Champions Trophy 2025: आठ साल बाद हो रहे इस टूर्नामेंट के आयोजन में कई परेशानियां आई. वनडे क्रिकेट की प्रासंगिकता पर चल रही बहस के बीच इस टूर्नामेंट की अहमियत को स्थापित करना भी एक चुनौती थी. टी20 क्रिकेट की लोकप्रियता और टेस्ट प्रारूप के लिये प्रतिबद्धता की जद्दोजहद में कहीं न कहीं इसके लिये जगह बनाना विकट था. शायद ही किसी क्रिकेट आयोजन में इतना भू राजनीतिक तनाव, दो अहम प्रतिभागियों के दो प्रशासनिक बोर्ड की जिद और मेजबान स्टेडियमों की तैयारियों को लेकर आशंकायें देखने को मिली हों.
इससे नब्बे के दशक की यादें ताजा हो गई जब उपमहाद्वीप में क्रिकेट का आयोजन आनन फानन में की गई किसी पार्टी की तरह लगता था. लेकिन एक बार जब पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के कप्तान पहले मैच के टॉस के लिये उतरेंगे तो मैदान से बाहर की ये सारी बातें हाशिये पर चली जायेंगी. पाकिस्तान ने पिछली बार 2017 में खिताब जीता था.
कल 19 फरवरी को पहले मैच में पाकिस्तान की प्रतिभाशाली टीम न्यूजीलैंड से खेलेगी जबकि 23 फरवरी को भारत और पाकिस्तान का मुकाबला है जिसे हमेशा टूर्नामेंट का ‘ब्लॉकबस्टर’ माना जाता है. इसमें सरहद के आर पार जज्बात उमड़ेंगे, यादों की परतें खोली जायेंगी और सोशल मीडिया किसी अखाड़े से कम नहीं दिखेगा.
टीम समीकरणों के अलावा खिलाड़ियों पर भी नजरें होंगी जिनमें पहला नाम रोहित शर्मा और विराट कोहली का है. आधुनिक क्रिकेट के दोनों दिग्गज अपने कैरियर के आखिरी पड़ाव पर हैं और जीत के साथ विदा लेना चाहेंगे. भारतीय वनडे टीम में चैम्पियंस ट्रॉफी के बाद रोहित और कोहली की जगह नहीं दिखती. यहां खराब खेलने पर टेस्ट क्रिकेट में भी उनके भविष्य पर असर पड़ सकता है. वहीं चैम्पियंस ट्रॉफी में नाकामी की गाज कोच गौतम गंभीर पर भी गिर सकती है.
इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू श्रृंखला में अच्छे प्रदर्शन से गंभीर को क्षणिक राहत भले ही मिल गई हो लेकिन न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया के हाथों हार को इतनी जल्दी भुलाया नहीं जा सकता. ऐसे में आईसीसी खिताब उनके लिये बड़ा सहारा बन सकता है. भारतीय टीम ने भी महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में 2013 चैम्पियंस ट्रॉफी के बाद कोई वनडे खिताब नहीं जीता है. हालांकि 2024 में टी20 विश्वकप जीतकर भारत ने ट्रॉफी के सूखे में थोड़ा नमी प्रदान की थी.
भारतीय टीम खिताब की प्रबल दावेदार के रूप में उतरेगी लेकिन एक सत्र या एक पल का खराब प्रदर्शन सारे समीकरण बिगाड़ सकता है. जैसा 2023 विश्व कप फाइनल में हुआ जब पूरे टूर्नामेंट में उम्दा प्रदर्शन के बाद भारतीय टीम आखिर में दबाव में आ गई. अहमदाबाद स्टेडियम में नवंबर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए मैच में भारत अंतिम समय में बिखर गया था.
आस्ट्रेलिया टीम अपने प्रमुख तेज गेंदबाजों पैट कमिंस, मिचेल स्टार्क और जोश हेजलवुड के बिना आई है लेकिन उसके पास वनडे प्रारूप की जरूरतों पर खरे उतरने वाले बल्लेबाज हैं। इंग्लैंड के कुछ प्रमुख खिलाड़ियों पर बढती उम्र और खराब फॉर्म हावी है. लेकिन जोस बटलर, जो रूट और लियाम लिविंगस्टोन से एक आखिरी बार उसी चिर परिचित प्रदर्शन की उम्मीद की जा सकती है या हैरी ब्रूक और बेन डकेट जैसे युवा खिलाड़ी नया रास्ता बना सकते हैं.
न्यूजीलैंड भी ट्रेंट बोल्ट और टिम साउदी के संन्यास के बाद नये खिलाड़ियों के साथ उतरी है. केन विलियमसन ट्रंपकार्ड हैं और उम्मीद है कि वह न्यूजीलैंड को पहला आईसीसी खिताब दिला सकेंगे.
साउथ अफ्रीका; पिछले 1.5 साल में आईसीसी के तीन विश्वकप के खिताबी मुकबले में जगह बनाने वाले प्रोटियाज अपनी पूरी दमदारी से उतरेंगे. दक्षिण अफ्रीका ने 1998 में आईसीसी नॉकआउट ट्रॉफी जीती लेकिन हाल ही में कोई खिताब नहीं जीत पाई और इस कमी को पूरा करना चाहेगी. कप्तान टेंबा बावुमा की अगुवाई में उसने टेस्ट क्रिकेट में कमाल का खेल दिखाया है.
पाकिस्तान ;अगर भारत के खिलाफ मैच को लेकर जज्बाती होने से उबर जाये और उसे ही आखिरी किला नहीं माने तो खतरनाक साबित हो सकता है. उसके पास आला दर्जे का तेज आक्रमण और फखर जमां तथा सलमान अली आगा जैसे धाकड़ बल्लेबाज हैं. शाहीन शाह का तेज गेंदबाजी आक्रमण भी उसकी टीम के लिए बड़ा जैकपॉट साबित हो सकता है. अपने घर में खेलने का फायदा भी उसको जरूर मिलेगा.
अफगानिस्तान; बात आखिरी टीम की जिसने पहली बार इस टूर्नामेंट में शिरकत की है. पामीर की तलहटी में बसे अफगानिस्तान की जीत को अब उलटफेर नहीं माना जाता है. राशिदखान, आईसीसी वर्ष के सर्वश्रेष्ठ वनडे क्रिकेटर रहे अजमतुल्लाह उमरजई और रहमानुल्लाह गुरबाज जैसे मैच विनर उसके पास हैं. दूसरी ओर बांग्लादेश 2007 वनडे विश्व कप में उलटफेर कर चुका है और उसे दोहराना चाहेगा.
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भाषा के इनपुट के साथ.

