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पहला वर्ल्ड कप दिलाने वाला खूंखार ऑस्ट्रलियाई कोच, प्लेयर्स को कर देता था अधमरा, 89 की उम्र में हुआ निधन

Australian Captain and Coach Bob Simpson passes away at 89 : पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान और कोच बॉब सिम्पसन का 89 वर्ष की आयु में सिडनी में निधन हो गया. उन्होंने 1986 में कोच का कार्यभार संभाला और एलन बॉर्डर संग मिलकर ऑस्ट्रेलिया को लगातार जीत की राह पर लौटाया. 1990 के दशक में टीम को विश्व क्रिकेट की शीर्ष पर पहुंचाने में उनका बड़ा योगदान रहा.

Australian Captain and Coach Bob Simpson passes away at 89 : पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान और कोच बॉब सिंपसन का 89 वर्ष की आयु में सिडनी में निधन हो गया है. सिंपसन 1990 के दशक में ऑस्ट्रेलिया को क्रिकेट की दुनिया की शीर्ष टीम बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले शख्सियत थे. 1986 में जब एलन बॉर्डर की कप्तानी वाली टीम लगातार तीन साल तक जीत से महरूम थी और प्रदर्शन गिरावट पर था, तभी सिंपसन ने पूर्णकालिक कोच के रूप में जिम्मेदारी संभाली. 1996 में मुख्य कोच का पद छोड़ने के बाद भी उनका प्रभाव लंबे समय तक कायम रहा. 

सिंपसन के कोचिंग करियर की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक थी 1987 वर्ल्ड कप जीतना, जो भारत और पाकिस्तान में खेला गया था. कोलकाता के ईडन गार्डन्स में खेले गए रोमांचक फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को 7 रन से हराया था. क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (CA) ने शनिवार को सिंपसन को श्रद्धांजलि देते हुए एक्स/ट्विटर पर पोस्ट करते हुए लिखा, “एक सच्चे क्रिकेट दिग्गज को श्रद्धांजलि. टेस्ट क्रिकेटर, कप्तान, कोच और राष्ट्रीय चयनकर्ता बॉब सिंपसन ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के एक महान व्यक्तित्व थे, जिन्होंने खेल को अपना सबकुछ दिया. क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया, बॉब के परिवार और दोस्तों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करता है.”

लगातार आठ एशेज जीती ऑस्ट्रेलिया

सिंपसन-बॉर्डर की जोड़ी ने ही आने वाले ऑस्ट्रेलियाई सितारों, स्टीव वॉ, डेविड बून, डीन जोन्स और क्रेग मैकडरमॉट में नई सोच और जज्बा भरा. बतौर कोच उनकी ट्रेनिंग और बैटिंग व फील्डिंग पर मेहनत ने टीम को बदल डाला और आखिरकार ऑस्ट्रेलिया को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीमों में शामिल कर दिया. 1989 में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने इंग्लैंड दौरे पर चमत्कार किया. उस समय उन्हें शायद इंग्लैंड दौरे पर जाने वाली सबसे कमजोर टीम कहा जा रहा था.

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1982- नील हार्वे, बॉब सिम्पसन, एमएके पटौदी और रे लिंडवॉल लॉर्ड्स नर्सरी एंड पर एक तस्वीर खिंचवाने के लिए एकत्रित हुए. अतीत के ये चार दिग्गज गैरी सोबर्स XI के लिए शेष विश्व XI के विरुद्ध खेले थे. तस्वीर- इरफान (एक्स)

लेकिन सिंपसन-बॉर्डर की जोड़ी का जादू चला और ऑस्ट्रेलिया ने 6 मैचों की सीरीज 4-0 से जीतकर एशेज पर कब्जा कर लिया. यह वह शुरुआत थी, जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने लगातार आठ एशेज सीरीज जीतीं, जब तक कि इंग्लैंड ने अपने घर में ऐतिहासिक जीत दर्ज कर एशेज वापस नहीं ले गए. इसी दौर में ऑस्ट्रेलिया 20 साल बाद फ्रैंक वॉरेल ट्रॉफी भी घर लाई.

सिम्पसन और बॉर्डर ने ऑस्ट्रेलिया को एक ताकत बना दिया था. वे लगातार 19 टेस्ट मैचों में घरेलू मैदान पर अपराजित रहे थे. 1992 का विश्व कप घरेलू मैदान पर उनके लिए सबसे खराब प्रदर्शन था, जबकि सिम्पसन के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि 1995 का वेस्टइंडीज दौरा था, जहां ऑस्ट्रेलिया ने अंततः अपने सबसे खतरनाक दुश्मनों पर विजय प्राप्त की और विश्व की शीर्ष टीम का खिताब हासिल किया.

खिलाड़ी और कप्तान के तौर पर सिंपसन

लेग स्पिनिंग ऑलराउंडर से लेकर एक बेहतरीन सलामी बल्लेबाज और स्लिप क्षेत्ररक्षक बने सिंपसन ने 1957 से 1978 के बीच ऑस्ट्रेलिया के लिए 62 टेस्ट मैच खेले, जिनमें उन्होंने 46.81 की औसत से 4,869 रन बनाए. उन्होंने 1957 में दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर अपने करियर की शुरुआत की थी. 1964 में ओल्ड ट्रैफर्ड में इंग्लैंड के खिलाफ उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 311 रन आया था. उन्होंने 71 विकेट भी लिए, जिसमें सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 5/57 का था. कप्तान के रूप में उन्होंने 39 टेस्ट में टीम की अगुवाई की, जिसमें 12 जीते, 12 हारे और 15 ड्रॉ रहे.

उन्होंने 2 वनडे मैच भी खेले, जिसमें 36 रन बनाए और 2 विकेट लिए. सिंपसन ने 39 टेस्ट मैचों में ऑस्ट्रेलियाई टीम की कप्तानी भी की. वह महानतम स्लिप-फील्डरों में से एक थे, जिन्होंने 110 कैच लिए. वह तिहरा शतक बनाने वाले केवल सात ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों में से एक हैं.

खिलाड़ियों को ड्रिल कराकर कर देता था अधमरा

1986 में बतौर कोच आए सिंपसन का अनुशासन पर जोर, बल्लेबाजी की तकनीक और फील्डिंग में प्रयास सुधारने की जिद ने ऑस्ट्रेलिया को खेल की सबसे मजबूत इकाई में बदल दिया. बॉर्डर ने 2019 में लिखा था, “बॉब इस बात को लेकर बहुत सख्त थे कि रवैये के मामले में हर कोई एक ही सोच पर हो. वह कभी-कभी कहते, ‘आधी रात तक तुम्हारा समय है, आधी रात के बाद क्रिकेट का समय है.’ भले ही कोई आधिकारिक कर्फ्यू न होता, लेकिन वे नियम कड़े कर देते थे.”

उन्होंने आगे लिखा, “अगर आप देर रात बाहर रहे होते, तो इसकी कीमत ट्रेनिंग में चुकानी पड़ती. यह किसी डांट-फटकार की बात नहीं थी, बल्कि वह आपको इतने फील्डिंग ड्रिल्स कराते कि आप आधे मरे जैसे गिर पड़ते. उन्हें पता चल जाता था कि आप देर रात तक बाहर रहे हो.” बॉर्डर ने माना कि बॉब हर किसी की पसंद नहीं थे, लेकिन वे ऑस्ट्रेलियाई टीम के लिए बेहद अच्छे साबित हुए. उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई वनडे टीम में वह ढांचा और रणनीति शामिल करने का श्रेय भी सिंपसन को दिया, जो पहले गायब था.

बॉब सिंपसन के योगदान को शनिवार को साउथ अफ्रीका के खिलाफ केर्न्स में खेले जाने वाले तीसरे टी20 मैच में एक मिनट का मौन रखकर और खिलाड़ियों द्वारा काली पट्टी बांधकर याद किया जाएगा.

ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने भी जताया शोक

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीजी सिम्पसन को श्रद्धांजलि देने वाले पहले लोगों में से थे. अल्बानीजी ने एक्स पर लिखा, “ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के लिए बॉब सिम्पसन की असाधारण सेवा कई पीढ़ियों तक चली. एक खिलाड़ी, कप्तान और फिर युग-परिभाषित कोच के रूप में, उन्होंने अपने और अपने नेतृत्व वाले चैंपियन के लिए सर्वोच्च मानक स्थापित किए.”

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Anant Narayan Shukla
Anant Narayan Shukla
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से परास्नातक। वर्तमानः डिजिटल पत्रकार @ प्रभात खबर। इतिहास को समझना, समाज पर लिखना, धर्म को जीना, खेल खेलना, राजनीति देखना, संगीत सुनना और साहित्य पढ़ना, जीवन की हर विधा पसंद है। क्रिकेट से लगाव है, इसलिए खेल पत्रकारिता से जुड़ा हूँ.

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