सियासत. प्रमुख-उपप्रमुख पर अविश्वास खारिज होने पर कयासों का दौर
दाउदनगर : दाउदनगर के प्रखंड प्रमुख अनिल कुमार और उपप्रमुख नंद शर्मा की कुर्सी बच गयी है. इन दोनों के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो गया है. इसके बाद से राजनीतिक चर्चाओं का दौर भी शुरू है कि कहीं अपनी कुर्सी सुरक्षित करने के लिए यह किसी रणनीति का हिस्सा तो नहीं था, जिसमें प्रमुख और उप प्रमुख खेमे को सफलता हाथ लगी और उनकी रणनीति कारगर रही. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने के साथ ही प्रमुख और उप प्रमुख की कुर्सी संभवतः अगले बचे करीब तीन वर्षों के लिए सुरक्षित हो गयी है. सूत्रों के अनुसार, अब दो वर्षों के बाद ही फिर से अविश्वास प्रस्ताव आ सकता है, लेकिन बचे हुए कार्यकाल के अंतिम छह महीनों में अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता.
इस प्रकार शेष बचे छह महीनों (दो वर्षों बाद, बीच में) शायद ही अविश्वास प्रस्ताव लाने की किसी पंसस द्वारा कोशिश की जाये. इस दृष्टिकोण से यदि देखा जाये, तो दोनों ने अपनी कुर्सी शेष बचे कार्यकाल के लिए एक प्रकार से सुरक्षित ही कर ली है, हालांकि राजनीति में कुछ कहा नहीं जा सकता.
निर्विरोध बने थे प्रखंड प्रमुख : गौरतलब है कि 29 जून 2016 को अनिल कुमार निर्विरोध प्रखंड प्रमुख निर्वाचित हुए थे, जबकि नंद शर्मा को मतदान द्वारा उप प्रमुख की कुर्सी हासिल हुई थी. अविश्वास प्रस्ताव को लेकर हुई बैठक में 21 में से किसी भी पंसस के नहीं पहुंचने पर एक चर्चा का विषय यह भी बना हुआ है कि क्या दोनों ने सारे सदस्यों का भरोसा हासिल कर लिया.
आखिर विपक्षी खेमे के समझे जानेवाले पंसस के नहीं पहुंच पाने की क्या वजह रही होगी? यहां तक कि आविश्वास प्रस्ताव लानेवाले सदस्य भी नहीं पहुंचे. इस संबंध में कोई भी खुलकर कुछ बोलने को तैयार नहीं है. कुल मिलाकर यदि यह कहा जाये, तो गलत नहीं होगा कि अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने के साथ ही करीब 10 दिनों से चल रहे राजनीतिक ड्रामा का पटाक्षेप हो गया और प्रमुख व उप प्रमुख अपनी कुर्सी बचाने की रणनीति में सफल रहे.
10 सदस्यों ने लाया था अविश्वास प्रस्ताव : गौरतलब हो कि 29 जून को प्रखंड प्रमुख व उप प्रमुख का दो वर्षों का कार्यकाल पूरा होने के बाद दोनों के खिलाफ पंचायत समिति के 10 सदस्यों द्वारा 30 जून को अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था.
जिस पर चर्चा के लिए विशेष बैठक के लिए प्रखंड प्रमुख द्वारा नौ जुलाई की तिथि निर्धारित की गयी थी और विशेष बैठक आहूत की गयी थी, लेकिन निर्धारित तिथि को कोई पंचायत समिति सदस्य नहीं पहुंचे. निर्धारित समय से करीब एक घंटे से भी अधिक समय तक इंतजार किया गया. अविश्वास प्रस्ताव लानेवाले या कोई भी पंचायत समिति सदस्य नहीं पहुंचे. यहां तक कि प्रखंड प्रमुख और उप प्रमुख भी नहीं पहुंचे. इसके कारण अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया.
जिन सदस्यों ने लाया था अविश्वास प्रस्ताव : प्रखंड प्रमुख व उप प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लानेवाले पंस सदस्यों में नंदेश शर्मा, रवींद्र सिंह, विकास कुमार, सुशीला देवी, रीतम देवी, मुनी देवी, मो आफताब आलम, संगीता देवी, लीलावती देवी व संजू देवी शामिल थे.
सूत्रों के अनुसार, अविश्वास प्रस्ताव लाने के साथ ही कई पंचायत समिति सदस्य या उनके प्रतिनिधि कहीं टूर पर निकल गये थे व पांच जुलाई को उप प्रमुख द्वारा किये गये एक फेसबुक पोस्ट में नौ पंस सदस्यों या उनके प्रतिनिधि के साथ प्रमुख और उपप्रमुख का संयुक्त फोटो डालने के बाद ही यह चर्चा का विषय बन गया था कि उप प्रमुख द्वारा वह पोस्ट अपनी राजनीतिक शक्ति प्रदर्शित करने के लिए किया गया हो.
क्या कहते हैं दोनों जनप्रतिनिधि
सभी को दिया सम्मान
प्रखंड प्रमुख अनिल कुमार ने कहा कि उन्होंने सभी पंचायत समिति सदस्यों को अपने कार्यकाल के दौरान सम्मान दिया है. इसका प्रतिफल है कि अविश्वास प्रस्ताव खारिज हुआ है.
तेज गति से होगा विकास
उप प्रमुख नंद शर्मा ने कहा कि विरोधियों की साजिश नाकाम हो गयी है. विरोधी हाथ-पांव मारते रहे, लेकिन अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो गया. अब प्रखंड का विकास तेज गति से होगा.