आरा.
भारत की अनेकता में एकता को सिद्ध करने वाली पीढ़ी के महानायकों में अशफाक उल्लाह खान का भी नाम लिया जाता है. क्रांतिकारी शहीदों का सपना था कि आजादी के बाद भारत का लोकतंत्र उनके सपनों को साकार करेगा. आज स्थिति ऐसी आ गयी है कि भारतीय राजनीति बंजर होती जा रही है. यह लोकतंत्र के लिए अशुभ है.उक्त बातें भोजपुर जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष व वीकेएसयू के सीनेटर प्रोफेसर बलिराज ठाकुर ने अमर शहीद अशफाक उल्लाह की जयंती पर अध्यक्षीय भाषण देते हुए कहीं. प्रोफेसर ठाकुर ने कहा कि ककोरी अभियान के अप्रतिम नायक अशफाक उल्लाह खान को 19 दिसंबर, 1927 को फैजाबाद जेल में फांसी दे दी गयी थी. प्रो ठाकुर ने कहा कि शहीदों की चिताओं पर हर वर्ष मेले लगेंगे या नहीं किंतु भारतीयों के हृदय में तो मेले लगते ही रहेंगे. डॉक्टर नंदजी दूबे, समीक्षक जितेंद्र कुमार और प्रो दिवाकर पांडेय ने अशफ़ाक उल्लाह खान के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला. हृदय रोग डॉक्टर अमित जयसवाल, समाजसेवी शिवदास सिंह, डॉक्टर किरण कुमारी, डॉक्टर रेनू मिश्रा और डॉक्टर ममता मिश्रा, डॉक्टर सत्यनारायण उपाध्याय, डॉक्टर नथुनी पांडेय सहित कई लोगों ने अमर शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की. संचालन शशिकांत तिवारी और धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर रवींद्र कुमार ने किया. लोक चेतना मंच के तत्वावधान में कार्यक्रम हुआ.
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