देव (औरंगाबाद). प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में बच्चों को नि:शुल्क किताबें, अर्द्ध वार्षिक व वार्षिक परीक्षा खत्म करने व मध्याह्न भोजन के कारण दिनों-दिन शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है. नि:शुल्क पुस्तकों का जितना लाभ बच्चों को मिलना चाहिए वह नहीं मिल रहा है. बच्चों को जो किताबें मार्च में मिलनी चाहिए वह अगस्त व सितंबर में मिलती हैं. तब तक बच्चे अपनी आवश्यकता के अनुसार किताबें खरीद लेते हैं. दूसरी तरफ, पूर्व में सभी सरकारी स्कूलों में वार्षिक व अर्द्धवार्षिक परीक्षा ली जाती थी. इसके कारण बच्चे सुबह-शाम अपने घरों में पढ़ते थे व अच्छे अंक लाने का प्रयास करते थे. लेकिन, यह व्यवस्था खत्म होने के कारण बच्चे विद्यालय से आने के बाद अपनी किताबों को एक तरफ रख देते हैं. यही कारण है कि तीन से चार वर्ग के बच्चों को जोड़, घटाव व अक्षर का ज्ञान नहीं है. इस संबंध में रिटायर्ड शिक्षक डोमन प्रसाद व सामाजिक कार्यकर्ता सुरेंद्र चौरसिया ने कहा कि मध्याह्न भोजन के कारण तो स्कूल राजनीति का अखाड़ा बन गयी है. अधिकतर स्कूलों में शिक्षक पढ़ाने के बदले मध्याह्न भोजन बनवाने में ही व्यस्त रहते हैं. यह चिंता का विषय है.
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शिक्षा के गिरते स्तर पर चिंता
देव (औरंगाबाद). प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में बच्चों को नि:शुल्क किताबें, अर्द्ध वार्षिक व वार्षिक परीक्षा खत्म करने व मध्याह्न भोजन के कारण दिनों-दिन शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है. नि:शुल्क पुस्तकों का जितना लाभ बच्चों को मिलना चाहिए वह नहीं मिल रहा है. बच्चों को जो किताबें मार्च में मिलनी चाहिए वह अगस्त […]
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