औरंगाबाद (ग्रामीण) : एक तरफ जिला प्रशासन जागरूकता रैली के माध्यम से आम लोगों को मतदान के प्रति जागरूक कर रही है, तो दूसरी ओर लगभग एक दर्जन गांवों के लोग मतदान में नोटा बटन दबाने का एलान किया है. पहले तो इनलोगों ने वोट बहिष्कार का निर्णय लिया था, लेकिन अब वोट को अपना हथियार मानते हुए नोटा बटन दबाकर उपेक्षित करनेवाले जनप्रतिनिधियों को जवाब देने का निर्णय लिया है.
देव प्रखंड के लाल बिगहा, मिश्र बिगहा, दौलतपुर, गुरगइया, कर्मा, परसन बिगहा, महावीर बिगहा, साहेब बिगहा, हरिहर बिगहा के सैकड़ों ग्रामीणों ने सड़क, सिंचाई, बिजली व नदी पर पुल के लिए बुधवार को विरोध जताते हुए सरकार व जनप्रतिनिधियों के प्रति आक्रोश जताया. देव-आनंतपुरा रोड से निकली हरिहर बिगहा रोड में कपसिया माइनर पुल के समीप जम कर प्रदर्शन किया. ग्रामीण अरविंद सिंह, पप्पू यादव, रामकुमार यादव, विजेंद्र, नंदलाल, सुशील, धनश्याम, प्रमोद, राकेश, चंदन, राहुल, रामदनी यादव, कृत यादव, सूर्यदेव यादव, भीम यादव, श्रवण शर्मा, प्रभूदयाल पासवान, नंदू, उपेंद्र, शंकरदयाल सहित अन्य लोगों ने बताया कि हमलोगों का गांव पूरी तरह उपेक्षित है. कुंडा गांव के समीप अदरी नदी पर पुल नहीं होने से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. चंद समय की दूरी घंटों में तय करनी पड़ रही है. गांव से जिला मुख्यालय जाना भारी बोझ लगता है. देव सड़क से नहर के रास्ते एक सड़क भी जो गांव को जोड़ती है, वह भी बदहाल है.
कच्ची सड़क कम बारिश में ही कीचड़ में तब्दील हो जाती है. बिजली की रोशनी से कोसों दूर हैं. ढ़ाई सौ की आबादी को सड़क से जोड़ने की घोषणा छलावा साबित हो रहा है. गांव की मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान देने के लिए ग्रामीणों ने अपने जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ जिले के पदाधिकारियों से गुहार लगायी, लेकिन किसी ने नहीं सुनी. ग्रामीण विरोध प्रदर्शन कर रहे है ताकि सरकार का ध्यान जाये लेकिन प्रदर्शन का जवाब मिल नहीं रहा है. सिंचाई का साधन तो है लेकिन पानी नहीं है. कर्ज लेकर किसी तरह फसल बोया. अब पानी के अभाव में फसल भी सूख रही है.
ऐसे में हम मतदान करें तो किसे. ग्रामीणों ने यह भी कहा कि एक अदद सड़क के लिए ग्रामीण तरस रहे हैं. जो सड़क है उस पर पैदल भी नहीं जाया जा सकता. किसी तरह सड़क के किनारे से साइकिल सवार आवागमन कर रहे हैं. पैदल चलने के लिए भी सड़क खुद ग्रामीण बनाते हैं.