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खाद को लेकर हाहाकार,घंटों कतार में लगे रहे किसान

सोमवार को जैसे ही किसानों को सूचना मिली कि मदनपुर बिस्कोमान में यूरिया आ गया है, किसान भूखे-प्यासे सुबह से ही कतार में खड़े हो गये

मदनपुर. सोमवार को जैसे ही किसानों को सूचना मिली कि मदनपुर बिस्कोमान में यूरिया आ गया है, किसान भूखे-प्यासे सुबह से ही कतार में खड़े हो गये. धीरे-धीरे बड़ी संख्या में किसान इकट्ठा हो गये, लेकिन किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. वितरण खिड़की पर किसान खाद के लिए आपस में ही धक्का-मुक्की करते रहे. किसान कमलेश प्रजापत, सुरेंद्र पासवान, वीरेंद्र महतो, विनय कुमार, जीतेंद्र यादव, रामेश्वर महतो, सुशीला देवी आदि ने बताया कि वे लोग सुबह से ही भूखे-प्यासे खाद के लिए खड़े है. उनसे आधार कार्ड मांगकर लाइन में खड़े रहने के लिए कहा गया. इसके बावजूद उनलोगों को खाद नहीं मिला. कड़ी धूप में यहां पीने के लिए पानी की भी व्यवस्था नहीं है. वे लोग कई दिनों से खाद के लिए परेशान हैं. खाद नहीं मिलने से खेतों में धान की फसल बर्बाद हो रही है. अगर धान की खेती बर्बाद हो जायेगी तो उनकी समस्या बढ़ जायेगी. किसानों ने बताया कि स्थानीय जनप्रतिनिधि चाहे वो सांसद हों या विधायक सभी लोग चुनाव में व्यस्त हैं. चुनाव में किसानों से खोखले वादे कर राजनीति कर लेते है, लेकिन आज उन्हें किसानों की परेशानी व दर्द नहीं दिखाई दे रहा है. अन्नदाताओं का शुभचिंतक कोई नहीं है. किसानों ने सरकार से मांग की है कि समय पर जरूरत के हिसाब से यूरिया खाद उपलब्ध करायी जाये. साथ ही वे लोग महंगे दाम पर बिचौलिये से खाद खरीदने पर मजबूर है. उस कालाबाजारी पर रोक लगायी जाये. इस संबंध में बिस्कोमान के प्रबंधक से मोबाइल के जरीये बात करने की कोशिश की गयी लेकिन, उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया.

किसानों की समस्या कर रहे दूर

व्यापार मंडल अध्यक्ष पियूष रंजन उर्फ रिशु सिंह ने कहा कि इस बार बिस्कोमान में 500 बोरा ही खाद आया है. लेकिन, जरूरत है उससे अधिक की तो किसानों तक जरूरत के हिसाब से खाद कैसे पहुंचेगी. उन्होंने किसानों की भलाई के लिए बिस्कोमान का निर्माण करा दिया, ताकि किसानों को भाग -दौड़ नहीं करना पड़े.लेकिन, ऊपर से ही खाद अलाउटमेंट जरूरत के हिसाब से नहीं हो रहा है. सरकार को चाहिए कि किसानों की जनसंख्या के अनुसार खाद की उपलब्धता करायी जाये. पिछले वर्ष भी कम अलाउटमेंट की वजह से किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था. अगली बार किसानों की संख्या एवं उनकी जरूरत के हिसाब से खाद का अलाउटमेंट किया जाये. वे लोग स्थानीय जनप्रतिनिधि है. किसान अपनी समस्या लेकर उनके पास आते है, तो वे अपने स्तर से समाधान का प्रयास करते है.

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