नहाय खाय के साथ चार दिवसीय महापर्व छठ प्रारंभ, खरना आज लोगों ने जम कर की पूजा सामग्री की खरीदारीकोने-कोने से पहुंचने लगे देव में श्रद्धालु, चहल-पहल बढ़ी (फोटो नंबर-10,11)कैप्शन- सूर्यकुंड तालाब में स्नान करते व्रती, सामानो की खरीदारी करते लोग(लीड) औरंगाबाद/ देव सूर्योपासना का प्रसिद्ध पर्व छठ पूरे जिले में धूमधाम से मनाने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है. विभिन्न छठ पूजा समितियों द्वारा जिले के सभी घाटों की साफ-सफाई पूर्ण कर ली गयी है. कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाये जाने वाला छठ पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है. पारिवारिक सूख समृद्धि व मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए यह पर्व बड़ी आस्था के साथ मनाया जाता है. पर्व को महिला व पुरुष समान रूप से मनाते हैं. रविवार को नहाय खाय के साथ चार दिवसीय महापर्व छठ प्रारंभ हो गया. रविवार को नहाय खाय के दिन व्रतधारियों ने अपने निकटतम नदी व तालाबों में डूबकी लगाया. स्नान के बाद व्रतधारी अपने-अपने घरों में बने छठ पूजन का पहला प्रसाद अरवा चावल, चने की दाल व कद्दू की सब्जी ग्रहण किया. इधर, नहाय खाय के साथ श्रद्धालुओं ने छठ पूजन सामग्री की जम कर खरीदारी की. रविवार को पूरे दिन बाजार में लोगों की खूब चहल-पहल रही. छठ पूजा की तैयारी को लेकर पूजन सामग्री खरीदने आये लोगों में छठ पर्व को लेकर गजब का उत्साह मिला. पूजन सामग्री विक्रेता भी पर्व का खूब लाभ उठाते दिखे. पूजन सामग्री में शामिल हर चीजों का मूल्य आसमान पर था. लोग फिर भी इसकी परवाह किये महंगाई को ठेंगा दिखाते हुए श्रद्धा के साथ पूजा सामग्री की खरीदारी की. देव में मुंह मांगे मूल्यों पर बिक रहे सामान के वजह से विक्रेताओ ने खूब चांदी काटी. चार दिवसीय छठ पर्व नहाय खाय के बाद सोमवार को व्रती दिन भर निर्जला उपवास रखेंगे और सूर्यास्त के बाद व्रती सूर्य की पूजा कर खीर का बना प्रसाद भगवान भास्कर को अर्पित करेंगे और खुद उस प्रसाद को ग्रहण करेंगे. मंगलवार को भगवान भास्कर को सांयकालीन अर्घ देंगे. उस दिन व्रती निर्जला उपवास रखेंगे. बुधवार को प्रात: कालीन उगते हुए सूर्य को अर्घ देकर व्रत की समाप्ति होगी. पूजा में पवित्रता का ध्यान विशेष रूप से रखा जाता है. छठ पूजा में लहसुन, प्याज वर्जित होते हैं.तपस्या की तरह है छठ पूजा : आस्था से जुड़ा छठ पर्व पूर्ण रूप से सूर्योपासना व उपवास का यह पर्व है. छठ करने वाले श्रद्धालु 36 घंटे का व्रत रखते हैं, तब जाकर उनकी छठ पूजा संपन्न होती है. यह व्रत कठिन तपस्या की तरह होती है जिसमें जल ग्रहण करना भी वर्जित होता है. छठ पर्व को लेकर अनेक कथाएं प्रचलित है. उनमें से एक कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राज पाट जुए में हार गये तो द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था तब उनकी मनोकामना पूर्ण हुई थी और पांडवों का अपना राज पाट मिल गया था. लोक परंपराओं के अनुसार सूर्य देव व छठी मइया का संबंध भाई-बहन का है. लोक मातृका षष्ठी की पहली पूजा सूर्य ने ही की थी. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि छठ पर्व के पीछे बहुत ही गहरा विज्ञान छुपा हुआ है. विद्वानों के अनुसार षष्ठी तिथि एक विशेष खगौलिये अवसर माना गया है. उस समय सूर्य की पराबैगनी किरणें पृथ्वी के सतह पर सामान्य से अधिक मात्रा में एकत्रित हो जाती है. जिससे संभावित कुप्रभावों से मानव की रक्षा करने का सामर्थ्य इस परंपरा में शामिल है. ऐसी मान्यता है कि छठ पर्व करने से सूर्य के हानिकारक प्रभाव जीवों की रक्षा संभव होती है. इन्हीं प्रचलित मान्यताओं के साथ श्रद्धालु छठ पर्व की पूजा में श्रद्धा से जुटे हुए हैं.
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नहाय खाय के साथ चार दिवसीय महापर्व छठ प्रारंभ, खरना आज
नहाय खाय के साथ चार दिवसीय महापर्व छठ प्रारंभ, खरना आज लोगों ने जम कर की पूजा सामग्री की खरीदारीकोने-कोने से पहुंचने लगे देव में श्रद्धालु, चहल-पहल बढ़ी (फोटो नंबर-10,11)कैप्शन- सूर्यकुंड तालाब में स्नान करते व्रती, सामानो की खरीदारी करते लोग(लीड) औरंगाबाद/ देव सूर्योपासना का प्रसिद्ध पर्व छठ पूरे जिले में धूमधाम से मनाने की […]
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