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जिले में तेजी में बढ़ रहे एड्स के मरीज

जिले में तेजी में बढ़ रहे एड्स के मरीज पुरुष के साथ महिलाएं भी चपेट में 2015 में अबतक 4053 लोगों की जांच में 40 पुरुष व 28 महिलाओं में पाया गया एचआइवी का पॉजिटिव वायरस सुशिक्षित, सभ्य व समृद्ध घरों के लोग भी एड्स के चपेट में (पेज तीन का लीड) (ग्राफिक्स लगा देंगे) […]

जिले में तेजी में बढ़ रहे एड्स के मरीज पुरुष के साथ महिलाएं भी चपेट में 2015 में अबतक 4053 लोगों की जांच में 40 पुरुष व 28 महिलाओं में पाया गया एचआइवी का पॉजिटिव वायरस सुशिक्षित, सभ्य व समृद्ध घरों के लोग भी एड्स के चपेट में (पेज तीन का लीड) (ग्राफिक्स लगा देंगे) औरंगाबाद (नगर) तमाम प्रचार-प्रसार व जागरूकता कार्यक्रम के बावजूद औरंगाबाद जिला एड्स जैसी घातक बीमारी की चपेट में आता जा रहा है. भले ही यह चिंताजनक तथ्य हो, पर वास्तविकता यही है कि जिले में लगातार एड्स मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. इस साल अब तक 4053 लोगों की खून की जांच की गयी, जिसमें 68 लोगों में एचआइवी का वायरस पॉजिटिव पाया गया है. इसमें महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों की तादाद अधिक है. अब तक महानगरों व राजधानियों समेत बड़े शहरों तक ही एड्स जैसी बीमारी को सिमटा हुआ माना जा रहा था. लेकिन, औरंगाबाद जैसे छोटे शहरों में जिस तरह से एड्स का प्रसार हो रहा है और जिस अनुपात में एड्स मरीज मिल रहे हैं. नि:संदेह यह सभी के साथ-साथ स्वास्थ्य महकमे के लिए चिंता का विषय है. समय-समय पर सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर चलाये जा रहे जागरूकता कार्यक्रम का कोई विशेष लाभ होता यहां नहीं दिख रहा और एड्स का प्रसार दोगुनी रफ्तार से हो रहा है. 12 साल पहले 2003 में जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में आइसीटीसी इंटीग्रेटेड कांउंसेलिंग एंड टेस्टिंग सेंटर की स्थापना हुई थी. तब यहां मात्र 11 लोगों में एचआइवी का संक्रमण पॉजिटिव पाया गया था. मतलब, इसकी स्थापना के समय एड्स मरीजों की संख्या बेहद कम थी. धीरे-धीरे यह आंकड़ा बढ़ता चला गया. अब हालात काफी गंभीर हो गये हैं. स्वास्थ्यकर्मियों की मानें तो पहले वैसे लोगों में एचआइवी पॉजिटिव पाया जाता था, जो बाहर दूसरे प्रदेशों में रह कर काम करते थे. लेकिन, पिछले चार-पांच सालों से बाहर से आने वाले लोगों में एचआइवी पॉजिटिव तो मिल ही रहा है. साथ ही इसमें अब वैसे लोग भी शामिल हो गये हैं, जो उच्च व मध्य आय वर्ग के हैं. इनमें महिलाओं की तादाद काफी अधिक है. वो भी कम उम्र की महिलाएं. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि सुशिक्षित, सभ्य व समृद्ध घरों के लोग भी इसकी चपेट में आ रहे हैं. जिस अनुपात में जिला में एड्स मरीजों की तादाद बढ़ रही है और स्वास्थ्य विभाग द्वारा जो आंकड़ें पेश किये जा रहे हैं. वह नि:संदेह डराने वाले हैं. 2003 में आइसीटीसी की स्थापना के बाद 193 लोगों की खून की जांच हुई थी, जिसमें 11 लोगों में एचआइवी का वायरस पॉजिटिव पाया गया था. इस वर्ष 2015 में अबतक 4053 लोगों की जांच की गयी है. 68 लोग पॉजिटिव पाया गया, जिसमें 40 पुरुष व 28 महिला है. स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की मानें तो अब खून की जांच करवाने सबसे अधिक महिलाएं ही पहुंच रही हैं. इसमें भी कम उम्र की लड़कियां व महिलाएं शामिल हैं. इस साल पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की ही काउंसेलिंग व खून जांच की गयी है. भयानक होते जा रहे आंकड़ें2003 में आइसीटीसी की स्थापना के बाद 193 लोगों की खून की जांच हुई थी, जिसमें 11 लोगों में एचआइवी का वायरस पॉजिटिव पाया गया था. 2004 में 277 लोगों की खून जांच हुई और 15 लोगों में एचआइवी पॉजिटिव मिला था. यह देखते हुए वर्ष 2005 में विभाग द्वारा पंचायत स्तर तक जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया और इस साल 4053 लोगों की खून जांच की गयी. इसमें से 28 लोगों में एचआइवी पॉजिटिव पाया गया था. इसी तरह 2006 में 2433 लोगों की खून जांच में 66 लोगों में पॉजिटिव और 2007 में 2768 लोगों की खून जांच में 55 लोगों में एचआइवी पॉजिटिव मिला. वहीं 2008 में 2206 लोगों की खून जांच में 37 और 2009 में 2304 लोगों की खून जांच के बाद 36 लोगों में एचआइवी पॉजिटिव पाया गया. 2008 व 2009 में आंकड़े कुछ स्थिर जरूर रहे, लेकिन वर्ष 2010 में इन दो सालों की अपेक्षा मरीजों की संख्या दोगुनी रफ्तार से बढ़ गयी. इस साल 2787 लोगों की खून की जांच हुई और 62 लोगों में एचआइवी पॉजिटिव मिला. वर्ष 2011 में 2180 लोगों की खून जांच में 69 और 2012 में 2600 लोगों की खून जांच में 48 लोगों में एचआइवी पॉजिटिव पाया गया. 2013 में लगभग 7445 लोगों की खून की जांच की गयी, जिसमें 49 लोगों में एचआइवी का वायरस पॉजिटिव मिला था. 2014 में 5253 लोगों की खून की जांच हुई, जिसमें 62 लोगों में एचआइवी पॉजिटिव पाया गया. इस वर्ष 2015 में अबतक 4053 लोगों की जांच की गयी है. 68 लोग पॉजिटिव पाया गया,जिसमें 40 पुरूष व 28 महिला है. ये हैं प्रारंभिक लक्षणडॉक्टरों के मुताबिक प्रारंभिक लक्षणों से भी एचआइवी संक्रमण होने का पता चल सकता है. लेकिन निश्चित तौर पर जांच के बाद ही कहा जा सकता है. एक माह में बिना वजह शरीर का वजन 10 प्रतिशत तक कम होना, एक माह से अधिक समय तक बुखार, खांसी व दस्त होना, थकान महसूस होना आदि भी इस बीमारी के लक्षण हो सकते हैं. सदर अस्पताल में स्थापित आइसीटीसी केंद्र में काउंसिलिंग व खून जांच के बाद एचआईवी पॉजिटिव पाये जाने पर सलाह देने के बाद बेहतर इलाज के लिए गया भेज दिया जाता है.

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