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बिहार की राजधानी पटना का एक स्टेडियम खिलाड़ियों के लिए उपयोगी, बाकी सभी दिखावटी

-राजधानी के कई स्टेडियमों में बुनियादी सुविधाओं की है कमी पटना : राजधानी पटना में स्टेडियम तो कई हैं, लेकिन खिलाड़ियों के लिए केवल एक पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स ही खुला रहता है. अन्य स्टेडियम राजधानी की मात्र शोभा बढ़ा रहे हैं. वहीं स्कूल और कॉलेज परिसर में बने स्टेडियम वहां पढ़ने वाले छात्रों को भी […]

-राजधानी के कई स्टेडियमों में बुनियादी सुविधाओं की है कमी

पटना : राजधानी पटना में स्टेडियम तो कई हैं, लेकिन खिलाड़ियों के लिए केवल एक पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स ही खुला रहता है. अन्य स्टेडियम राजधानी की मात्र शोभा बढ़ा रहे हैं. वहीं स्कूल और कॉलेज परिसर में बने स्टेडियम वहां पढ़ने वाले छात्रों को भी लाभ नहीं पहुंचा पा रहे हैं. एक वक्त था जब पटना का साइंस कॉलेज और एनआइटी का ग्राउंड क्रिकेट लीग मैचों के लिए जाना जाता था, लेकिन अब यहां खेल के नाम पर केवल खानापूर्ति होती है.

मोइनुल हक स्टेडियम में छह महीने से लटका है ताला : बिहार के इकलौते अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम मोइनुल हक में विगत छह माह से कला, संस्कृति एवं युवा विभाग स्टेडियम में ताला जड़कर सिर्फ नये नियम बनाने में जुटा है. इतिहास की पहली ऐसी घटना है, जहां अधिकारियों की गलती की सजा खिलाड़ियों को मिल रही है.

कई बार खिलाड़ियों ने इसके लिए आवाज भी उठायी, लेकिन अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगा. खेल मंत्री प्रमोद कुमार ने आश्वासन तो जरूर दिया, लेकिन अभी तक वह इसे पूरा करने में नाकाम रहे हैं. फिलहाल स्टेडियम जंगल में बदल चुका है.

पाटलिपुत्र खेल परिसर में ही केवल होता है खेल
यह बिहार का इकलौता स्टेडियम है, जहां एक साथ कई खेलों का अभ्यास और राष्ट्रीय टूर्नामेंट का आयोजन किया जाता है. इस स्टेडियम के बनने के बाद से प्रो कबड्डी लीग जैसे टूर्नामेंटों का आयोजन हर साल हो रहा है. हालांकि यहां बने एथलेटिक्स ट्रैक पर राज्य के खिलाड़ी अभ्यास तो करते हैं, लेकिन यह ट्रैक राष्ट्रीय मानक के अनुरूप नहीं है. इस बात को कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के प्रधान सचिव रहे विवेक कुमार सिंह ने माना था. इसे राष्ट्रीय मानक दिलाने के लिए उन्होंने ट्रैक के बगल में लगी हुई ईंट सेलिंग को हटाकर वार्म ट्रैक बनाने को कहा था, लेकिन उनका तबादला होने के साथ ही यह कार्य ठंढ़े बस्ते में चला गया. वहीं रखरखाव के अभाव में एथलेटिक्स ट्रैक खराब हो चुका है.
संजय गांधी स्टेडियम खेलने योग्य नहीं
पटना के गर्दनीबाग स्थित संजय गांधी स्टेडियम खेलने के लायक नहीं रह गया है. इस स्टेडियम की बुकिंग स्थानीय एथलेटिक क्लब करती है, लेकिन उसका पैसा इसके रख-रखाव पर खर्च नहीं होता है. बारिश के दिनों में यह स्टेडियम पानी में डूबा रहता है. यहां पटना जिला जूनियर व सीनियर डिवीजन क्रिकेट लीग के मैच खेले जाते हैं. अन्य बड़े टूर्नामेंटों का आयोजन नहीं होता है.
मिथिलेश स्टेडियम केवल पुलिसवालों के लिए
बीएमपी पांच के परिसर में स्थित मिथिलेश स्टेडियम में आम खिलाड़ियों को खेलने की इजाजत नहीं है. भले ही इसका निर्माण राज्य सरकार के पैसे से ही हुआ हो. कुछ साल पहले यहां डीजीपी अभ्यानंद द्वारा खिलाड़ियों को तराशने के लिए सुपर-100 की शुरुआत की गयी थी, लेकिन उनके जाने के बाद आम खिलाड़ियों के लिए यह स्टेडियम लगभग बंद हो गया. अब सिर्फ पुलिस मैचों का आयोजन ही इस स्टेडियम में होता है.
बिहार का इकलौता डुंगडुंग एस्ट्रोटर्फ हॉकी ग्राउंड
बिहार में हॉकी एस्ट्रोटर्फ का इकलौता ग्राउंड बीआरसी दानापुर में है. इस स्टेडियम को बिहार के मशहूर और ओलिंपियन हॉकी खिलाड़ी सिलवानुस डुंगडुंग के नाम पर बनाया गया है. हालांकि बिहार के बंटवारे के बाद डुंगडुंग (सिमडेगा) झारखंड के हो गये. यह स्टेडियम आम खिलाड़ियों के लिए नहीं खुलता है. सेना इस स्टेडियम में रखरखाव अच्छे तरीके से कर रही है. कभी-कभी बिहार हॉकी संघ को इसके इस्तेमाल करने की मंजूरी मिलती है.

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