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स्वदेश और विदेश वाला प्रारूप डेविस कप का डीएनए : भूपति

नयी दिल्ली : भारतीय टीम के कप्तान महेश भूपति ने कहा कि अधिकारियों के डेविस कप प्रारूप को सुधारने के लक्ष्य के अंतर्गत तीन खरब डालर का करार इतना बड़ा है कि इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती लेकिन ‘ स्वदेश और विदेश ‘ वाले प्रारूप को हटाना ‘ आदर्श ‘ नहीं है क्योंकि यह […]

नयी दिल्ली : भारतीय टीम के कप्तान महेश भूपति ने कहा कि अधिकारियों के डेविस कप प्रारूप को सुधारने के लक्ष्य के अंतर्गत तीन खरब डालर का करार इतना बड़ा है कि इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती लेकिन ‘ स्वदेश और विदेश ‘ वाले प्रारूप को हटाना ‘ आदर्श ‘ नहीं है क्योंकि यह टूर्नामेंट का ‘ डीएनए ‘ है.

अंतरराष्ट्रीय टेनिस महासंघ ( आईटीएफ ) एक प्रस्ताव का परीक्षण करेगा जिसमें सत्र के अंत में विश्व कप ऑफ टेनिस खेला जायेगा जिसमें 18 देश भाग लेंगे. मैच नवंबर में एक ही स्थल पर एक हफ्ते तक आयोजित किये जायेंगे जो डेविस कप फाइनल की तरह पारंपरिक हफ्ते की तरह होंगे , जिससे एलीट विश्व ग्रुप में ‘ स्वदेश और विदेश ‘ वाला प्रारूप नहीं होगा.

इस विचार को आईटीएफ के निदेशक बोर्ड से मंजूरी मिली गयी है , जिसे अगस्त में ओरलांडो में मतदान के लिये रखा जायेगा और इसे सच्चाई में बदलने के लिये कम से कम दो तिहाई मतों की जरूरत होगी. भूपति ने कहा , ‘‘ डेविस कप विशेष है और सभी शीर्ष खिलाड़ी कभी न कभी इसके प्रति समर्पित रहे हैं. हर खेल की तरह टेनिस को भी नयी पद्धति और राजस्व से प्रेरित होना चाहिए और अगर तीन खरब डालर का मौका है तो भले ही इसमें भावनायें जुड़ी हों , लेकिन इसकी किसी भी तरह अनदेखी नहीं की जा सकती.

उन्होंने कहा , शीर्ष खिलाड़ी जब भी फिट और स्वस्थ रहते हैं तो हमेशा अपने देश के लिये खेलते हैं. इसके संदर्भ में बता सकता हूं कि राफा ( राफेल नडाल ) जो अभी खेले थे , जबकि वह इंडियन वेल्स और मियामी ( मास्टर्स टूर्नामेंट ) में नहीं खेले थे. यह डेविस कप की बात नहीं है. अगर एक खिलाड़ी चोटिल या थका होता है तो वह विश्व के बड़े टूर्नामेंट भी नहीं खेलता.

बारह ग्रैंडस्लैम खिताब के विजेता भूपति ने कहा कि लेकिन ‘ होम एंड अवे ‘ यानि स्वदेश और विदेश (प्रतिद्वंद्वी टीम के देश में) मुकाबलों का नहीं होना अच्छा विचार नहीं है. उन्होंने कहा , यह आदर्श नहीं है क्योंकि घरेलू कोर्ट पर खेलना और फिर विपक्षी टीम के कोर्ट पर खेलना चुनौतियों भरा होता है जो डेविस कप का ‘ डीएनए ‘ है जिससे टूर्नामेंट रोमांचक बनता है.

विश्व टेनिस में इस मुद्दे पर अलग अलग प्रतिक्रियायें हो रही हैं , जिसमें से कुछ शीर्ष खिलाड़ियों जैसे नडाल ने इसका समर्थन किया है जबकि निकोलस महूत , ग्रेग रूसेदस्की और टॉड वूडब्रिज ने कहा कि यह टूर्नामेंट का ‘ मूल तत्व ‘ है. भारत के शीर्ष खिलाड़ी युकी भांबरी के विचार अपने कप्तान से अलग हैं , उन्होंने कहा , कि विश्व कप कोई बुरा विचार नहीं है. भारतीय टीम के अहम सदस्य युकी ने कहा , ‘‘ अगर यह विश्व कप है तो हां , ‘ होम एंड अवे ‘ प्रारूप को हटाना ठीक है.

उन्होंने कहा , हर किसी की अपनी राय है , कुछ कह रहे हैं कि इससे फायदा होगा , तो कुछ कह रहे हैं , ऐसा नहीं होगा. मुझे लगता है कि कुछ और एटीपी अंक इसमें जोड़े जाने चाहिए और ईनामी राशि बढ़ाने से हमेशा मदद होती है. एक और विचार हो सकता हैकि डेविस कप प्रत्येक दो या तीन साल में कराया जाये. इस समय देश नवंबर में जीतता है और फिर फरवरी में पहला दौर खेलने के लिये तैयार हो जाता है. पूर्व राष्ट्रीय चैम्पियन आशुतोष सिंह हालांकि इसके पक्ष में नहीं थे.

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