बीहट. बीहट नगर परिषद के मालती गांव स्थित हनुमान मंदिर के प्रांगण में आयोजित कथा में दूर-दूर से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. पांचवें दिन उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करते हुए कथावाचक दो दुर्गेशाचार्य जी महाराज ने कहा कि पुराणों के क्रम में भागवत पुराण पांचवा स्थान है, पर लोकप्रियता की दृष्टि से यह सबसे अधिक प्रसिद्ध है. वैष्णव के इस पुराण को ””””””””महापुराण”””””””” मानते हैं. यह भक्तिशाखा का अद्वितीय ग्रंथ माना जाता है और आचार्यों ने इसकी अनेक टीकाएं की है. कृष्ण-भक्ति का यह आगार है. साथ ही उच्च दार्शनिक विचारों की भी इसमें प्रचुरता है. परवर्ती कृष्ण-काव्य की आराध्या राधा का उल्लेख भागवत में नहीं मिलता. इस पुराण का पूरा नाम श्रीमद् भागवत पुराण है. इसका मुख्य वर्ण्य विषय भक्ति योग है, जिसमें कृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है. इसके अतिरिक्त इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरुपण भी किया गया है. परंपरागत तौर पर इस पुराण के रचयिता वेद व्यास को माना जाता है. डॉ दुर्गेशाचार्य जी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत भारतीय वाङ्मय का मुकुटमणि है. भगवान शुकदेव द्वारा महाराज परीक्षित को सुनाया गया भक्तिमार्ग तो मानो सोपान ही है. इसके प्रत्येक श्लोक में श्रीकृष्ण-प्रेम की सुगन्धि है. इसमें साधन-ज्ञान, सिद्धज्ञान, साधन-भक्ति, सिद्धा-भक्ति, मर्यादा-मार्ग, अनुग्रह-मार्ग, द्वैत, अद्वैत समन्वय के साथ प्रेरणादायी विविध उपाख्यानों का अद्भुत संग्रह है. मौके पर राकेश राय, मुकेश कुमार गुड्डू,शिवम कुमार, देवनन्दन राय, प्रदूम्न राय, अर्चना कुमारी, राजू राय, राजीव कुमार राय, सुबोध कुमार राय सहित बड़ी संख्या में सनातनी उपस्थित थे.
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