15-प्रतिनिधि, अररिया साक्षरता अभियान से जुड़कर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं जुड़कर सामाजिक,आर्थिक, राजनीतिक और शैक्षणिक रूप से सशक्त हो रही हैं. साक्षरता अभियान के कारण ही आज हमारी असाक्षर महिलाएं साक्षरता केंद्र पर पढ़ लिखकर नव साक्षर बनी हैं. जो इन्हें घर की दहलीज से बाहर निकलकर हर क्षेत्र में आगे पढ़ने का अवसर प्रदान किया है. ये बातें जिले में संचालित साक्षरता कार्यक्रम की जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सुश्री प्रज्ञा श्री ने कही. उन्होंने बताया कि साक्षरता अभियान के सफल संचालन से विकास के तमाम दरवाजे खुलते हैं. आज महिलाएं सशक्त ही नहीं बल्कि सरकार के विभिन्न कल्याणकारी योजना से जुड़कर उसका लाभ उठा रही है. प्रज्ञा ने बताया कि साक्षरता दर असल में एक जागरूकता अभियान है जो असाक्षर होने के कारण समाज व विकास के बिल्कुल अंतिम पायदान पर खड़ी थी. उनके लिए ये साक्षरता अभियान मील का पत्थर साबित हुआ है. आज वहीं महिलाएं जिनका हर तरफ शोषण होता था आज वही महिलाएं समाज व अपने परिवार के लिए एक मॉडल बन चुकी है. जिले में संचालित साक्षरता कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि जब जिले में 1997 में ये कार्यक्रम शुरू हुआ था. तब जिले की साक्षरता दर मात्र 35 प्रतिशत थी. उसमें महिलाएं मात्र बीस प्रतिशत व अल्पसंख्यक महिलाओं की साक्षरता दर मात्र दस प्रतिशत थी. लेकिन साक्षरता अभियान के कारण जिले में साक्षरता व शिक्षा के मामले में काफी बेहतर प्रगति की. डीपीओ साक्षरता प्रज्ञा श्री ने बताया कि साक्षरता कार्यक्रम से सिर्फ महिलाएं ही सामाजिक व आर्थिक रूप से सबल हुई हैं बल्कि स्कूलों में नामांकन भी बढ़ा है व ड्रॉप आउट बच्चों की संख्या में कमी आई है. उन्होंने बताया कि टोला सेवक व तालीमी मरकज के द्वारा महिलाओं का केंद्र संचालन कर उन्हें अक्षर और अंक का ज्ञान देने के साथ साथ उन्हें विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी जाती है. साथ ही कमजोर बच्चों को विशेष कोचिंग देकर उन्हें वर्ग सापेक्ष बनाया जाता है. उन्होंने कहा कि इस योजना को और गति देने के लिए जन भागीदारी भी जरूरी है.
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