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ग्रामीण प्रतिभा ने मैदान छोड़ तोड़ा पहाड़: मेहनत से नहीं डरता रमन, सपना ओलंपिक में गोल्ड जीतना, पढ़ें बिहार की यह खास रिपोर्ट

मजदूरी करता है पिता और भाई मैदान में रमन बहाता है पसीनाभागलपुर: नाथनगर मिर्जापुर का रमन यादव, बादरपुर मैदान में पसीना बहाया करता था. मेहनत देख कोच और स्थानीय लोग इसमें बड़े खिलाड़ी की छवि देखते थे. सपने पर लगाम तब लग गया जब इसको पर्याप्त खुराक और जरूरी संसाधन नहीं मिलने लगा. इसे देने […]

मजदूरी करता है पिता और भाई मैदान में रमन बहाता है पसीना
भागलपुर:
नाथनगर मिर्जापुर का रमन यादव, बादरपुर मैदान में पसीना बहाया करता था. मेहनत देख कोच और स्थानीय लोग इसमें बड़े खिलाड़ी की छवि देखते थे. सपने पर लगाम तब लग गया जब इसको पर्याप्त खुराक और जरूरी संसाधन नहीं मिलने लगा. इसे देने में परिवार सक्षम नहीं था. वजह पिता प्रकाश यादव मजदूर हैं. इतनी कमाई नहीं की बेटे को खिलाड़ी बना सके. 15 साल का रमन परिवार की आर्थिक मदद करने कभी पहाड़ से पत्थर काट जमीन पर लाया करता तो कभी मोठिया का काम करता. कठिन मेहनत के बाद भी इसके दिल में खेल और खिलाड़ी बनने की आग जलती रही. मैदान से दूर होने के बाद कोच जितेंद्र मणि राकेश ने रमन के परिवार को समझाना आरंभ किया. परिवार वालों ने रमन को खेलने की अनुमति दे दी. करीब एक साल की कठिन मेहनत के बाद आज रमन के पास जिला से राज्यस्तरीय मेडल है. मेहनत के दम पर यह किशनगंज साई में एथलिटिक्स का प्रशिक्षण ले रहा है. सपना ओलंपिक में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतना है.

रहते हैं साई में, प्रशिक्षण का वीडियो जाता है नाथनगर से : रमन कहते है किशनगंज साई में पांच माह से हैं. वहां के कोच का कहीं ओर तबादला हो गया है. इसलिए वहां एथेलेटिक्स कोच नहीं हैं. प्रबंधन कह रहा है कि जल्द ही कोच आ जायेंगे. ऐसे में नाथनगर से कोचिंग का वीडियो आता है. पहले कोच जितेंद्र मणि राकेश रोज नये नये टिप्स मोबाइल पर भेजते हैं. इसे देख हम अभ्यास करते हैं. इसका लाभ भी हमें मिल रहा है. अब सपना ओलंपिक में पदक लेने का है.

थकता नहीं रमन, कठिन मेहनत से नहीं डरता : कोच जितेंद्र मणि राकेश कहते हैं कि रमन तीन और डेढ़ हजार की दौड़ में जल्दी नहीं थकता है. इसके अंदर प्रतिभा है. बिहार में अभी इसके उम्र में इसको टक्कर देने वाला कोई खिलाड़ी नहीं है. पांच हजार मीटर की रेस के लिए इसे तैयार किया जा रहा है. जिस तरह की प्रतिभा इसके अंदर है यह देश का नाम जरूर रोशन करेगा.

पौष्टिक भोजन और अभ्यास के लिए गया साई सेंटर
साईं किशनगंज में प्रशिक्षण ले रहे रमन यादव ने बताया घर की आर्थिक हालत बेहतर नहीं है. पिता और भाई मजदूरी कर घर चलाते है. दौड़ने का जुनून बचपन से है. एक साल के अभ्यास से हमने जिला से राज्य स्तरीय पदक जीता. एक दर्जन से ज्यादा पदक हमारे पास है. पंजाब में होनेवाली नेशनल प्रतियोगिता में भाग लेने गये वहां अचानक तबीयत खराब हो गयी. भाग नहीं ले पाये. इसका मलाल आज तक है. रमन ने बताया कि प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन और अभ्यास के दम पर हमारा नामांकन साई किशनगंज में हो गया. यहां हम पौष्टिक भोजन और प्रशिक्षण के लिए गये. स्कूली प्रतियोगिता में तीन हजार मीटर दौड़ में पूरे बिहार में पहले स्थान पर रहे.

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