फीनिक्स : उनके मुक्के दमदार होते थे और अपनी तेजी से प्रतिद्वंद्वी को हतप्रभ करने में माहिर थे. इस हैवीवेट चैंपियन ने अपने काम से दुनिया को रोमांचित करने का वादा किया और फिर वह इसमें सफल भी रहे. यहां तक कि जब कई मुक्के खुद सहने का खामियाजा वह भुगते रहे थे और बमुश्किल बात कर पाते थे तब भी वह लोगों को प्रभावित करते थे. वह महानतम थे. वह मुक्केबाजी के पर्याय थे. वह कोई और नहीं बल्कि मोहम्मद अली थे जिनका 74 साल की उम्र में निधन हो गया.
उन्हें फीनिक्स में सांस की तकलीफ के कारण इस सप्ताह के शुरु में अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इस दौरान अली के बच्चे उनके साथ में थे. अपने करारे मुक्कों के कारण अली ने दो दशक तक मुक्केबाजी में अपनी बादशाहत बनाये रखी लेकिन इस बीच उन्होंने अपने सिर पर भी हजारों मुक्के सहे जिसके कारण बाद में उन्हें पर्किन्सन बीमारी ने जकड़ दिया. यह 1981 की बात है जब इस बीमारी से उनका मजबूत शरीर कमजोर सा हो गया था. उनकी जादुई आवाज लगभग बंद हो गयी थी. उन्होंने कई ऐतिहासिक मुकाबलों में हैवीवेट चैंपियनशिप जीती और बाद में उनका बचाव किया.
अश्वेत लोगों के पक्ष में उठायी आवाज
उन्होंने अश्वेत लोगों के पक्ष में अपनी आवाज उठायी और इस्लाम में विश्वास करने के कारण वियतनाम युद्ध के दौरान सेना में भर्ती होने से इनकार कर दिया था. बीमारी के बावजूद वह दुनिया भर का दौरा करते रहे लेकिन आंखों की भाषा और मुस्कान से लोगों तक अपनी बात पहुंचाते रहे. मोहम्मद अली का जन्म 17 जनवरी 1942 को हुआ था. उन्होंने 12 साल की उम्र में मुक्केबाजी शुरू कर दी थी क्योंकि किसी ने उनकी नयी साइकिल चोरी कर दी थी और उन्होंने पुलिसकर्मी जो मार्टिन के सामने कसम खायी थी जिस व्यक्ति ने भी उनकी साईिकल चोरी की वह उसे अपने घूंसे से करारा मजा चखाएंगे.
इस्लाम अपनाकर सबको चौंकाया
जब वह अपने चरम पर थे तब उनका कद छह फुट तीन इंच और वजन 210 पाउंड था। उन्होंने इस तरह से अपनी हैवीवेट मुकाबले लडे जैसे पहले कभी कोई नहीं लडा था. उन्होंने खतरनाक सोनी लिस्टन को दो बार धूल चटायी। मजबूत जार्ज फोरमैन को जायरे में हराया और फिलीपीन्स में जो फ्रेजियर से लड़ते हुए मौत के मुंह से वापस लौटे. उन्होंने हर किसी से मुकाबला किया और लाखों डालर बनाये. उनके मुकाबले इतने लोकप्रिय होते थे कि उन्हें ‘जंगल में गडगडाहट’ और ‘मनीला में रोमांच’ जैसे नाम दिये जाते थे. अली हमेशा कहते थे, ‘‘मैं महानतम हूं.’ और उनसे शायद कुछ ही लोग असहमत रहे होंगे. उनका जन्म कासियस मार्सेलस क्ले के रुप में हुआ था लेकिन 1964 में लिस्टन को हराकर हैवीवेट खिताब जीतने के बाद उन्होंने यह घोषणा करके मुक्केबाजी जगत को हैरानी में डाल दिया कि वह अश्वेत मुस्लिमों ( इस्लामों के देश ) के सदस्य हैं और उन्होंने बाद में अपना नाम बदल दिया. दुनिया इसके बाद उन्हें मोहम्मद अली के नाम से ही जानती रही.
अली ने की थी चार शादी
अली की चार पत्नियां थी. उनकी पहली पत्नी सोंजी रोई थी जिनके साथ उनका साथ केवल दो साल रहा. उन्होंने अपना धर्म बदलने के बाद 17 वर्षीय बेलिंडा बायड से शादी की थी. बेलिंडा से उनके चार बच्चे थे. उनकी तीसरी पत्नी वरोनिका पोर्श था जिनसे उनके दो बच्चे थे. अपनी चौथी पत्नी लोनी विलियम्स के साथ मिलकर उन्होंने एक पुत्र को गोद लिया था.