प्रखंड क्षेत्र के अन्नदाताओं की बढ़ी चिंता, फसल बर्बादी का खतरा
गौरव कश्यप, पंजवारा. थाना क्षेत्र के पंजवारा और आसपास के गांवों में इन दिनों किसान दोहरी मार झेल रहे हैं. एक ओर धान की फसल खेतों में पक कर तैयार खड़ी है, तो दूसरी ओर मजदूरों की भारी कमी और खेतों में अत्यधिक नमी के कारण कटाई का काम पूरी तरह प्रभावित हो रहा है. किसानों की मेहनत और लागत अब बर्बादी के कगार पर है.मजदूरों का पलायन बना मुख्य कारण
स्थानीय किसानों के अनुसार, धान कटाई के लिए मजदूरों का मिलना लगभग असंभव हो गया है. अधिकांश खेतिहर मजदूर रोजगार की तलाश में बड़े शहरों, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा या स्थानीय ईंट-भट्टों पर पलायन कर चुके हैं, जो मजदूर उपलब्ध हैं, वे मनमाना मजदूरी मांग रहे हैं, जो छोटे और मध्यम किसानों की पहुंच से बाहर है. फसल बिल्कुल तैयार है, लेकिन मजदूर नहीं मिल रहे. अगर जल्द कटाई नहीं हुई, तो खेत में ही दाने झड़ने लगेंगे और फसल बर्बाद हो जायेगी.नमी और कीचड़ से मशीनी कटाई भी मुश्किल
हाल की बारिश और खेतों में नमी के कारण स्थिति और गंभीर हो गयी है. नमी के चलते कटाई के लिए खेतों में हार्वेस्टर मशीनें या अन्य कृषि उपकरण ले जाना मुश्किल हो गया है. जिन खेतों में मशीनी कटाई संभव भी है, वहां कीचड़ और गिरे हुए धान की फसल को मशीनें ठीक से नहीं काट पा रही हैं, जिससे किसानों को दोहरा नुकसान हो रहा है.रबी फसल की बुआई पर भी असर
धान की कटाई में हो रही इस देरी का सीधा असर रबी फसल (जैसे गेहूं) की बुआई पर पड़ना तय है. धान की कटाई और खेत की जुताई समय पर न होने से रबी की बुआई का अनुकूल समय निकल रहा है, जिससे आगामी फसल के उत्पादन पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

