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दुष्कर्म के झूठे केस में अनुसंधानकर्ता से मांगा गया स्पष्टीकरण

व्यवहार न्यायालय मंझौल के एसडीजेएम मयंक कुमार पांडे की कोर्ट ने शनिवार 21 जून को झूठे बलात्कार का मुकदमा दर्ज करने के आरोप में आइपीसी की धारा 182/ 211 के अंतर्गत सूचिका एवं पीड़िता के ऊपर संज्ञान लिया है.

चेरियाबरियारपुर. व्यवहार न्यायालय मंझौल के एसडीजेएम मयंक कुमार पांडे की कोर्ट ने शनिवार 21 जून को झूठे बलात्कार का मुकदमा दर्ज करने के आरोप में आइपीसी की धारा 182/ 211 के अंतर्गत सूचिका एवं पीड़िता के ऊपर संज्ञान लिया है. ज्ञात हो कि खोदाबंदपुर थाना क्षेत्र के मेघौल निवासी सूचिका राजकुमारी देवी ने अपनी लड़की के साथ बलात्कार का आरोप लगाते हुए मंझौल निवासी शंभू सहनी, संजय सहनी, अजय सहनी, रणजीत सिंह सहनी समेत कुल आठ लोगों पर 27 जून 2024 को खोदाबंदपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. मामले की गंभीरता को समझते हुए पुलिस अधिकारी ने गहन छानबीन के उपरांत रेप का झूठा मुकदमा दर्ज करने की रिपोर्ट न्यायालय में समर्पित की थी. मुकदमे में 164 का बयान हुआ था. लेकिन पीड़िता ने मेडिकल चेकअप से मना कर दिया था. कोई भी साक्ष्य बलात्कार के आरोप का समर्थन नहीं किया था. इसी कारणवश सूचिका राजकुमारी देवी एवं पीड़िता आरती कुमारी पर झूठा बलात्कार का मुकदमा दर्ज करने के आरोप में न्यायालय द्वारा आइपीसी की धारा 182/211 के तहत संज्ञान लिया है. जांच पुलिस अधिकारी ने आरोप पत्र में इस मुकदमे को असत्य करार देते हुए रिपोर्ट दाखिल किया गया था. किंतु पुलिस अनुसंधान कर्ता अधिकारी ने 182/ 211 आईपीसी का प्रतिवेदन नहीं दिया था. इसलिए न्यायालय ने संबंधित अनुसंधानकर्ता पुलिस अधिकारी से रिपोर्ट कम स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है.

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