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ये है बिहार का एक ऐसा स्टेशन, जहां पूरे साल में सिर्फ 15 दिन ही रुकती हैं ट्रेनें

बिना टिकट के यात्रा करने को विवश हैं पिंडदानी, नहीं है रेलवे का कोई स्टाफ सिर्फ पितृपक्ष के दौरान ही यात्रियों को मिलती है अनुग्रह नारायण रोड घाट स्टेशन से ट्रेनों की सेवा औरंगाबाद नगर : गया-मुगलसराय रेलखंड पर अनुग्रह नारायण स्टेशन से सटे एक ऐसा स्टेशन है, जो साल में सिर्फ 15 दिनों के […]

बिना टिकट के यात्रा करने को विवश हैं पिंडदानी, नहीं है रेलवे का कोई स्टाफ
सिर्फ पितृपक्ष के दौरान ही यात्रियों को मिलती है अनुग्रह नारायण रोड घाट स्टेशन से ट्रेनों की सेवा
औरंगाबाद नगर : गया-मुगलसराय रेलखंड पर अनुग्रह नारायण स्टेशन से सटे एक ऐसा स्टेशन है, जो साल में सिर्फ 15 दिनों के लिए गुलजार होता है, वह भी पिंडदानियों से.
वैसे अनुग्रह नारायण रोड घाट स्टेशन ब्रिटिशकालीन है और अंग्रेजों के शासनकाल में ही यहां बुकिंग काउंटर बनाया गया था. 20 साल पहले तक यात्रियों को यहां से टिकट मिलते थे, पर अब न तो स्टेशन गुलजार है, न यात्रियों को टिकट की सुविधा मिलती है. हालांकि 15 दिनों का आना-जाना अब भी लगा रहता है. पितृपक्ष के दौरान यहां से गुजरनेवाली सभी पैसेंजर ट्रेनें रुकती हैं. यात्री यहां उतरते हैं और यहां से यात्रा भी शुरू करते हैं.
खास बात यह है कि जो यात्री यहां से अपनी यात्रा शुरू करते हैं, उनके पास टिकट नहीं होता है. नतीजतन, हर दिन ये ‘बेटिकट‘ पैसेंजर्स रेलवे मजिस्ट्रेट व टीटीइ के शिकार होते हैं. बिना टिकट पकड़े जाने पर उन्हें भारी जुर्माना देना पड़ता है. कभी-कभी जेल भी जाना पड़ता है.
यहां बुकिंग काउंटर तो है, लेकिन रेलवे का कोई स्टाफ नहीं रहता, जिससे टिकट नहीं मिल पाता है. दरअसल, अनुग्रह नारायण रोड घाट स्टेशन को पुनपुन नदी में पूर्वजों के पिंडदान के लिए आनेवाले लोगों को ध्यान में रख कर बनाया गया था. इसलिए इस स्टेशन पर पूरे साल में केवल पितृपक्ष के दौरान ही ट्रेनें ठहरती हैं. पितृपक्ष स्पेशल इस स्टेशन पर किसी रेलकर्मी की स्थायी तैनाती नहीं है.
वर्षों पहले यहां कुछ एक्सप्रेस ट्रेनों को छोड़ सारी ट्रेनों का ठहराव पितृपक्ष के दौरान होता था. अब उपेक्षा की हालत यह है कि पिंडदानियों के लिए पैसेंजर ट्रेनों के अलावा कोई ट्रेन नहीं रुकती, जबकि इस रूट से पितृपक्ष के दौरान गया-जबलपुर, गया-हबीबगंज जैसी कई स्पेशल ट्रेनें चलायी जा रही हैं. इससे यात्रियों को भारी परेशानी हो रही है. हालांकि, पितृपक्ष के दौरान यहां चार-पांच कर्मचारियों की अस्थायी तैनाती होती है. वैसे यहां का मुख्य रेलवे स्टेशन अनुग्रह नारायण रोड है, जहां टिकट काउंटर, यात्री शेड जैसी सुविधाएं हैं.
लोगों का मानना है कि मानवरूपी भगवान ने यहां कभी अपने पुरखों के मोक्ष के लिए पहला पिंडदान किया था. इसके बाद से ही यहां पिंडदान करने की परंपरा शुरू हो गयी. पिंडदानियों को ठहरने के लिए कोलकाता के सेठ सूरजमल बड़जात्या ने सालों पहले यहां तीन एकड़ जमीन में करोड़ों रुपये की लागत से एक खूबसूरत धर्मशाला का निर्माण कराया था.
वर्तमान में वह देखरेख के अभाव में बर्बाद होने के कगार पर पहुंच गया है. इस संबंध में अनुग्रह नारायण रोड स्टेशन के प्रबंधक संजय पासवान कहते हैं कि उन्हें सिर्फ पैसेंजर ट्रेनों के ठहराव के संबंध में विभाग से चिट्ठी मिली है. साथ ही, सुरक्षा की बंदोबस्त का निर्देश प्राप्त है.
इस कारण घाट स्टेशन पर राजकीय रेल पुलिस के 10 जवानों को तैनात किया गया है. घाट स्टेशन की साफ-सफाई करायी गयी है. इस स्टेशन पर इस वर्ष के पितृपक्ष में पिछले पांच सितंबर से पैसेंजर ट्रेनों का ठहराव हो रहा है, जो 20 सितंबर तक जारी रहेगा.

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