John Campbell Century: जब भी कोई विदेशी खिलाड़ी भारत के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में शतक बनाता है, तो वह संयोग ही नहीं, बल्कि संघर्ष और लगन का प्रतीक बन जाता है. जॉन कैंपबेल (John campbell) ने दिल्ली में भारत के खिलाफ खेलते हुए ऐसा कारनामा किया कि क्रिकेट जगत हर कहीं उसकी तारीफ कर रही है. उन्होंने 199 गेंदों पर 115 रन की पारी खेली, जिसमें 12 चौके और 3 छक्के शामिल थे. यह उनके लिए पहला टेस्ट शतक था. इस प्रदर्शन ने उन्हें इतिहास की किताबों में एक विशेष पन्ना दिलाया, वह पहले वेस्टइंडीज ओपनर बने जिन्होंने भारत में शतक लगाया, और ये करिश्मा उन्होंने 23 साल बाद किया.
कैंपबेल की पारी कैसे खास बनी?
कैंपबेल ने जिस स्थिरता और संयम से यह शतक बनाया, वह प्रेरणादायक है. उन्होंने पूरी पारी में धैर्य की रणनीति से अपनाई. दबाव भरे हालात में, उन्होंने गेंदबाजों को टाइम दिया, अपनी स्ट्रोक चॉइस पर ध्यान दिया और बढ़िया शॉट्स खेले. उनकी इस पारी में इतना धैर्य था कि गेंदबाजों को तोड़ने में समय लगा और इस तरह विरोधी टीम को कोई आसान मौका नहीं मिला. उनका 115 रन का स्कोर यह दिखाता है कि वह सिर्फ आक्रामक बल्लेबाजी ही नहीं कर सकते, बल्कि देरी से, समझदारी से खेलना भी जानते हैं. इस तरह की पारी से टीम को स्थिरता मिलती है और साथी बल्लेबाजों के लिए भरोसा बनता है.
इतिहास के पन्नों में नाम दर्ज
यह शतक इसलिए और खास बन जाता है क्योंकि इससे पहले किसी वेस्टइंडीज ओपनर ने भारत में शतक नहीं बनाया था यह पहली बार हुआ है. आखिरी वेस्टइंडीज ओपनर जिसने भारत में शतक जमाया था, वह वावेल हिंड्स थे, और वह घटना 2002 की है. इसके अलावा यह शतक पहला टेस्ट शतक दिल्ली में बनाने वालों की विशेष सूची में शामिल हो गया. कैंपबेल इस सूची में उन महान खिलाड़ियों के बीच खड़े हो गए, जिन्होंने दिल्ली में अपना पहला शतक जड़ा, और दिलचस्प ये है कि वे पहले वेस्टइंडीज ओपनर हैं जिन्होंने भारत के खिलाफ शतक बनाया हो इस रिकॉर्ड की वजह से उनका नाम इतिहास में दर्ज हो गया.
कैंपबेल की पारी का असर
जब एक बल्लेबाज ऐसे शतक के करीब पहुंच जाए, तो उसका असर सिर्फ स्कोरबोर्ड पर नहीं, बल्कि विरोधी टीम की मानसिकता पर भी पड़ता है. भारत की गेंदबाजी जो दबाव बना रही थी, उस पर यह पारी एक चुनौती बन गई. कैंपबेल को आखिरकार रवींद्र जडेजा ने आउट किया, लेकिन तब तक उन्होंने 212 रन पर 3 विकेट के साथ टीम की स्थिति को मजबूत कर एक कीमती योगदान दे दिया था. उनकी पारी ने मध्यक्रम और लोअर ऑडर के बल्लेबाजों को आत्मविश्वास दिया. जब पहले विकेट ने समय लिया, तो टीम को संभालने में सहायता मिली.
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