Harmanpreet Kaur Emotional Message: कभी पिता का बड़ा बल्ला पकड़कर गली में क्रिकेट खेलना शुरू करने वाली हरमनप्रीत कौर (Harmanpreet Kaur) ने वह सपना पूरा कर दिखाया जिसे पूरा करने की उम्मीद पूरे भारत को थी. नवी मुंबई में खेले गए महिला वर्ल्ड कप (Women’s World Cup) फाइनल में उनकी कप्तानी में भारत ने 52 रन से जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया. यह सफर आसान नहीं था पर मेहनत, भरोसे और सपनों की ताकत ने इस लड़की को विश्व चैंपियन बना दिया.
बचपन का सपना
हरमनप्रीत कौर को बचपन से ही क्रिकेट का जुनून था. वह बताती हैं कि जब उन्होंने खेलना शुरू किया, तब उनके पिता के किट बैग से बल्ला निकालकर खेला करती थीं. वह बल्ला उनके लिए बहुत बड़ा था, लेकिन उसी से उन्होंने अपने सपनों की शुरुआत की. एक दिन उनके पिता ने अपने पुराने बल्ले को काटकर छोटा कर दिया ताकि वह आसानी से खेल सके. यही पल था जब हरमन ने तय कर लिया कि एक दिन वह भारत के लिए खेलेगी.
टीवी पर देखकर जगी प्रेरणा
हरमन बताती हैं कि जब वह टीवी पर भारत की टीम को खेलते देखती थीं, तो उनके मन में भी वही सपना जागता था मुझे भी ऐसा मौका चाहिए. उस समय उन्हें महिला क्रिकेट के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी, लेकिन उनकी चाहत इतनी मजबूत थी कि उन्होंने कभी हार नहीं मानी. उन्होंने तय कर लिया था कि चाहे कुछ भी हो, उन्हें नीली जर्सी पहननी ही है.
हार से सीख और जीत का विश्वास
हरमन का यह सफर हमेशा आसान नहीं रहा. उन्होंने अपने करियर में कई बार हार और निराशा का सामना किया. 2017 महिला वर्ल्ड कप फाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ मिली हार उनके लिए बहुत दर्दनाक थी. लेकिन उन्होंने उस हार को अपनी ताकत बना लिया. वह कहती हैं मैंने तब ठान लिया था कि अगली बार हम जीतेंगे. यही जज्बा उन्हें इस मुकाम तक ले आया.
भगवान पर भरोसा
हरमनप्रीत कहती हैं कि उन्होंने कभी सपने देखना बंद नहीं किया. वह मानती हैं कि अगर दिल से किसी चीज की इच्छा की जाए तो ईश्वर भी उसे पूरा करने में मदद करता है. उन्होंने कहा मैंने भगवान से सिर्फ इतना मांगा कि मुझे अपनी टीम को वर्ल्ड कप जिताने का मौका मिले और भगवान ने सब सुन लिया. वर्ल्ड कप ट्रॉफी उठाते वक्त हरमनप्रीत की आंखों में खुशी और राहत दोनों थीं.
पूरे देश का सपना हुआ सच
हरमनप्रीत ने कहा कि यह जीत सिर्फ खिलाड़ियों की नहीं, बल्कि पूरे देश की थी. उन्होंने 2017 के हार के बाद हुए शानदार स्वागत को याद करते हुए कहा तब हमें समझ आया कि देश हमारी मेहनत को समझता है और हमारे साथ है. यही प्यार और समर्थन उन्हें वर्ल्ड कप जीतने की ताकत देता रहा. इस बार जब उन्होंने ट्रॉफी उठाई, तो वह सिर्फ टीम इंडिया नहीं, बल्कि हर उस लड़की की जीत थी जिसने कभी सपना देखा था कि वह भी कुछ बड़ा कर सकती है.
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