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सांसद भूदेव पर प्राथमिकी का आदेश

भागलपुर: काजीचक स्थित जमीन मामले में शुक्रवार को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी आरसी मालवीय की अदालत ने परमानंद शर्मा के नालिसीवाद पर सुनवाई की है. साथ ही, जमुई सांसद भूदेव चौधरी सहित सभी आरोपितों पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश मोजाहिदपुर थाना को दिया है. अन्य आरोपियों में सांसद की पत्नी इंद्राणी चौधरी, डीसीएलआर सुबीर रंजन, […]

भागलपुर: काजीचक स्थित जमीन मामले में शुक्रवार को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी आरसी मालवीय की अदालत ने परमानंद शर्मा के नालिसीवाद पर सुनवाई की है. साथ ही, जमुई सांसद भूदेव चौधरी सहित सभी आरोपितों पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश मोजाहिदपुर थाना को दिया है. अन्य आरोपियों में सांसद की पत्नी इंद्राणी चौधरी, डीसीएलआर सुबीर रंजन, जगदीशपुर सीओ नवीन भूषण, संजीव कुमार, भोला मंडल सहित 15 से 20 अज्ञात और 50 से 60 पुलिस कर्मी शामिल हैं. शुक्रवार को पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन मिश्र ने बहस में भाग लिया. इस दौरान कोर्ट को मामले की जानकारी दी.

भीख मांग कर भी लड़ेंगे लड़ाई : परमानंद
भागलपुर. सांसद भूदेव चौधरी के खिलाफ केस करने वाले परमानंद शर्मा ने कहा कि इस लड़ाई को अंजाम तक पहुंचायेंगे. इसके लिए मुङो भीख भी मांगना पड़े तो पीछे नहीं हटूंगा. इस लड़ाई में मीडिया ने मेरा भरपूर सहयोग किया.जब मुझ गरीब का कोई सुनने वाला नहीं था उस समय मीडिया मेरी आवाज बनी और सांसद को कारनामों की पोल खोली. मुङो न्यायालय पर पूरा भरोसा है. यह राज्य गंदा हो चुका है. चारों ओर भ्रष्टाचार का बोलबाला है. जनप्रतिनिधि जनता की जमीन को हड़प रहे हैं. ऐसे में मेरा इस सरकार से विश्वास उठ गया है. काजीचक की जमीन कल भी मेरी थी, आज भी मेरी है और आगे भी मेरी ही रहेगी. सांसद ने मुङो जो मानसिक और आर्थिक क्षति पहुंचायी है, वह किसी से छुपा हुआ नहीं है. सिर्फ सांसद ही नहीं, और भी जहां-जहां भ्रष्टाचार का बोलबाला है, वहां मैं गरीबों की मदद करूंगा.

क्या है मामला
काजीचक पन्ना मिल रोड निवासी परमानंद शर्मा ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में नालिसीवाद(45/2014) दायर किया था. यह नालिसीवाद सात जनवरी को दायर किया गया था. इसमें जमुई सांसद भूदेव चौधरी, सांसद पत्नी इंद्राणी चौधरी, डीसीएलआर सुबीर रंजन,जगदीशपुर सीओ नवीन भूषण, सीआई जगदीशपुर संजीव कुमार, भोला मंडल सहित 15 से 20 अज्ञात तथा 50 से 60 पुलिसकर्मियों को आरोपित बनाया था. नालिसीवाद में कहा गया है कि परिवादी का निवास काजीचक के पन्ना मिल रोड पर वार्ड 35 में अवस्थित है. इसकी होल्डिंग संख्या 43, खाता 727, खेसरा 62 व 63 और रकवा कुल 0.0375 सेंट है. उपरोक्त वर्णित संपत्ति परमानंद शर्मा को अपने नाना स्वर्गीय साधो मिस्त्री और नानी स्वर्गीय दया देवी से विरासत में हासिल हुआ है. इसका खतियानवादी परमानंद शर्मा के नाना साधो मिस्त्री (पिता-शीतल मिस्त्री) के नाम से दर्ज है.

परिवाद में कहा गया है कि 28 दिसंबर 2013 की सुबह लगभग नौ बजे वादी परमानंद शर्मा को अंचल कार्यालय, जगदीशपुर का आदेश तामिला कराया गया, जो सीओ नवीन भूषण के हस्ताक्षर से हस्ताक्षरित है. परिवाद में कहा गया है कि 29 दिसंबर 2013 को लगभग साढ़े बारह बजे सांसद भूदेव चौधरी हाथ में रिवाल्वर लिये हुए भोला मंडल व 15-20 अन्य अज्ञात के साथ परमानंद शर्मा के निवास स्थान पर पहुंचे और फाटक तोड़ कर अंदर घुस गये.

साथ ही, वादी के साथ मारपीट करने लगे. परिवाद में कहा गया है कि 29 दिसंबर की रात सांसद परिवादी परमानन्द शर्मा की वर्णित संपत्ति को बुलडोजर से ध्वस्त करने लगे. परिवादी के मना करने के बाद भी मकान को तोड़ दिया गया. वाद में कहा गया है कि डीसीएलआर सदर सुबीर रंजन और वर्तमान सीओ जगदीशपुर नवीन भूषण द्वारा जिस बिहार भूमि विवाद निराकरण अधिनियम को दर्शा कर अवैध आदेश दिया गया है. उक्त अधिनियम की धारा 15(1) की भी अनदेखी कर सीधे धारा 15(2) की कार्रवाई कर दी गयी.

जिंदा को मुरदा बता सांसद ने पत्नी के नाम की जमीन
काचीचक जमीन प्रकरण में जमुई के सांसद भूदेव चौधरी के एक और कारनामे का खुलासा हुआ है. जमीन की पहली मालकिन दया देवी को सांसद ने मुरदा बता कर अपनी पत्नी इंद्राणी देवी के नाम से जमीन करवा लिया. 16 मई 2007 को दया देवी की ओर से सीजेएम की अदालत में दायर परिवाद (879/07) में इस बात का जिक्र है. दया देवी ने इस मामले में भूदेव चौधरी (तत्कालीन विधायक और अब सांसद), उनकी पत्नी इंद्राणी देवी, तत्कालीन सीओ मनोज कुमार, सीआइ नवीन भूषण, हल्का कर्मचारी सोनू भगत व बिदुर शर्मा (अलीगंज) को आरोपित बनाया था.

अंचल के रजिस्टर-टू में छेड़छाड़
परिवाद में दया देवी ने जिक्र किया था कि मेरे पति साधो मिस्त्री की मृत्यु के बाद जगदीशपुर अंचल में पति के नाम को खारिज कर दया देवी का नाम विधिवत अंचल सिरिस्ता (रजिस्टर टू) में दर्ज हुआ. 21 जुलाई 2007 को एक निबंधित दस्तावेज केवाला की छाया प्रति के आधार पर जगदीशपुर अंचल द्वारा उक्त जमीन में अंचल सिरिस्ता में दया देवी का नाम खारिज कर सांसद की पत्नी इंद्राणी देवी का नाम चढ़ा दिया, जबकि उक्त जमीन की बिक्री का दस्तावेज या अन्य कोई दस्तावेज इंद्राणी चौधरी के नाम से जारी नहीं किया गया है. इंद्राणी चौधरी के पति उस समय धोरैया के विधायक थे. इस कारण अंचलकर्मियों को अपने प्रभाव में लेकर रजिस्टर-टू में नाम बदलवा दिया.

दया देवी का फरजी मृत्यु प्रमाण-पत्र बनवाया
परिवाद में जिक्र है कि साधो मिस्त्री (दया देवी के पति)द्वारा जारी पावर ऑफ अर्टार्नी का हवाला देते हुए उक्त जमीन में इंद्राणी चौधरी का नाम चढ़ाया गया और जमाबंदी का रसीद काट दिया गया. उक्त पावर ऑफ अटर्नी में खाता संख्या 727 का जिक्र है, जबकि इंद्राणी चौधरी के द्वारा दखल निबंधित केवाला में खाता नंबर 427 अंकित है. अंचलकर्मियों की मिली-भगत से दया देवी को कागजात पर मृत दिखाया गया. इसके लिए फरजी मृत्यु प्रमाण-पत्र में आरोपित की ओर से बनवाया गया था.

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