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छात्रों को मानसिक रोगी बना रही है नशे की लत

मदनपुर : नशे की लत युवाओ में तेजी से बढ़ रही है. भांग, गांजा के अलावा अब युवा दवाएं व लिखाई-पढ़ाई में उपयोग किये जाने वाले व्हाइटनर को नशे के तौर पर सेवन कर रहे हैं. इसके सेवन से वह छात्र मानसिक रोग के भी शिकार हो रहे हैं. ये होती है समस्या : फोर्टबिन […]

मदनपुर : नशे की लत युवाओ में तेजी से बढ़ रही है. भांग, गांजा के अलावा अब युवा दवाएं व लिखाई-पढ़ाई में उपयोग किये जाने वाले व्हाइटनर को नशे के तौर पर सेवन कर रहे हैं. इसके सेवन से वह छात्र मानसिक रोग के भी शिकार हो रहे हैं.

ये होती है समस्या : फोर्टबिन इंजेक्शन और कोर्डिनयुक्त कफ सिरप के लागातार इस्तेमाल से कन्फ्यूज होना, याददाश्त कमजोर होना, लिवर में गढ़वाली और पेट व सीने में दर्द जैसी समस्या पैदा होती है. वहीं फेविकोल सोल्यूशन लिक्विड इरेजर व व्हाइटनर सूंघने की लत से निराशा और एनीमिया का खतरा बढ़ जाता है. इसके इस्तेमाल से पौरुष क्षमता भी प्रभावित होती है. इसके अलावा गांजा, भांग अधिक मात्रा में लेने से सांस लेने में दिक्कत आती है. मानसिक संतुलन बिगड़ने लगता है.
क्या कहते हैं चिकित्सक प्रभारी
चिकित्सा पदाधिकारी डॉ नवल किशोर सिंह ने बताया कि ड्रेडाइट और व्हाइटनर का ज्यादा सेवन सीधे दिमाग पर असर करता है. इससे वह धीरे-धीरे मानसिक रोगी होते चले जाते हैं. उनके दिमाग की नसें सूखने लगती है और सोचने की क्षमता कम होती जाती है.
थिनर व व्हाइटनर का करते हैं इस्तेमाल
युवा व्हाइटनर, सनफिक्स, बोनफिक्स,फोर्टबीन इंजेक्शन आदि को नशे का विकल्प बना रहे हैं. नशे के आदी छात्र रुमाल व छोटे कपड़े में थिनर व व्हाइटनर डालकर इस्तेमाल करते हैं. इन नशीले पदार्थों को शराब से भी ज्यादा नुकसानदायक माना गया है. इसकी चपेट में ज्यादातर युवा आ रहे हैं.

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