30.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मदर टेरेसा कॉलोनी बन गयी है कचरा चुनने वालों की बस्ती

अररिया : सुबह होते ही अर्ध नग्न, चीथड़ेनुमा कपड़े पहने इस बस्ती के बच्चों को पता नहीं कि बचपन का आनंद क्या होता है. चारों तरफ पसरा है गंदगी. चापाकल के पास जाने से पहले नाक पर रुमाल रखने की लाचारी. सफाई के नाम पर कुछ भी नहीं. जागरूकता का घोर अभाव. भले ही साफ-सफाई […]

अररिया : सुबह होते ही अर्ध नग्न, चीथड़ेनुमा कपड़े पहने इस बस्ती के बच्चों को पता नहीं कि बचपन का आनंद क्या होता है. चारों तरफ पसरा है गंदगी. चापाकल के पास जाने से पहले नाक पर रुमाल रखने की लाचारी. सफाई के नाम पर कुछ भी नहीं. जागरूकता का घोर अभाव. भले ही साफ-सफाई को लेकर जितने अभियान चले हों लेकिन यहां पर आने पर अभियान पर सवाल जरूर उठ जाता है.

बांस की झाड़ियों -झुरमुट से ढके इस बस्ती में सूरज की रोशनी भी मानों मुंह छिपाये आती और जाती है. जिला मुख्यालय से महज कुछ ही किमी दूर एनएच 57 टोल प्लाजा के समीप ही यह बस्ती अवस्थित है. जहां बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. जो विकास के दावों की सच्चाई की पोल खोलता दिख रहा है. बस्ती में रहने वाले अचरज भरी निगाहों से मानो घूर रहा है.
80 के दशक में इन्हें यहां बसाया गया था: 80 के दशक में इन लोगो को यहां बसाया गया था. पहले ये लोग वर्तमान के रेडक्रॉस भवन वाली जमीन के आस पास रहते थे. इनके इलाज के लिए स्वास्थ्य केंद्र बना था. डॉक्टर बैठते थे. दवाई दी जाती थी.
समय के साथ सब बंद हो गया. यहां एक स्कूल भी खुला था. जर्जर स्कूल भवन आज भी खड़ी है. बस्ती के लोग पूछते हैं कि इस बस्ती की याद कैसे आ गयी. उसने अपना नाम बताया रवि ऋषिदेव बताया. कुरेदने पर वह खुल जाता है कि कचरा चुनकर उसे बेचकर पेट भरते हैं.
उसने बताया कि दो सौ की आबादी रहती है इस बस्ती में. कुछ लोगों को इंदरा आवास भी मिला है. वोट भी डालते हैं. लेकिन शुद्ध पेयजलापूर्ति नहीं है. बिजली की रोशनी से ज्यादातर लोग वंचित हैं. बस्ती के ही रामविलास ऋषिदेव कहते हैं कि वह भीख मांगकर अपना पेट भरता हैं. उसने कहा कि उसके छह बच्चे हैं. सब अलग-अगल रहकर कबाड़ी का काम करते हैं. सोमानी देवी का दर्द था कि बस्ती के बच्चों को स्कूल जाने पर भगा दिया जाता है.
वे कहती हैं कि बाबू कोढ़िया बस्ती का बच्चा कह कर स्कूल से भगा देते हैं अन्य बच्चे. मास्टर कुछ नही बोलता है. पूरे बस्ती में एक सरकारी चापाकल है. हालांकि लोगो ने अपने से चापाकल गड़ाया हुआ है. लोगों ने बताया कि साफ-सफाई जागरूकता अभियान की टीम यहां कभी नही आयी है.
डीडीटी छिड़काव, ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कभी नही होता है. बाढ़ में तबाही हुई. लेकिन राहत नहीं मिला. कोई झांकने तक नही आते इस बस्ती में. सड़कों पर पानी, बजबजाती जमीन बता रही थी कि बस्ती उपेक्षित है. हां कुछ लोगों ने छोटी-छोटी दुकान भी खोल रखा है. टोल प्लाजा के पास रुकती वाहनों के चालक, खलासी जो रुकते हैं तो कुछ बिक्री हो जाती है.
नशेड़ियों व अराजक तत्वों के जमावड़े से लोग परेशान
सामुहिक रूप से बस्ती के लोगों ने बताया कि नशेड़ियों व अराजक तत्वों के जमावड़ा से बस्ती के लोग दहशतत में रहते है. पुलिस तो सिर्फ आती और चली जाती है. रोज यहां हंगामा होता है. इशारे में बता जाते हैं लोग कि जमावड़ा स्थल एक होटल में उन लोगों का जमावड़ा लगता है. जिससे लोगों में दहशत है. बहरहाल दावों की सच्चाई को नकारते इस बस्ती के लोग नारकीय जीवन जीने को लाचार हैं.
एनएच 57 किनारे इस बस्ती को देखने वाले दूसरे प्रदेशों के ट्रक चालक क्या बोलते होंगे. इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है. इससे जिले व राज्य कि छवि धूमिल होती है. जिला प्रशासन को इस बस्ती के लिये कार्ययोजना बनाने की जरूरत है. गैर सरकारी संस्थाओं को भी आगे आना चाहिए, पीड़ित मानवता के कल्याण के लिए. जो नही दिख रहा है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें