जकार्ता : नीरज चोपड़ा ने अपनी ख्याति के अनुरूप प्रदर्शन करते हुए सोमवार को यहां एशियाई खेलों के पुरुष भाला फेंक में नये राष्ट्रीय रिकार्ड के साथ स्वर्ण पदक जीतकर भारतीय खेलों में नया इतिहास रचा, जबकि सुधा सिंह, धारूण अय्यासामी और नीना वराकिल ने अपनी-अपनी स्पर्धाओं में रजत पदक हासिल किये.
नीरज एशियाई खेलों में पुरुषों के भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीतनेवाले पहले भारतीय बने. उन्होंने 88.06 मीटर की दूरी पर भाला फेंककर अपने खुद के राष्ट्रीय रिकार्ड में भी सुधार किया. चोपड़ा का स्वर्ण पदक असल में एशियाई खेलों की भाला फेंक स्पर्धा में भारत का केवल दूसरा पदक है. उनसे पहले 1982 में नयी दिल्ली में गुरतेज सिंह ने कांस्य पदक जीता था. इससे पहले अनुभवी सुधा सिंह ने महिलाओं की 3000 मीटर स्टीपलचेज, अय्यासामी ने पुरुषों की 400 मीटर दौड़ और वराकिल ने महिलाओं की लंबी कूद में रजत पदक जीते. बीस वर्षीय नीरज ने तीसरे प्रयास में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया. उन्होंने पहले प्रयास में 83.46 मीटर भाला फेंका था, लेकिन दूसरे प्रयास में वह फाउल कर गये थे. चीन के लियु क्विझेन ने रजत पदक जीता, लेकिन वह नीरज से काफी पीछे 82.22 मीटर ही भाला फेंक पाये. पाकिस्तान के अरशद नदीम ने 80.75 मीटर के प्रयास से कांस्य पदक हासिल किया.
राष्ट्रमंडल खेलों और मौजूदा एशियाई खेलों के चैंपियन नीरज ने शुरू से ही दबदबा बनाये रखा और इस बीच उन्होंने खुद के राष्ट्रीय रिकार्ड में सुधार किया. उन्होंने मई में डायमंड लीग सीरीज के पहले चरण में दोहा में 87.43 मीटर के साथ रिकार्ड बनाया था. एशियाई खेलों में भाग ले रहे प्रतिभागियों में नीरज को छोड़कर कोई भी अन्य इस सत्र में 85 मीटर की दूरी को नहीं छू पाया है. जूनियर विश्व रिकार्ड (86.48 मीटर) बनानेवाले नीरज का सबसे मुख्य प्रतिद्वंद्वी चाओ सुन चेंग को माना जा रहा था जिन्होंने पिछले साल 91.36 मीटर भाला फेंका था, लेकिन चीनी ताइपे का यह एथलीट 79.81 मीटर ही भाला फेंक पाया और पांचवें स्थान पर रहा. नीरज इस सत्र में बेहतरीन फार्म में चल रहे हैं और उन्होंने लगातार 85 मीटर की दूरी पार की है.
उन्होंने मार्च में फेडरेशन कप में 85.94 मीटर भाला फेंका था और गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में 86.47 मीटर के साथ स्वर्ण पदक हासिल किया था. दोहा में भी उन्होंने 85 मीटर की दूरी पार की और एशियाई खेलों में आने से पहले फ्रांस और फिनलैंड में क्रमश: 85.17 और 85.69 मीटर भाला फेंका था. इस स्पर्धा में भाग ले रहे एक अन्य भारतीय शिवपाल सिंह ने अपने पहले प्रयास में 74.11 मीटर की दूरी नापी और वह आठवें स्थान पर रहे.
महिलाओं की 3000 मीटर स्टीपलचेज में सुधा ने नौ मिनट 40.03 सेकेंड का समय लिया और एशियाई खेलों में अपना दूसरा पदक जीता. बहरीन की विनफ्रेड यावी ने 9:36.52 के समय के साथ स्वर्ण पदक, जबकि वियतनाम की थी ओन नगुएन ने 9:43.83 का समय लेकर कांस्य पदक हासिल किया. बत्तीस वर्षीय सुधा ने 2010 में 3000 मीटर स्टीपलचेज को एशियाई खेलों में शामिल करने पर स्वर्ण पदक जीता था. उनका सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत प्रदर्शन 9:26.55 और सत्र का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 9:39.59 है जो उन्होंने जून में राष्ट्रीय अंतरराज्यीय चैंपियनशिप के दौरान बनाया था.
इससे पहले अय्यासामी ने पुरुषों की 400 मीटर बाधा दौड़ में 48.96 सेकेंड का समय लेकर खुद का राष्ट्रीय रिकार्ड तोड़ा और वह कतर के अब्दररहमान सांबा के बाद दूसरे स्थान पर रहे. सांबा ने 47.66 सेकेंड के खेलों के नये रिकार्ड के साथ स्वर्ण पदक हासिल किया. अय्यासामी का इससे पहले का राष्ट्रीय रिकार्ड 49.45 सेकेंड था, जो उन्होंने इस साल मार्च में फेडरेशन कप में बनाया था. तमिलनाडु का यह 21 वर्षीय एथलीट 300 मीटर की दूरी तक चौथे स्थान पर था, लेकिन आखिरी 100 मीटर में उन्होंने दो धावकों को पीछे छोड़कर रजत पदक हासिल किया. भारत का यह इस स्पर्धा में 2010 में जोसेफ अब्राहम के स्वर्ण पदक के बाद पहला पदक है.
महिलाओं की लंबी कूद में वराकिल की सर्वश्रष्ठ कूद 6.51 मीटर की रही. उन्होंने चौथे प्रयास में यह दूरी तय की जो रजत पदक जीतने के लिए पर्याप्त थी. वियतनाम की थी थु थाओ बुई ने अपने पहले प्रयास में 6.55 मीटर की दूरी नापी और स्वर्ण जीता. चीन की झियोलिंग झू ने 6.50 मीटर के साथ कांस्य पदक हासिल किया. इस स्पर्धा में भाग ले रही एक अन्य भारतीय जेम्स नयना 6.14 मीटर की दूरी तक ही पहुंच पायी. वह छह में से केवल दो सफल प्रयास ही दर्ज कर पायी.