पटना : मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अपने बयान को लेकर एक बार फिर विवादों में हैं. उन्होंने इस बार कालाबाजारी को लेकर विवादित बयान दिया है. मुख्यमंत्री मांझी ने कहा कि अगर कालाबाजारी करने वाले अपने बच्चों के पेट भरने के लिए कालाबाजारी करते हैं तो मैं उनको धन्यवाद देना चाहता हूं.
मांझी ने कल बिहार राज्य खाद्यान्न व्यवसायी संघ की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘मुङो जानकारी है कि छोट व्यापारी लाभ के लिए जमाखोरी और कालाबाजारी में लिप्त होते हैं ताकि वे अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें और अपने बच्चों को शिक्षा प्रदान कर सकें.’’ मांझी ने कहा, ‘‘आप कृपया अपनी गतिविधियों को लेकर चिंता नहीं करें क्योंकि राज्य सरकार छोटे स्तर पर जमाखोरी और कालाबाजारी के लिए आपको दंडित नहीं करेगी.’’मांझी जब यह बात कह रहे थे उस समय केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह हैरान दिखे.
वस्तुत: छोटे व्यापारियों द्वारा जमाखोरी और कालाबाजारी का बचाव करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें ऐसी गतिविधियों पर आपत्ति नहीं है क्योंकि व्यापारी ऐसा नेक काम के लिए कर रहे हैं जो कि परिवार का पालन पोषण और बच्चों को शिक्षा प्रदान करना है.
मांझी ने इसी लहजे में कहा कि छोटे व्यापारियों द्वारा जमाखोरी और कालाबाजारी का बाजार में वस्तुओं की मांग और आपूर्ति पर कोई प्रभाव नहीं होता क्योंकि व्यापारियों द्वारा रोककर रखे गए सामान की मात्र बहुत कम होती है.बिहार के मुख्यमंत्री का यह बयान ऐसे समय आया है जब केंद्र ने राज्य सरकारों से कहा है कि वे देश में मूल्य वृद्धि और मुद्रस्फीति पर रोक लगाने के लिए जमाखोरी और कालाबाजारी करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करें.
मांझी हाल में अपने कई विवादास्पद बयानों को लेकर सुर्खियों में रहे हैं जिसने उनकी पार्टी जदयू और उनके पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को असहज स्थिति में डाला है. नीतीश कुमार ने इस वर्ष आम चुनाव में बिहार में सत्ताधारी जदयू के खराब प्रदर्शन के बाद मांझी को मुख्यमंत्री पद सौंपा दिया था.
उन्होंने छोटे व्यापारी को पकड़े की जगह बड़े व्यापारियों पर नकेल कसने की बात कही. मुख्यमंत्री मांझी ने कहा, हम मगरमच्छ पकड़ते हैं, पोठिया नहीं. इस पर उपस्थित लोगों ने जोर का ठहाका लगाया. मुख्यमंत्री ने कहा कि जो छोटे व्यापारी हैं, वे कितना चोरी करते होंगे. अपने बाल-बच्चे के लिए अच्छा खाने-पीने, उनकी पढ़ाई व रहन-सहन के लिए चोरी करते होंगे. सरकार की नजर उन पर नहीं है.