Cheteshwar Pujara Retirement: भारतीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों को अलविदा कहने वाले चेतेश्वर पुजारा ने खुलासा किया है कि संन्यास लेने का उनका फैसला कोई सहज निर्णय नहीं था, बल्कि एक ऐसा फैसला था जिस पर वह एक हफ्ते से विचार कर रहे थे. एक सामान्य रविवार की सुबह, पुजारा ने चुपचाप अपने संन्यास की घोषणा करके क्रिकेट जगत को सदमे में डाल दिया. वह भारत के दिग्गज बल्लेबाजों विराट कोहली और रोहित शर्मा के साथ टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहने वाले पहले खिलाड़ी बन गए, एक ऐसा प्रारूप जो उनकी असली क्षमता का केंद्र था, जिसमें उन्होंने पारंपरिक बल्लेबाजी शैली का प्रदर्शन किया. पिछले दो वर्षों में, भारतीय टीम पुजारा से आगे बढ़ गई. टेस्ट क्रिकेट से उनकी लगातार अनुपस्थिति इसका एक प्रमुख प्रमाण थी, हालांकि वह भारत के घरेलू क्रिकेट में सौराष्ट्र और काउंटी चैंपियनशिप में ससेक्स के लिए सक्रिय थे.
2023 से ही थे टीम से बाहर
37 साल की उम्र में, पुजारा की वापसी की संभावनाएं हर गुजरते दिन के साथ कम होती जा रही थीं. 2023 में विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में करारी हार के बाद टीम से बाहर किए जाने के बाद टेस्ट टीम में वापसी की उनकी ख्वाहिश उनके संन्यास के फैसले के साथ खत्म हो गई. पुजारा ने बताया कि उनके इस फैसले के पीछे का कारण यह अहसास था कि यह सही समय था कि वे पीछे हट जाएं और अगली पीढ़ी के लिए अवसर छोड़ जाएं. उनका यह फैसला सिर्फ उनका नहीं था, बल्कि उनके परिवार और शीर्ष क्रिकेटरों के साथ विचार-विमर्श का नतीजा था.
A distinguished career, defined by resilience, patience, and an unflinching commitment to the longest form of the game.#ThankYouPujji | @cheteshwar1 pic.twitter.com/tDu0Uiw4RE
— BCCI (@BCCI) August 24, 2025
एक सप्ताह से बना रहे थे संन्यास की योजना
पुजारा ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, ‘यह योजना एक सप्ताह से चल रही थी. मैं पिछले कुछ वर्षों से भारतीय टीम का हिस्सा नहीं रहा हूं, लेकिन अब मैंने सोचा कि यह सही समय है क्योंकि युवा खिलाड़ियों को घरेलू क्रिकेट में मौका मिला है, जिसके कारण मैंने यह फैसला लिया.’ उन्होंने कहा, ‘जब आप इतना बड़ा फैसला लेते हैं तो आप अपने परिवार और अपने सबसे बड़े खिलाड़ियों से बात करने के बाद ही यह फैसला लेते हैं, इसलिए मैंने सभी से सलाह ली और फिर मैंने फैसला किया कि आगे बढ़ना महत्वपूर्ण है.’ पुजारा ने 2010 के अंत में पदार्पण किया और टेस्ट प्रारूप में अपना प्रदर्शन जारी रखा, विशेषकर उस युग में जब टी-20 क्रिकेट और फ्रेंचाइजी लीग का महत्व बढ़ रहा था.
7000 से अधिक टेस्ट रन बनाए
37 वर्षीय खिलाड़ी ने 103 टेस्ट मैचों में 43.60 की औसत से 7,195 रन बनाकर अपने करियर को अलविदा कह दिया, जिसमें 15 साल से अधिक का सफर शामिल है. इस दौरान उन्होंने 19 शतक और 35 अर्धशतक भी लगाए. सफलता की कई कहानियों का हिस्सा बनने के बाद, 2018-19 बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी उनकी सबसे यादगार सीरीज जीतों में से एक है. 1258 गेंदों की मैराथन पारी में, पुजारा ने 74.42 की औसत से 521 रन बनाए और सीरीज़ में स्कोरिंग चार्ट में शीर्ष पर रहे. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में अपना पहला टेस्ट शतक लगाकर टीम को संकट से उबारा, जब भारत सीरीज़ के पहले मैच में 19/3 के स्कोर पर जूझ रहा था.
ऑस्ट्रेलिया सीरीज को सबसे यादगार बताया
पुजारा ने अपनी रक्षात्मक तकनीक पर भरोसा जारी रखा, ऑस्ट्रेलियाई आक्रमण को ध्वस्त किया और फिर उन पर धावा बोलकर भारत को ऑस्ट्रेलिया में पहली टेस्ट सीरीज़ जीत दिलाई. ऑस्ट्रेलिया में 2020-21 की BGT सीरीज के दौरान पुजारा भारत के अगुआ की भूमिका निभाते रहे. अपने महत्वपूर्ण खिलाड़ियों के बिना खेल रही भारतीय टीम के लिए पुजारा ने चार टेस्ट मैचों में 271 रन बनाकर भारत को ऑस्ट्रेलियाई धरती पर लगातार दूसरी जीत दिलाई. उन्होंने कहा, ‘मेरे पास बहुत सारी यादें हैं, लेकिन निश्चित रूप से जैसा आपने कहा कि 2018 में ऑस्ट्रेलियाई दौरा जब भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया में पहली बार सीरीज जीती थी, वह सबसे बड़ी और सबसे महत्वपूर्ण सीरीज थी, उसके बाद 2021 में हमने अपनी कमजोर टीम के साथ ऑस्ट्रेलियाई धरती पर सीरीज जीती, इसलिए वे दो सीरीज बहुत यादगार थीं.’ उन्होंने आगे कहा, ‘2010 से 2023 तक के पूरे सफर में मैंने भारतीय टीम के लिए खेला. कई बड़ी सीरीज थीं, लेकिन प्रतिस्पर्धी सीरीज ऑस्ट्रेलिया के सामने थी, इसलिए वह सीरीज मेरे लिए बहुत यादगार रहेगी.’
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