महापर्व छठ के बाद परदेश लौट रहे प्रवासियों की स्टेशनों पर उमड़ी भीड़
ट्रेनों में अफरा-तफरी की स्थिति, प्रमुख ट्रेनों में ‘नो रूम’फोटो नंबर-3-ट्रेन पर चढ़ने की ऐसे दिखी आपाधापी3ए-ट्रेन के भीतर ऐसे दिखा भीड़ का नजाराप्रतिनिधि, औरंगाबाद/फेसर.
महापर्व छठ समाप्त होते ही एक बार फिर जिले से प्रवासियों का पलायन शुरू हो गया है. अपनी मिट्टी और अपनों से जुड़ने का जो उत्सव छठ लाता है, उसके खत्म होते ही रोजगार की मजबूरी लोगों को फिर से परदेश की राह पकड़ने को विवश कर रही है. दिल्ली, मुंबई, सूरत, पंजाब, गुजरात जैसे बड़े शहरों की ओर लौट रहे प्रवासी मजदूरों और नौकरीपेशा वाले लोगों की भीड़ से जिले के प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर अफरातफरी मची हुई है. अनुग्रह नारायण रोड, फेसर और रफीगंज स्टेशन पर सोमवार से ही यात्रियों की भारी भीड़ देखी जा रही है. ट्रेनों के डिब्बों और गेटों पर लटके यात्री इस बात का संकेत दे रहे हैं कि छठ पर्व के लिए घर लौटे लाखों कामगार अब अपनी कर्मभूमि की ओर लौट रहे हैं. प्लेटफॉर्म पर खड़े यात्रियों का कहना है कि सीट मिलनी तो दूर, अब ट्रेन में खड़े होकर भी सफर करना मुश्किल है. दिल्ली-मुंबई जाने वाले ट्रेनों की स्थितिअनुग्रह नारायण रोड स्टेशन से दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद जाने वाली ट्रेनों में वेटिंग सूची 100 के पार हो चुकी है. दिल्ली जाने वाली महाबोधि एक्सप्रेस में वेटिंग की संख्या 134 तक पहुंच गयी है, जबकि अमृत भारत एक्सप्रेस में 124 वेटिंग है. इसके अलावे 04451 हावड़ा–नयी दिल्ली स्पेशल में 121 और 04455 धनबाद–नयी दिल्ली स्पेशल में 69 वेटिंग दर्ज की गयी है. पुरूषोत्तम, पूर्वा और नेताजी एक्सप्रेस जैसी प्रमुख ट्रेनों में तो ‘नो रूम’ की स्थिति बन गयी है. मुंबई मेल और पारसनाथ एक्सप्रेस में भी सीट के लिए यात्रियों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. गौरतलब हो कि यह सभी आंकड़े गुरुवार के हैं.
फैक्ट्री में काम करने वाले अधिकछठ के बाद लौटने वालों में अधिकांश लोग फैक्ट्री, ट्रांसपोर्ट, सिक्योरिटी और कंस्ट्रक्शन जैसे क्षेत्रों में काम करते हैं. इनका कहना है कि छठ ही वह समय होता है, जब सालभर में एक बार अपने घर और परिवार से मिलने का मौका मिलता है. मगर, पर्व खत्म होते ही नौकरी और रोजगार की चिंता फिर उन्हें परदेस खींच ले जाती है.पेट की मजबूरी वोट पर भारीपेट की मजबूरी वोट पर भारी पड़ती दिख रही है. प्रवासियों के लौटने से जिले के कई विधानसभा क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत घटने की आशंका जतायी जा रही है. चुनावी माहौल के बीच सामूहिक पलायन का यह सिलसिला राजनीतिक दलों के लिए भी चिंता का विषय बन गया है.
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