विपिन कुमार मिश्र, बेगूसराय : मटिहानी-शाम्हो पथ स्थित गंगा नदी में ठेकेदारों व नाविकों की लापरवाही से इन दिनों स्थानीय लोग न सिर्फ परेशान हैं वरन इस कड़ाके की धूप व गर्मी में लोगों को प्रतिदिन हलकान होना पड़ता है. कई बार इस संबंध में लोगों ने स्थानीय से लेकर जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया लेकिन आज तक इस दिशा में ठोस पहल नहीं होने से लोगों की परेशानियां बढ़ती ही जा रही है.
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मटिहानी-शाम्हो गंगा घाट पर मानक को ताक पर रख हो रहा नावों का परिचालन
विपिन कुमार मिश्र, बेगूसराय : मटिहानी-शाम्हो पथ स्थित गंगा नदी में ठेकेदारों व नाविकों की लापरवाही से इन दिनों स्थानीय लोग न सिर्फ परेशान हैं वरन इस कड़ाके की धूप व गर्मी में लोगों को प्रतिदिन हलकान होना पड़ता है. कई बार इस संबंध में लोगों ने स्थानीय से लेकर जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट […]
शाम्हो प्रखंड की 50 हजार की आबादी के लिए अभी भी गंगा नदी में नाव ही है मुख्य सहारा : जिले का एक मात्र शाम्हो प्रखंड है जहां अभी भी प्रखंड के लोगों को जिला मुख्यालय तक पहुंचने के लिए गंगा नदी में नाव ही आवागमन का मुख्य साधन है. अगर सड़क मार्ग से शाम्हो के लोगों को बेगूसराय तक पहुंचना होगा तो लगभग 100 किलोमीटर व तीन जिलों को पार करना पड़ता है. जिसमें घंटों का समय बर्बाद लोगों का होता है. इसी के तहत समय की बचत के लिए अभी भी शाम्हो प्रखंड के अधिकांश लोग नाव से ही आवागमन करते हैं.
फरवरी-मार्च माह में प्रत्येक वर्ष नाव घाट का होता है टेंडर : मटिहानी-शाम्हो गंगा घाट का प्रत्येक साल फरवरी-मार्च के माह में टेंडर होता है. टेंडर के समय प्रशासन के द्वारा स्पष्ट निर्देश दिया जाता है कि नाव खोलने की समय सीमा,नाव पर क्षमता से अधिक लोडिंग नहीं करने, किसी भी कीमत में जर्जर नाव का परिचालन नहीं करने समेत अन्य निर्देश दिये जाते हैं. लेकिन टेंडर हो जाने के बाद एक भी नियमों का पालन नहीं किया जाता है.
जिससे नाव से यात्रा करने वाले लोगों में हमेशा दहशत का माहौल बना रहता है. बताया जाता है कि ठेकेदारों के द्वारा नाव का सही समय पर परिचालन नहीं करने से इस ऊमस भरी गर्मी व कड़ाके की धूप में यात्री गंगा घाट के किनारे इंतजार करते रहते हैं. इधर नाविक ठेकेदारों की मिलीभगत से नाव का इस्तेमाल अन्य व्यावसायिक कार्यों में करने लगते हैं. नतीजा होता है कि नाव चलाने वालों को यात्रियों की चिंता नहीं होती है और यात्री हलकान होते हैं.
गंगा घाट पर नाव परिचालन की नहीं होती है जांच: मटिहानी-शाम्हो गंगा घाट काफी पुराना गंगा घाट है. वर्षों से लोग कम दूरी तय करने को लेकर बेगूसराय से शाम्हो तक की यात्रा करते हैं. लेकिन सबसे ताज्जूब की बात यह है कि नाव घाट का टेंडर हो जाने के बाद कभी भी इसकी जांच नहीं की जाती है. अगर जांच भी होती है तो महज खानापूर्ति कर छोड़ दिया जाता है.
आज तक प्रशासन के लोगों के द्वारा इसकी सुधि नहीं ली गयी है कि इस घाट पर जो नाव का परिचालन किया जा रहा है उसमें क्या-क्या खामियां हैं. जांच नहीं होने से गंगा घाट पर नावों के परिचालन की व्यवस्था पुरानी पद्धति से ही करायी जा रही है. नतीजा है कि इस मार्ग से यात्रा करने वाले लोग हमेशा हलकान होते हैं.
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