औरंगाबाद/अंबा. शिक्षा विभाग में आउटसोर्सिंग के माध्यम से बहाल विभिन्न कर्मियों की सेवा समाप्त कर दी गयी है. विभागीय निर्देश का हवाला देते हुए प्राथमिक एवं समग्र शिक्षा के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी भोला कर्ण ने इस संबंध में पत्र जारी किया है. जिन आउटसोर्सिंग कर्मियों को हटाया गया है, उनमें 23 बीपीएम, 23 बीआरपी, एमडीएम ऑपरेटर, बीडीएमसी ऑपरेटर समेत अन्य शामिल हैं. आउटसोर्सिंग के माध्यम से कार्य कर रहे 64 कर्मियों के अलावा विभिन्न प्रखंडों में बीआरपी के रूप में कार्य कर रहे सेवानिवृत शिक्षक को भी कार्य से हटा दिया गया है. इस तरह एक साथ औरंगाबाद जिले से शिक्षा विभाग के 80 से अधिक कर्मी हटाये गये हैं. एकाएक सेवा समाप्त किये जाने से कर्मियों में असंतोष है. हटाये गये कर्मी अब आंदोलन करने की योजना बना रहे हैं, तो कई कर्मी न्यायालय के शरण में जाने की तैयारी में लगे हैं. हालांकि पिछले सप्ताह बीपीएम द्वारा पटना उच्च न्यायालय में याचिका दर्ज किया गया है. इसके अलावा अन्य कर्मी भी न्यायालय में अपील करने की तैयारी कर रहे हैं. सभी कर्मचारी हटाये जाने से एक ओर कर्मचारियों के रोजी रोजगार पर असर पड़ेगा वहीं दूसरी ओर शिक्षा विभाग मैं चल रहा है कार्यों पर भी असर दिखेगा है. वर्तमान में शिक्षा विभाग मे नियमित कर्मियों की काफी कमी है. न तो सभी प्रखंडों में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी है और न ही लिपिक संवर्ग के कर्मी. सभी तरह के कार्यों का निष्पादन आउटसोर्सिंग कर्मियों के तहत किया जाता था. गौरतलब हो कि आठ फरवरी को वीसी के माध्यम से आयोजित बैठक में शिक्षा विभाग के एसीएस डा एस सिद्धार्थ ने स्पष्ट तौर पर आउटसोर्सिंग के माध्यम से बहाल कर्मियों से 31 मार्च के बाद कार्य नहीं लेने का निर्देश दिया था. उन्होंने आउटसोर्सिंग आधारित व्यवस्था को जापानी व्यवस्था बताते हुए आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को 31 मार्च के बाद टर्मिनेट करने का निर्देश दिया था.
केके पाठक के कार्यकाल में हुई थी बहाली
शिक्षा विभाग में तकरीबन पांच वर्ष पूर्व से कंप्यूटर ऑपरेटर आउटसोर्सिंग के माध्यम से रखे गये थे. इसके उपरांत पिछले वर्ष उस समय के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव केके पाठक के कार्यकाल में विभिन्न पदों पर आउटसोर्सिंग कर्मियों की बहाली की गयी. जिन पदों पर आउटसोर्सिंग कर्मियों की बहाली की गई है उनमें कंप्यूटर ऑपरेटर के अलावा जिला स्तर पर डीपीएम, प्रोगामर, प्रखंड स्तर पर बीपीएम व बीआरपी आदि शामिल है. महज एक से डेढ़ वर्ष में ही कर्मियों की सेवा समाप्त किए जाने से कर्मचारी एवं उनके परिजन भुखमरी के आधार पर आ सकते हैं.दूसरे जगह पर कार्य छोड़कर शिक्षा विभाग में बहाल हुए हैं कर्मी
दुविधा में दोनों गये माया मिले ना राम. यह पंक्ति शिक्षा विभाग में आउटसोर्सिंग के तहत कार्यरत कर्मियों पर चरितार्थ साबित हो रहा है. जिन कर्मियों को हटाया गया है वह सभी दूसरे जगह से नौकरी छोड़कर सरकारी विभाग में कार्य करने की ललक से आये थे. प्राप्त जानकारी के अनुसार डीपीएम एवं बीपीएम की बहाली मे बीटेक योग्यता रखने वाले तथा बीआरपी की बहाली डीएलएड या बीएड उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को की गयी थी. इसके साथ ही अभ्यर्थियों से दो वर्ष से लेकर पांच वर्ष तक का कार्य अनुभव मांगा गया था. इससे स्पष्ट है कि सभी कर्मी कहीं न कहीं कार्यरत थे और वह पूर्व के कार्य को छोड़कर सरकारी के नाम पर शिक्षा विभाग में आउटसोर्सिंग के तहत बहाल हुए हैं. इनमें अधिकतर ऐसे कर्मचारी हैं, जिनकी सेवा महज छह माह से एक वर्ष तक ही पूरा हो सका.पांच वर्ष तक के लिए की गई थी बहाली
सरकार द्वारा कर्मियों को रखने के लिए विभिन्न एजेंसियों से तीन से पांच वर्ष तक का एग्रीमेंट किया गया था. बीपीएम की बहाली लिए एजेंसी के साथ विभाग के एग्रीमेंट के अनुसार बीपीएम तीन वर्ष के लिए रखे जायेंगे. इसके बाद सेवा संतोषजनक रहने पर दो वर्ष और बढ़ाया जायेगा. कर्मियों को हटाए जाने से कम से कम एक माह पूर्व सूचना दी जानी चाहिए थी, परंतु विभाग द्वारा ऐसा नहीं किया गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

