बीहट. सर्वमंगला आश्रम में चल रहे श्रीमद भागवत और कार्तिक महात्म्य की कथा का प्रवचन करते हुए सर्वमंगला के अधिष्ठाता स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने कहा कि इस कलयुग में भी वही सनातनी पत्नी कहलाती है जो पति की सब प्रकार से सेवा करने वाली होती है.कुल,खानदान का नाम रौशन करने वाली होती है,जो कुलदेवी कि सेवा करने वाली होती है,जो अपने पति को कर्म और धर्म के प्रति सदैव प्रेरित करती है.वही सच्ची पत्नी कहलाने योग्य होती हैं.आज हम स्वतंत्र भारत के प्राणी कहलाते हैं फिर भी हम परतंत्रता की बेड़ी में जकड़े हुए हैं.वह धन्य हैं जो अपनी संस्कृति और संस्कार को बनाए रखती है. कहते हैं कि एक तो प्रभु किसी को अपनाते नहीं और उन्होंने जिनको अपना लिया उसको कभी छोड़ते नहीं. जन्म-जन्मांतर की पुण्य जब संचित होती है तब मनुष्य के ऊपर ईश्वर की कृपा होती है और वह परम गति को प्राप्त करता है.विशुद्ध ज्ञान को वही प्राप्त कर सकता है जो सच्चा सनातनी होगा. वहीं शिखा,सूत्र और गोत्र को हमेशा याद रखते हैं.उन्होंने कहा किसी भी कथा और खास करके श्रीमद् भागवत कथा का प्रसाद जो कोई भी प्राणी ग्रहण करते हैं वह सभी प्रकार के प्रसन्नता देने वाली होती है.सारे पाप,ताप को नष्ट करने वाली होती है.इसीलिए हर एक प्राणी को किसी प्रवचन कथा और पूजा का प्रसाद अवश्य ग्रहण करना चाहिए.अंत में रवीन्द्र ब्रह्मचारी और पं लक्ष्मणानंद के संगीतमय भजन और आरती के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ.
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