Yograj Singh on MS Dhoni: पूर्व भारतीय क्रिकेटर युवराज सिंह के पिता योगराज अपनी बेबाकी से जवाब देने के लिए जाने जाते हैं. वे अक्सर दावा करते रहे हैं कि भारतीय टीम में उनके बेटे के साथ न्याय नहीं हुआ. एक बार फिर उन्होंने अपने बेटे के पूर्व साथियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि युवराज (Yuvraj Singh) को दोस्तों से ज्यादा पीठ में छुरा घोंपने वाले लोग (बैकस्टैबर्स) मिले. उनका दावा है कि ज्यादातर खिलाड़ी इस बात से डरते थे कि युवराज कितने बड़े खिलाड़ी हैं. योगराज ने यहां तक कहा कि एमएस धोनी भी इस डर में रहते थे कि कहीं युवराज उनकी कुर्सी न ले लें. योगराज का कहना है कि सचिन तेंदुलकर ही युवराज के असली दोस्त थे, जबकि बाकी खिलाड़ी अपनी जगह टीम में खोने के डर से उनसे दूरी बनाए रखते थे.
योगराज सिंह ने इनसाइड स्पोर्ट्स को दिए गए इंटरव्यू में कहा, “जैसा कि मैंने आपको बताया था, सफलता, पैसे और शोहरत की दुनिया में कोई दोस्त नहीं होता. हमेशा कुछ लोग होते हैं जो आपको नीचे गिराना चाहते हैं, पीठ में छुरा घोंपते हैं. लोग युवराज सिंह से डरते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि कहीं वह उनकी जगह न ले लें. वह भगवान की बनाई हुई एक महान प्रतिभा थे. सबसे बड़े खिलाड़ी रहे हैं और लोग एमएस धोनी से लेकर बाकी सभी सोचते थे कि वह मेरी कुर्सी ले सकते हैं.”
हालांकि यह पहली बार नहीं है जब योगराज ने युवराज के पूर्व साथियों को लेकर ऐसे बयान दिए हों. वह पहले भी कई बार दावा कर चुके हैं कि उनके बेटे को समय से पहले संन्यास लेने के लिए मजबूर किया गया. युवराज के करियर को टेस्ट क्रिकेट में मौके भुनाने में असफलता और फिर अपने सुनहरे दौर में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझने ने भी प्रभावित किया.
युवराज और धोनी का साझा करियर रहा शानदार
युवराज और धोनी भारत के दो महानतम क्रिकेटरों में गिने जाते हैं. युवराज 2011 वनडे विश्व कप के प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट रहे और 2007 टी20 विश्व कप में भी उनका प्रदर्शन शानदार था. दूसरी ओर धोनी ने 550 से अधिक अंतरराष्ट्रीय मैच खेले और आईपीएल में भी उनकी विरासत अब तक जारी है. वहीं, युवराज ने थोड़ा छोटा करियर खेलते हुए 400 से कुछ अधिक अंतरराष्ट्रीय मैच खेले और आईपीएल में उनका सफर कुछ खास नहीं रहा, वहीं धोनी 5 बार के आईपीएल विजेता रहे हैं.
युवराज सिंह का करियर
युवराज सिंह ने 2000 से 2017 तक एक शानदार अंतरराष्ट्रीय करियर खेला. उन्होंने भारत के लिए 402 मैचों में हिस्सा लिया और 35.05 की औसत से 11,178 रन बनाए, जिसमें 17 शतक और 71 अर्धशतक शामिल हैं. वह भारत की कई बड़ी जीतों के हीरो रहे. 2002 चैंपियंस ट्रॉफी, 2007 टी20 विश्व कप और 2011 वनडे विश्व कप की विजेता टीम का हिस्सा रहे. युवराज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में लगातार छह छक्के लगाने वाले पहले भारतीय भी बने, जब उन्होंने 2007 टी20 विश्व कप में इंग्लैंड के खिलाफ स्टुअर्ट ब्रॉड से यह कारनामा किया. उनके करियर का सबसे सुनहरा पल 2011 विश्व कप रहा, जहां उन्होंने 9 मैचों में 362 रन बनाए, जिसमें एक शतक और चार अर्धशतक शामिल थे, उन्होंने इसी टूर्नामेंट में 15 विकेट भी झटके थे, जिसके लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया.
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