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आफत: बुजुर्गों से छुटकारा पाने के लिये अस्पताल में छोड़कर भाग रहे हैं परिजन

कोरोना वायरस से संक्रमित न हो जाए इसका खौफ सभी लोगों में है. वहीं, बिहार के भागलपुर जिले में अजीबों-गरीब मामला देखने को मिल रहा है. कुछ लोग ऐसे है जो अपने बुजुर्ग माता-पिता को अस्पताल में लेकर छोड़ दे रहे है. यहां पर कुछ लोगों के लिये अपने बुजर्ग बीमार पिरजनों से छुटकारा पाने का साधन बन गया है.

भागलपुर. कोरोना वायरस से संक्रमित न हो जाए इसका खौफ सभी लोगों में है. वहीं, बिहार के भागलपुर जिले में अजीबों-गरीब मामला देखने को मिल रहा है. कुछ लोग ऐसे है जो अपने बुजुर्ग माता-पिता को अस्पताल ले जाकर छोड़ दे रहे है. यहां पर कुछ लोगों के लिये अपने बुजर्ग बीमार परिजनों से छुटकारा पाने का साधन बन गया है. बता दें कि भागलपुर के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल जहां रहने के साथ भोजन व इलाज की सुविधा हर किसी को मुफ्त मिलती है. मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति को अस्पताल लेकर परिजन आते हैं, और छोड़कर चले जाते है. ऐसे लोगों के निवाला पर कोरोना आफत बन कर आया है. इन लोगों को अब गली में कोई भटकने नहीं देता है. अपनी जिंदगी की रात किसी पेड़ के नीचे गुजारने को यह विवश है.

भोजन का समय हुआ, तो सामान रख दौड़ पड़ी बुजुर्ग

मेडिकल कॉलेज अस्पताल का परिसर तेज धूप में पेड़ के नीचे अपने सामान को लेकर एक बुजुर्ग महिला बैठी थी. अचानक वह उठी और अस्पताल की अंदर दौड़ पड़ी. करीब 10 मिटन बाद अपने हाथ में भोजन लेकर वापस लौटी. पूछने पर कहती है कुछ दिन पहले घर से अस्पताल इलाज कराने के लिये कुछ लोगों ने यहां पहुंचा दिया. तब से यही है. परिवार का इंतजार है. वहीं, पेड़ के नीचे लेटी एक अन्य महिला शांत थी. जब सामने भोजन दिखा, तो वह भी सामान को छोड़ कर खाना लाने के लिये भागी. भोजन करते-करते जब उससे घर के बारे में पूछा गया, तो वह रो पड़ी. बोली हमारे लिये तो सब मर गये है. यह कहकर रोने लगी. इसके बाद रोते-रोते खाना खाने लगी.

सड़क किनारे पेड़ बन जाता है घर, भोजन के लिये मारामारी

कोरोना वायरस के कारण लोग अपने घर के दरवाजे भी मुश्किल से खोल रहे है. ऐसे लोग किसी के घर के सामने बैठ जाते थे. तो भोजन मिल जाता था. अब यह सेवा इनको नहीं मिल पाती. कई दिनों तक भोजन नसीब नहीं हो पाता है.

Radheshyam Kushwaha
Radheshyam Kushwaha
पत्रकारिता की क्षेत्र में 12 साल का अनुभव है. इस सफर की शुरुआत राज एक्सप्रेस न्यूज पेपर भोपाल से की. यहां से आगे बढ़ते हुए समय जगत, राजस्थान पत्रिका, हिंदुस्तान न्यूज पेपर के बाद वर्तमान में प्रभात खबर के डिजिटल विभाग में बिहार डेस्क पर कार्यरत है. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करते है. धर्म, राजनीति, अपराध और पॉजिटिव खबरों को पढ़ते लिखते रहते है.

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