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प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला मतपेटियों बंद

औरंगाबाद (नगर) : कुटुंबा प्रखंड में नौवें चरण का पंचायत चुनाव 20 पंचायतों के 291 बूथों पर शांतिपूर्ण संपन्न हो गया. इसके साथ ही 1560 प्रत्याशियों के भाग्य मतपेटियों में बंद हो गये. सुबह सात बजे से ही वोटिंग की प्रक्रिया शुरू हो गयी थी, जो दोपहर तीन बजते-बजते अधिकांश बूथों पर समाप्त हो चुकी […]

औरंगाबाद (नगर) : कुटुंबा प्रखंड में नौवें चरण का पंचायत चुनाव 20 पंचायतों के 291 बूथों पर शांतिपूर्ण संपन्न हो गया. इसके साथ ही 1560 प्रत्याशियों के भाग्य मतपेटियों में बंद हो गये. सुबह सात बजे से ही वोटिंग की प्रक्रिया शुरू हो गयी थी, जो दोपहर तीन बजते-बजते अधिकांश बूथों पर समाप्त हो चुकी थी.
जिन बूथों पर मतदाताओं की लंबी लाइन थी, वहां वोटिंग की प्रक्रिया कुछ देर तक चली. चुनाव शांतिपूर्ण संपन्न कराने के लिए स्वयं जिलाधिकारी कंवल तनुज, एसपी बाबू राम व एएसपी अभियान राजेश भारती समेत अन्य पदाधिकारी सुरक्षा की कमान संभाल रखे थे.
वोटिंग की प्रक्रिया शुरू होते ही पदाधिकारी मतदान का जायजा लेने के लिए बूथों की ओर निकल पड़े. जिलाधिकारी स्वयं बाइक चला रहे थे. इसके अलावा पुलिस अधीक्षक, एएसपी अभियान व अन्य पदाधिकारी बाइक पर बैठे हुए थे. जिन बूथों पर गड़बड़ी होने की सूचना प्राप्त हो रही थी, उन बूथों पर तुरंत जिलाधिकारी पहुंच रहे थे.
कई मतदान केंद्रों पर बोगस वोटिंग कर रहे लोगों को पुलिस के जवानों ने खदेड़-खदेड़ कर पिटाई भी की. जिलाधिकारी ने कहा कि हर हाल में पंचायत चुनाव शांतिपूर्ण, निष्पक्ष, भयमुक्त संपन्न कराना मेरा उद्देश्य है. अब तक 10 प्रखंडों में चुनाव शांतिपूर्ण संपन्न हो चुका है. सिर्फ देव प्रखंड में अंतिम चरण का मतदान होना बाकी रह गया है. वहां भी निष्पक्ष व शांतिपूर्ण संपन्न होगा. इसके लिए अलग से रणनीति तैयार की जा रही है.
तेज धूप के बाद भी मतदाताओं में दिखा उत्साह
तेज धूप व भीषण गरमी के बाद भी मतदाताओं में काफी उत्साह देखा गया. सुबह वोटिंग शुरू होने के पहले से ही दर्जनों लोग कतार में खड़े हो गये. कुछ बूथों पर 12 बजे के बाद से वोटरों की संख्या कम हो गयी, पर अधिकतर बूथों पर तीन बजे तक लोग कतार में खड़े रहे. वोट के लिए महिलाओं में भी हौसला बुलंद देखा गया. अपंग व बुजुर्ग लोग भी हार नहीं मानें. सूही बूथ पर 80 वर्षीय दुलारी देवी ने वोट डाला. अंबा बूथ पर ट्राइसाइकिल से पहुंच कर सिकंदर ने भी मताधिकार का इस्तेमाल किया.
झारखंड सीमा को किया गया था सील
जिला प्रशासन को शांतिपूर्ण मतदान संपन्न कराने के लिए झारखंड की सीमा पर सबसे अधिक चिंता सता रही थी. उन्हें लग रहा था कि कहीं कोई गड़बड़ी न हो, लेकिन डीएम व एसपी ने मिल कर जो रणनीति बनायी, वह बिल्कुल कारगर साबित हुई. न तो अपराधी चुनाव में बाधा उत्पन्न कर सके और न ही नक्सली.
झारखंड सीमा को पूरी तरह सील कर दिया गया था. यहां तक कि झारखंड राज्य के हरिहरगंज शहर में खुली शराब दुकानों को भी वहां के जिला प्रशासन से आग्रह कर बंद करवाया गया था. यही नहीं, इस रास्तेसे गुजरने वाले हर व्यक्तियों पर सुरक्षाकर्मियों द्वारा नजर रखी जा रही थी. साथ ही उनकी तलाश भी की जा रही थी.
बिहार-झारखंड की सीमा पर स्थित संडा बाजार, एरका कॉलोनी व महाराजगंज सहित अन्य जगहों पर वाहन जांच अभियान चलाया जा रहा था. इसके अलावा जंगल एवं पहाड़ों पर पर्याप्त संख्या में जवानों को तैनात किया गया था. सीआरपीएफ, एसएसबी, एसटीएफ व कोबरा के जवान बाइक से क्षेत्रों में गश्ती कर रहे थे.

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