरूरतमंद किसान मजबूरी में अपना धान औने-पौने दामों पर बेच रहे हैं, जबकि अधिकतर किसान पैक्स में एमएसपी पर बेचने की आस लगाये बैठे हैं. किसानों का आरोप है कि सरकारी तंत्र की शिथिलता के कारण खरीद प्रक्रिया में देरी हो रही है. इस कारण किसानों में असंतोष व्याप्त है. प्रखंड सहकारिता प्रसार पदाधिकारी शैलेश कुमार ने बताया कि सागी, दौलतपुर और बाड़ा तीन पैक्सों में धान खरीद शुरू कर दी गयी है. साथ ही खोदावंदपुर व्यापार मंडल और खोदावंदपुर पैक्स को भी धान खरीद की अनुमति दे दी गयी है. मेघौल, बरियारपुर पश्चिमी, बरियारपुर पूर्वी और फफौत पैक्स को भी जल्द ही धान खरीद की हरी झंडी दे दी जायेगी. बीसीइओ के अनुसार प्रथम चरण में प्रत्येक पैक्स को 427 क्विंटल यानी एक लॉट धान खरीदने का लक्ष्य दिया गया है. किसान एमएसपी पर धान बेचने के लिए अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन करायेंगे. मिली जानकारी के अनुसार धान खरीद की अंतिम तिथि 28 फरवरी निर्धारित है. किसानों ने मांग की है कि प्रशासन समय पर खरीद प्रक्रिया को सुचारु रूप से जारी करे, ताकि उन्हें अपनी उपज का उचित मूल्य मिल सके.
बखरी में धान की खरीदारी ठप, किसानों को बढ़ी परेशानी
बखरी. प्रखंड की पैक्स में धान की खरीदारी ठप हो गयी है. पैक्स अध्यक्ष अनिल यादव, इंद्रदेव दास, पंकज वर्मा, बलराम सिंह कुशवाहा, अंजू देवी, जितेंद्र महतो आदि ने बताया कि राज्य के सभी बीसीओ अपनी मांगों के समर्थन में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. हड़ताल के कारण किसानों को पेमेंट नहीं हो पा रहा है और धान खरीदना असंभव हो गया है. किसानों हरेराम यादव, जितेंद्र यादव, सिकंदर यादव, रामजी साव, दिनेश यादव, रोहित पंडित, रामनरेश ईश्वर, राहुल ईश्वर, रामसगुन यादव, राजकपूर साह आदि ने कहा कि खेती का मौसम चरम पर है. वे धान बेचकर नकदी प्राप्त कर खेती-बाड़ी करना चाहते थे. किसानों ने सरकार से वैकल्पिक व्यवस्था के तहत धान खरीदारी की मांग की है.
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