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औरंगाबाद : एक बार फिर शक के घेरे में आया स्वास्थ्य विभाग

नवपदस्थापित सिविल सर्जन को जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश औरंगाबाद नगर : सदर प्रखंड के जम्होर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के भंडार में रखीं एक्सपायर्ड दवाओं को जला देने का एक मामला सामने आया है. इस मामले की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है. पता चला है कि पीएचसी के आसपास के लोगों […]

नवपदस्थापित सिविल सर्जन को जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश
औरंगाबाद नगर : सदर प्रखंड के जम्होर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के भंडार में रखीं एक्सपायर्ड दवाओं को जला देने का एक मामला सामने आया है. इस मामले की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है. पता चला है कि पीएचसी के आसपास के लोगों ने इस घटना का फोटो खींच लिया व सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया.
जानकारी के अनुसार, बुधवार को नये सिविल सर्जन ने योगदान दिया. इसके तुरंत बाद इस घटना को अंजाम दिया गया है. इस घटना की जानकारी जब डीएम को मिली, तो उन्होंने सीएस को मामले की जांच करने का निर्देश दिया है. इसके बाद सीएस ने जब जांच की, तो पीएचसी के कर्मचारियों द्वारा बताया कि दवा नहीं, बल्कि भंडार में रखे कूड़े को जलाया गया.
इधर, अस्पताल के आसपास रहनेवाले लोगों ने बताया कि बुधवार की शाम पांच बजे ही अस्पताल प्रबंधन द्वारा भारी पैमाने पर दवा को जलाया गया. उस दौरान मरीज से लेकर किसी को भी अस्पताल परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया गया. इस संबंध में सदर प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ नागेंद्र प्रसाद शर्मा नेकहा कि भंडार में काफी कूड़ा हो गया था, जिसे जलाया गया है.
क्या कहते हैं अिधकारी
इधर जिलाधिकारी राहुल रंजन महिवाल से बात की गयी, तो उन्होंने बताया कि नवपदस्थापित सिविल सर्जन को जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है.
गौरतलब है कि तीन माह पहले एक्सपायर्ड सूई देने के कारण जम्होर गांव के श्रवण कुमार की मौत हुई थी. इस मामले में मृतक के परिजनों ने कार्रवाई करने के लिए जिलाधिकारी को आवेदन भी दिया था, लेकिन अब तक न तो उस पर कोई कार्रवाई की गयी और न ही मृतक के परिजनों को उचित मुआवजा दिया गया.
घरों में पानी घुसने की आशंका से लोग भयभीत
बरसात शुरू, पर अब तक नहीं हुई मुख्य नाले की सफाई
औरंगाबाद कार्यालय. क्या सच में औरंगाबाद शहर के लोग इस बार भी जलजमाव की विभीषिका झेलेंगे? अगर हां तो उन्हें अब तैयार रहना होगा.
मॉनसून ने जिस तरह से अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है, उससे तो स्पष्ट हो चला है कि डूबने वाले मुहल्ले इस बार भी डूबेंगे और उन्हें राहत नहीं मिलेगी. वैसे भी घोषणाओं में विश्वास करने वाला नगर पर्षद बाढ़ की पानी को समेटने के लिए कोई काम नहीं किया. शहर से गुजरा मुख्य नाला नगर पर्षद की पोल खोलता दिख रहा है.
नाले में पड़े कचरों का अंबार और अतिक्रमण के बीच सिमटे नाले की लंबाई कह रहा है कि टिकरी मुहल्ला, मिनी बिगहा, महुआ शहीद, बिराटपुर, शाहपुर और शाहपुर बिगहा को सचेत रहना होगा. यहां बताना जरूरी है कि वर्षों से टिकरी मुहल्ला के लोग बाढ़ की विभिषिका झेलते आये हैं.
हर बार मुख्य सड़क पर दो से तीन फीट पानी का जमाव पूरे बरसात रहता है. हालांकि नाला निर्माण कर नगर पर्षद ने कुछ हद तक राहत दी. अभी जो स्थिति है वह बता रहा है कि सफाई नहीं होने के कारण एक बार फिर बाढ़ से हजारों की आबादी को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.

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