बरौनी(नगर) : जिला प्रशासन की उपेक्षा के कारण सावन माह की दूसरी सोमवारी पर भी सिमरिया घाट पर श्रद्धालु मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसते रह गये. कांवरियों को घाट पर पसरी गंदगी,मल-मूत्र से उठते दुर्गंध सहित
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गंदगी के बीच गंगा में डुबकी लगा रहे कांवरिये
बरौनी(नगर) : जिला प्रशासन की उपेक्षा के कारण सावन माह की दूसरी सोमवारी पर भी सिमरिया घाट पर श्रद्धालु मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसते रह गये. कांवरियों को घाट पर पसरी गंदगी,मल-मूत्र से उठते दुर्गंध सहित अन्य बदइंतजामी के बीच ही गंगा में डूबकी लगाने के लिए विवश होना पड़ा. और जल भरकर हरिगिरिधाम के […]
अन्य बदइंतजामी के बीच ही गंगा में डूबकी लगाने के लिए विवश होना पड़ा. और जल भरकर हरिगिरिधाम के लिए रवाना हुए. विदित हो कि पूरे सावन माह में पवित्र मिथिलांचल की तीर्थ नगरी कहे जाने वाले सिमरिया गंगा घाट पर कांवरियों की भीड़ होती है. सिमरिया घाट से ही सबसे अधिक कांवरियों व डाक बम जल भरकर हरिगिरिधाम गढ़पुरा के लिए रवाना होते हैं. इतना महत्वपूर्ण स्थल होने के बाद भी जिला प्रशासन के द्वारा अब तक किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं होना प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है.
पिछले वर्ष की तुलना में इस बार मुख्य सीढ़ी घाट और रामघाट पर बैरिकेडिंग तथा अपर्याप्त रोशनी की व्यवस्था कर जिला प्रशासन ने मात्र औपचारिकता का निर्वहन किया है.आश्चर्य की बात तो यह है कि श्रावणी मेले को लेकर सरकार प्रतिवर्ष लाखों खर्च करती है ,वहीं दूसरी ओर जिला प्रशासन से लेकर प्रखंड प्रशासन तक के अधिकारियों ने सिमरिया घाट की ओर झांकना तक मुनासिब नहीं समझा है. जिसका नतीजा है सिमरिया घाट पर हर तरफ बदइंतजामी का नजारा चारो ओर दिख रहा है.मुख्य स्नान घाट तक जानेवाली सड़क का स्थानीय दूकानदारों द्वारा अतिक्रमण, महिलाओं के कपड़ा बदलने के लिए चेंजिंग रूम, चिकित्सा केंद्र,पीने के लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था, सड़क की साफ-सफाई सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं की कमी जिला प्रशासन की अनदेखी की कहानी खुद बयां कर रही है.
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