केंद्र व एएसआई को रिपोर्ट पेश करने का निर्देश, बिहार सरकार से भी शपथपत्र तलब औरंगाबाद शहर. देव सूर्य मंदिर और उमगा के प्राचीन मंदिर परिसर के संरक्षण को लेकर दायर याचिका की सुनवाई के दौरान पटना हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है. यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता सिद्धेश्वर विद्यार्थी और इतिहासकार प्रेमेंद्र कुमार मिश्रा द्वारा हाईकोर्ट में दायर की गयी थी. शनिवार को याचिकाकर्ताओं ने बताया कि कोर्ट ने भारत सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) को निर्देश दिया है कि वे चार सप्ताह के भीतर दोनों ऐतिहासिक मंदिरों की हेल्थ ऑडिट रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत करें. इसके साथ ही बिहार सरकार को भी शपथपत्र दाखिल करने का आदेश दिया गया है, जिसमें इन स्थलों के संरक्षण व स्थिति से जुड़े सवालों के स्पष्ट जवाब शामिल होंगे. यह आदेश 20 नवंबर 2025 को एक्टिंग चीफ जस्टिस सुधीर सिंह और जस्टिस राजेश कुमार वर्मा की खंडपीठ ने सिविल रिट याचिका संख्या 16861/2025 की सुनवाई के दौरान दिया है. याचिकाकर्ताओं ने देव और उमगा के ऐतिहासिक मंदिरों की लगातार खराब होती हालत को रेखांकित करते हुए विशेषज्ञ संरक्षण की मांग की थी. याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता सुमन सौरभ ने बताया कि याचिका में कहा गया है कि देव सूर्य मंदिर और उमगा विश्व स्तर पर सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक हैं, परंतु लापरवाही और उचित संरक्षण के अभाव में इनका ढांचा क्षतिग्रस्त होता जा रहा है. यदि समय रहते विशेषज्ञ संरक्षण नहीं मिला तो ये धरोहरें भविष्य के लिए बचाना कठिन हो जायेगा. हाईकोर्ट के निर्देश के बाद यह उम्मीद जग गयी है कि दोनों मंदिरों को पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों का संरक्षण प्राप्त होने का रास्ता अब साफ हो सकता है. मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होने की संभावना है. सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा को लेकर हाईकोर्ट का यह कदम राज्य में ऐतिहासिक धरोहरों की रक्षा की दिशा में बड़ा हस्तक्षेप माना जा रहा है.
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